खगोलभौतिक फौवारा
खगोलभौतिक फौवारा (astrophysical jet) एक खगोलीय परिघटना होती है जिसमें किसी घूर्णन करती हुई खगोलीय वस्तु के घूर्णन अक्ष की ऊपरी और निचली दिशाओं में आयनीकृत पदार्थ फौवारों में तेज़ गति से फेंका जाता है।[1] कभी-कभी इन फौवारों में पदार्थ की गति प्रकाश की गति के समीप आने लगती है और यह आपेक्षिक फौवारे (relativistic jets) बन जाते हैं, जिनमें विशिष्ट आपेक्षिकता के प्रभाव दिखने लगते हैं।[2]
खगोलभौतिक फौवारों का गठन एक जटिल प्रक्रिया है जिस से कई प्रकार के ऊर्जावान खगोलीय स्रोत सम्बन्धित हो सकते हैं। हालांकि इनके निर्माण व संचालन को पूरी तरह अभी समझा नहीं गया है लेकिन यह सम्भव है कि किसी भीमकाय वस्तु की परिक्रमा कर रहे अभिवृद्धि चक्र से मलबे लेकर उलझे हुए चुम्बकीय क्षेत्र उसे दो विपरीत दिशाओं में फेंकते हैं। यह फौवारे कुछ ही डिग्री चौड़े होते हैं।[3]
ब्रह्माण्ड के सबसे सक्रीय और शक्तिशाली फौवारे विशालकाय काले छिद्रों द्वारा बनाए जाते हैं जो क्वेसार और अन्य सक्रीय गैलेक्सियों के केन्द्र में मिलते हैं। ऐसे फौवारे करोड़ों प्रकाशवर्ष लम्बे हो सकते हैं। इनके अलावा कुछ द्वितारा मंडलों में भी फौवारे मिलते हैं, विशेषकर जब द्वितारे का एक तारा दूसरे से पदार्थ खींच रहा हो और अपने इर्द-गिर्द परिक्रमा करता हुआ एक अभिवृद्धि चक्र बना ले।[4]