उड़ीसा में भुवनेश्वर से सात मील दूर पश्चिमोत्तर में उदयगिरि के निकट की पहाड़ी खण्डगिरि कहलाती है। खण्डगिरि का शिखर 123 फुट उँचा है, जो आस-पास की पहाड़ियों में सबसे ऊँचा है। कलिंग नरेश खारवेल का प्रसिद्ध हाथी गुम्फा अभिलेख खण्डगिरि से कुछ ही दूरी पर है।

खंडगिरि का गुफा मठ

खण्डगिरि की गुफाएँ जैन सम्प्रदाय से सम्बन्धित हैं। ये गुफाएँ लगभग प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित की गई मालूम पड़ती हैं। खण्डगिरि और इससे संबद्ध उदयगिरि में उत्खनित जैन लयण (गुफाएँ) हैं। खंडगिरि स्थित लयणों की संख्या १९ है। इसी प्रकार उदयगिरि में ४४ और नीलगिरि में ३ गुफाएँ हैं। ये सभी ईसापूर्व दूसरी-पहली शती की अनुमान की जाती है। उनके अनेक भागों में मूर्तियों का उच्चित्रण हुआ है। इन गुफाओं में सबसे प्रख्यात हाथी गुंफा है जिसके ऊपर महामेघवाहन खारवेल की प्रशस्ति अंकित है जो ऐतिहासिक दृष्टि से बड़े महत्व का है।

खण्डगिरि की गुफाएँ
  • तलोवा गुम्फा संख्या-1
  • तलोवा गुम्फा संख्या-2
  • अनन्त गुम्फा
  • तेन्तुली गुम्फा
  • खण्डगिरि गुम्फा
  • ध्यान गुम्फा
  • नवमुनि गुम्फा
  • बड़भूजी गुम्फा
  • त्रिशूल गुम्फा
  • अम्बिका गुम्फा
  • लालतेन्दु केसरी गुम्फा
  • अनाम
  • अनाम
  • एकादशी गुम्फा
  • अनाम

इन्हें भी देखें संपादित करें