चीनी शेषफल प्रमेय

एक साथ अनुरूपताओ को सुलझाने के लिए प्रमेय

चीनी शेषफल प्रमेय (Chinese remainder theorem) को निम्नलिखित शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है-

यदि ni युग्मशः अभाज्य (pairwise coprime) हों यदि a1, ..., ak कोई पूर्णांक हैं , तो एक पूर्णांक x ऐसा होगा कि,

तथा कोई भी दो ऐसे पूर्णांक x, सर्वसम मॉड्युलो N होंगे।[1]

उदाहरण

ऐसा पूर्णांक प्राप्त कीजिये जो निम्नलिखित शर्तों को सन्तुष्ट करती हो-

x ≡ 3 (mod.5)

x ≡ 5 (mod.13)

x ≡ 7 (mod.29)

x ≡ 1 (mod.41)

X = 3.13.29.41.x1 + 5.5.29.41.x2 + 7.5.13.41.x3 + 1.5.13.29.x4

x1.13.29.41≡1(mod.5) → x1.(-2)(-1)(1)≡x1.2≡1(mod.5)

x1≡3(mod.5)

x2.5.29.41≡1(mod.13) → x2.5.3.2≡1(mod.13)→ x2.4≡1(mod.13)

x2≡10(mod. 13)

x3.5.13.41≡1(mod.29) →x3.5.13.17≡1(mod.29)&rarr x3.3≡1(mod.29)

x3≡-10(mod.29)

x4.5.13.29≡1(mod.41) →x4.5.13.(-12) ≡1(mod.41)→x4.(-1) ≡1(mod.41)

x4≡-1(mod.41)

X=3.13.29.41.3 + 5.5.29.41.10 + 7.5.13.41.(-10) + 1.5.13.29.(-1)

X=139113 + 297250 – 186550 -1885

X=247928

x≡X≡247928(mod.5.13.29.41) → x≡16073(mod.77285)

इतिहास संपादित करें

चीन के निवासी सुन्जी सुआनजिंग ने तीसरी शताब्दी में कुछ संख्याओं के माध्यम से इस प्रमेय का कथन किया है। किन्तु सुन जी के कार्य में न तो उपपत्ति दी गयी है और न ही पूर्ण अल्गोरिद्म। इसका सम्पूर्ण अल्गोरिद्म ५वीं शताब्दी के भारतीय गणितज्य आर्यभट ने दिया है। [2]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Ireland & Rosen 1990
  2. "Kak 1986". मूल से 29 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 मई 2017.