क्लियोपाट्रा ७

टोलेमीय मिस्र की अन्तिम सक्रिय शासक

क्लियोपाट्रा ७ (यूनानी: Κλεοπάτρα Φιλοπάτωρ; जनवरी ६९ इसा पूर्व – नवंबर ३०, ३० इसा पूर्व) पुरातन मिस्र में यूनान के टोलेमी वंश की रानी थीं।

लाल बालों और उनके विशिष्ट विशेषताओं के साथ क्लियोपेट्रा का संभवतः मरणोपरांत चित्रित चित्र, रोमन हर्क्लेनेयम, इटली से शाही और मोती-जड़ी हेयरपिन पहने हुए, पहली शताब्दी ईस्वी सन्[1][2][note 1]

daammaharaj01==जीवन विस्तार== क्लियोपाट्रा सप्तम, मिस्र की प्रभावशाली औरतो में से एक थीं। जिसने 51 ईसा पूर्व से 30 ईसा पूर्व तक मिस्र पर शासन किया। वह मिस्र के प्टोलोमी शासकों के वंश की थीं। इसका पूरा नाम क्लियोपाट्रा सप्तम सिया फ्लोर पैटर्न था, जन्म 69 ईसा पूर्व में मिस्र के अलेक्जेंड्रिया में हुआ था और उसके पिता प्टोलोमी 12 तथा माता क्लियोपैट्रा पंचम थी। वह प्राचीन मिस्र पर शासन करने वाली अंतिम औरत फैरोह थी।

वह प्टोलोमी वंश की सदस्य थीं जो यूनान के निवासी थे, उन्होंने नेपोलियन की मृत्यु के पश्चात हेलो निकल काल में मिस्र पर शासन किया था टॉलेमी अपने शासनकाल के समय मिस्र में ग्रीक भाषा का व्यवहार करते थे तथा उन्होंने मिस्र की भाषा को व्यवहार में लाने से मना कर दिया था परंतु क्लियोपाट्रा ने मिस्र की भाषा को बोलना सीखा उसने राजकाज में मिस्र की भाषा का प्रसार किया तथा अपने आप को वह मिस्र की देवी इसीस का पूर्ण अवतार मानती थीं। परन्तु क्लियोपाट्रा वास्तव में किसी ना किसी के साथ संयुक्त रूप से मिलकर शासन किया आरंभ में अपने पिता के साथ और बाद में अपने भाइयों के साथ मिलकर। उसका विवाह मिस्र में सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार अपने भाइयों के साथ ही हुआ था जिसमें पुत्रियों को पिता की चल संपत्ति में अधिकार मिलता था परंतु राज्य के पुत्र एवं पुत्री के बीच बँटवारे के भय से उनके बीच विवाह संपन्न करा दिया जाता था परंतु विवाह के उपरांत भी क्लियोपैट्रा ने अपनी स्थिति को कमजोर नहीं होने दिया। उसने रोमन सेनापति जुलियस सीज़र के साथ संपर्क स्थापित किया जिससे मिस्र के सिंहासन पर उसकी पकड़ और अधिक दृढ़ हो गई। उन्होंने अपने पुत्र को भी जन्म दिया जिसे सीजीरियन नाम दिया गया । जूलियस सीज़र की हत्या के पश्चात 44 ईसा पूर्व में मार्क एंटोनी जो जूलियस सीजर के वैधानिक उत्तराधिकारी आक्टेवियन का विरोधी था, से क्लियोपाट्रा का नया संबंध बना। मार्क एंटोनी के शारिरिक संबंधो से क्लियोपाट्रा ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, सेलीन द्वितीय और एलेग्जेंडर एलिसन। उन्हें एक पुत्र और हुआ जिसका नाम टाइटल ओं मी फ्लड एक्स रखा गया। क्लियोपैट्रा के भाई के साथ संबंध से कोई संतान उत्पन्न नहीं हुई। आक्टेवियन ने सैन्य बल के साथ अंत में कई को युद्ध में हराने के बाद मार्क एंटोनी ने आत्महत्या कर ली। क्लियोपैट्रा ने भी परंपरा का निर्वाह करते हुए आत्महत्या कर ली।

अपने अल्पकालीन शासन काल में क्लियोपाट्रा ने बहुत कुछ किया। वह पश्चिमी संस्कृति में विशेषकर चित्र कला एवं साहित्य के केंद्र बिंदु में रहे विलियम शेक्सपियर के एंटोनी और क्लियोपाट्रा नामक एक नाट्य की पात्र बनीं।

क्लियोपाट्रा अपनी सुंदरता एवं कुशलता में आज भी पश्चिमी सभ्यता की औरतो का आदर्श बनी हुई हैं।

