हरितोद्भिज्ज एककोशिकीय, बस्तीमय अथवा तन्तुमयी हो सकते है। पर्णहरित a तथा b के प्रभावी होने के कारण इनका रंग H हरी घास की तरह होता है। वर्णक सुस्पष्ट हरितलवक में होते हैं। हरितलवक थाली की तरह, जालाकार, पात्राकार, सर्पिल अथवा पट्टी के आकार के हो सकते हैं। इसके अधिकांश सदस्यों के हरितलवक में एक अथवा एकाधिक पाइरनॉइड होते हैं। पाइरनॉइडों में मण्ड के अतिरिक्त प्रोटीन भी होते हैं। कुछ शैवाल तेलबुदंक के रूप में भोजन संचित करते हैं। हरित शैवाल में प्रायः एक कठोर कोशिका भित्ति होती है जिसकी भीतरी सतह सेलुलोस को तथा बाह्य सतह पेक्टोस की बनी होती है।

कायिक जनन प्रायः तन्तु के टूटने से अथवा विभिन्न प्रकार के बीजाणु क बनने से होता है। अलैंगिक जनन कशाभिका युक्त ज़ूस्पोर से होता है। ज़ूस्पोर जूस्पोरेजिया (चल बीजाणुधानी) में बनते हैं। लैंगिक जनन में लैंगिक कोशिकाओं के बनने में बहुत विभिन्नता दिखाई पड़ती है। ये समयुग्मकी असमयुग्मकी अथवा विषमयुग्मकी हो सकते हैं इसके सामान्य सदस्य ख्लामिडोमोनास, वॉल्वॉक्स, यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगाइरा तथा खारा हैं।

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