खंडीभवन (जीवविज्ञान)
जीवविज्ञान में, खण्डीभवन कुछ प्राणियों में शारीरिक योजना बाह्य तथा आन्तरिक दोनों ओर श्रेणीबद्ध खण्डों में विभाजित रहना है, जिनमें कुछ अंगों की क्रमिक पुनरावृत्ति होती है। शरीर के कुछ अंगों के मुक्त संचलन और विकास की अनुमति देने हेतु शरीर योजना का विभाजन महत्त्वपूर्ण है। यह विशिष्ट व्यक्तियों में पुनर्जनन की अनुमति भी देता है। उदाहरणार्थ, केंच्वा में शरीर का विखण्डी खण्डीभवन होता है और यह मध्यावयवता या विखण्डावस्था कहलाती है।[1][2][3]