चमार

एक अति प्राचीन जाति

यह लेख एक जाति के बारे में है। 'चमार' नामक पर्वत के लिये चमार (पर्वत) देखें।


चमार
विशेष निवासक्षेत्र
पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, सिंध, नेपाल, बिहार, हरियाणा, अन्य...
भाषाएँ
हिन्दी, राजस्थानी भाषा, पंजाबी भाषा, सिंधी भाषा, उर्दू, भोजपुरी
धर्म
हिन्दूबौद्धसिख धर्मरविदासिया धर्म • ईसाई धर्म
सम्बन्धित सजातीय समूह
जाटवचंबरधुसियाभांबलीरैगरकबीरपंथी जुलाहारानीगरबैरवाअहिरवाररविदासियासूर्यवंशीसतनामी

चमार दक्षिण एशिया का एक वर्ग समुदाय है। इस जाति के लोग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाते हैं, मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यों तथा पाकिस्तान और नेपाल आदि देशों में निवास करते हैं। चमार समुदाय को आधुनिक भारत की सकारात्मक कार्रवाई प्रणाली के तहत अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। चमार अनेक उपजातियों का समूह है। प्रारंभ केवल चर्म (चमड़ा) से संबंधित व्यवसाय करते थे, परन्तु इसके विपरित समुदाय की अनेक उपजातियों में कृषि व बुनकरी का कार्य भी प्रचलित था। आज के आधुनिक समय में इस मेहनती समुदाय ने काफी प्रगति की है। आईन-ए-अकबरी के अनुसार उत्पल वंश के शासक चमार समुदाय से थे। राजा चंवरसेन चमारों के चंवरवंशी चमार से संबंधित हैं। चमार शब्द की उत्पत्ति चँवर से लिया गया है, जो आम तौर पर अनुसूचित जातियों के लिए अपमानजनक शब्द के रूप में प्रयोग किया जाता है। किन्तु 'चमार' शब्द को एक अपशब्द के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। अतः इसे भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जातिवादी गाली और अपमानजनक शब्द के रूप में वर्णित किया गया है। इस समुदाय के साथ होने वाले दुराचारों को रोकने के लिए कानून द्वारा उन्हें कई विशेष अधिकार दिये गए हैं, जैसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989[1][2][3]

व्यवसाय संपादित करें

चमार पारंपरिक रूप से चमड़े के काम से जुड़े हुए हैं। रामनारायण रावत का मानना ​​है कि चमार समुदाय का जुड़ाव चमड़े के पारंपरिक व्यवसाय से हुआ था, और इसके बजाय चमार ऐतिहासिक रूप से कृषक और बुनकर भी थे। कुछ चमारों ने कपड़ा बुनने का धंधा भी अपना लिया एवं ख़ुद को जुलाहा चमार बुलाने लगे। चमारों का मानना है कि कपड़ा बुनने का काम चमड़े के काम से काफी उच्च दर्जे का काम है।[4] इतिहासकार अबूल फज़ल ने अपनी किताब आईने-ए-अकबरी (16वीं सदी का एक विस्तृत दस्तावेज़ जिसमें सम्राट अकबर के अधीन मुग़ल साम्राज्य के प्रशासन का विवरण दिया गया है) में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि उत्पल वंश के शासक चमार जनजाति से थे।

चमार रेजिमेंट संपादित करें

प्रथम चमार रेजिमेंट द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों द्वारा गठित एक पैदल सेना रेजिमेंट थी। आधिकारिक तौर पर, यह 1 मार्च 1943 को बनाई गई थी, क्योंकि 27वीं बटालियन दूसरी पंजाब रेजिमेंट को परिवर्तित किया गया था।[5] चमार रेजिमेंट उन सेना इकाइयों में से एक थी, जिन्हें कोहिमा की लड़ाई में अपनी भूमिका के लिए सम्मानित किया गया था।[6] 1946 में रेजिमेंट को भंग कर दिया गया था। 2011 में, कई राजनेताओं ने मांग की कि इसे पुनर्जीवित किया जाए।[7]

प्रमुख व्यक्ति संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Singh, Sanjay K. (2008-08-20). "Calling an SC 'chamar' offensive, punishable, says apex court". The Economic Times. अभिगमन तिथि 2020-05-12.
  2. "Caste-igated: How Indians use casteist slurs to dehumanise each other". SabrangIndia (अंग्रेज़ी में). 2018-07-21. मूल से 29 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-05-12.
  3. "Twitter Calls out Netflix's 'Jamtara' for Using Casteist Slur". The Quint (अंग्रेज़ी में). 2020-01-18. मूल से 29 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-05-12.
  4. Pruthi, R. K. (2004). Indian Caste System (अंग्रेज़ी में). Discovery Publishing House. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7141-847-3.
  5. "27/2 Punjab Regiment". www.ordersofbattle.com. अभिगमन तिथि 2020-05-12.
  6. "Battle of kohima" (PDF).
  7. "RJD man Raghuvansh calls for reviving Chamar Regiment - Indian Express". archive.indianexpress.com. अभिगमन तिथि 2020-05-12.

इन्हें भी देखें संपादित करें