घूर्णी इंजन (rotary engine) अन्तर्दहन इंजन है जो अन्तर्दहन इंजनों के विकास के आरम्भिक दिनों में डिजाइन किया गया था। इसमें क्रैंक शाफ्ट अचल (स्टेशनरी) रहता था जबकि सिलिण्डर ब्लॉक इसके चारो ओर घूमता था। इसमें प्रायः प्रत्येक पंक्ति में सिलिण्डरों की संख्या विषम (३, ५, ७ आदि) रक्खी जाती थी और ये सिलिण्डर अरीय (रेडिअल) विन्यास में लगे होते थे। यह मुख्यतः उड्दयन मेम् प्रयुक्त हुआ था। इसके अलावा कुछ मोटरसायकिलों और मोटरगाड़ियों में भी इसका प्रयोग हुआ था।

80 हॉर्सपॉवर वाला 'ली रोन 9C (Le Rhône 9C); यह प्रथम विश्वयुद्ध के काल का सामान्य घूर्णी इंजन था। इसमें मौजूद कॉपर के पाइपों में से होकर ईंधन-वायु मिश्रण क्रैंककेस से सिलिण्डर-हेड तक जाता है।

ये इंजन परम्परागत इनलाइन इंजनों (सीधे / V) के विकल्प के रूप में प्रथम विश्वयुद्ध के समय और उसके ठीक पहले उपयोग में लाए गये थे। किन्तु अपने निहित सीमाओं के कारण १९२० के दशक के आरम्भिक दिनों में ये अप्रचलित (आब्सोलीट/obsolete) हो गए। इनकी निम्नलिखित सीमाएँ थीं-

  • अधिक शक्ति वाले इंजनों में घूर्णन कर रहे सिलिण्डर-ब्लॉक पर लगने वाले वायु के घर्षण के कारण बहुत अधिक शक्ति बर्बाद होती थी।
  • घूर्नन कर रहे द्रव्यमान के कारण वयुयानों में नियंत्रण सम्बन्धी समस्याएँ आतीं थीं (विशेषकर कम अनुभवी पाइलाटों को)।
  • ईंधन और स्नेहक तेल का अदक्षतापूर्ण उपयोग