परिचय संपादित करें

क्लियोपेट्रा, मिस्र की टालमी वंश की यवन रानियों का सामान्य प्रचलित नाम। मूलत: यह सिल्युक वंशी अंतियोख महान की पुत्री टालमी (पंचम) की पत्नी का नाम था। किंतु इस नाम की ख्याति ११वें तालेमी की पुत्री ओलीतिज़ के कारण है। उसका जन्म लगभग ६९ ई. में हुआ था। उससे पूर्व इस वंश में इस नाम की छह रानियाँ हो चुकी थीं। इस कारण उसे क्लियोपेट्रा (सप्तम) कहते हैं।

जब क्लियोपट्रा १७ वर्ष की थी तभी उसके पिता की मृत्यु हो गई। पिता की वसीयत के अनुसार उसे तथा उसके छोटे तोलेमी दियोनिसस को संयुक्त रूप से राज्य प्राप्त हुआ और वह मिस्री प्रथा के अनुसार अपने इस भाई की पत्नी होने वाली थी। किंतु राज्याधिकार के लिये कश्मकश के परिणामस्वरूप उसे राज्य से हाथ धोकर सीरिया भाग जाना पड़ा। फिर भी उसने साहस नहीं त्यागा। उसी समय जूलियस सीज़र पोंपे का पीछा करता हुआ मिस्र आया। वहाँ वह क्लियोपेट्रा पर आसक्त हो गया और उसकी ओर से युद्ध करने को तत्पर हो गया। फलस्वरूप तोलेमी मारा गया और क्लियोपेट्रा मिस्र के राजसिंहासन पर बैठी। मिस्र की प्राचीन प्रथा के अनुसार वह अपने एक अन्य छोटे भाई के साथ मिलकर राज करने लगी। किंतु शीघ्र ही उसने अपने इस छोटे भाई को विष देकर मार डाला और रोम जाकर जूलियस सीज़र की रखेल के रूप में रहने लगी। उससे उसको एक पुत्र भी हुआ किंतु रोमवालों को यह संबंध किसी प्रकार न भाया। अत: सीज़र की हत्या (४४ ई. पूर्व) कर दी गई। तब वह मिस्र वापस चली आई।

४१ ई. पू. मार्क अंतोनी भी क्लियोपेट्रा की सुंदरता का शिकार हुआ। दोनों ने शीत ऋतु एक साथ सिकंदरिया में व्यतीत की। रोमनों ने उनका विरोध किया। ओक्तावियन (ओगुस्तस) ने उसपर आक्रमण कर २ सितंबर ३१ ई. पू. को आक्तियम के युद्ध में उसे पराजित कर दिया। क्लियोपेट्रा अपने ६० जहाजों के साथ युद्धस्थल से सिकंदरिया भाग आई। अंतानी भी उससे आ मिला किंतु सफलता की आशा न देख ओक्तावियन के कहने पर अंतोनी की हत्या करने पर तैयार हो गई और अंतोनी को साथ साथ मरने के लिये फुसलाकर उस समाधि भवन में ले गई जिसे उसने बनवाया था। वहां अतानी ने इस भ्रम में कि क्लियोपेट्रा आत्महत्या कर चुकी है, अपने जीवन का अंत कर लिया। ओक्तावियन क्लियोपेट्रा के रूप जाल में न फँसा। जनश्रुति के अनुसार उसने उसकी एक डंकवाले जंतु के माध्यम से हत्या कर दी। इस प्रकार २९ अगस्त ३० ई. पू. उसकी मृत्यु हुई और टालेमी वंश का अंत हो गया। मिस्र रोमनों के अधीन हो गया। क्लियोपेट्रा का नाम आज तक प्रेम के संसार में उपाख्यान के रूप में प्रसिद्ध है। वह उतनी सुंदर न थी जितनी कि मेधाविनी। कहते हैं वह अनेक भाषाएँ बोल सकती थी और एक साथ अन्यवेशीय राजदूतों से एक ही समय उनकी विभिन्न भाषाओं में बात किया करती थी। उसकी लोंबड़ी जैसी चतुराई से एक के बाद एक अनेक रोमन जनरल उसके आश्रित और प्रियपात्र हुए। अंतोनी के साथ तो उसने विवाह कर उसके और अपने संयुक्त रूप के सिक्के भी ढलवाए। उससे उसके तीन संतानें हुई। अनेक कलाकारों ने क्लियोपेट्रा के रूप अनुकरण पर अपनी देवीमूर्तियाँ गढ़ीं। साहित्य में वह इतनी लोकप्रिय हुई कि अनेक भाषाओं के साहित्यकारों ने उसे अपनी कृतियों में नायिका बनाया। अंग्रेजी साहित्य में तीन नाटककारों- शेक्सपियर, ड्राइडन और बर्नाड शा- ने अपने नाटकों को उसके व्यक्तित्व से सँवारा है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Walker & Higgs (2001), पृ॰प॰ 314–315.
  2. Fletcher (2008), p. 87, image plates and captions between pp. 246–247.


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