जतरा भगत

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी


जतरा भगत उर्फ जतरा उरांव का जन्म सितंबर 1888 में झारखंड के गुमला जिला के बिशनुपुर थाना के चिंगरी नवाटोली गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम कोदल उरांव और माँ का नाम लिबरी था। 1912-14 में उन्होंने ब्रिटिश राज और जमींदारों के खिलाफ अहिंसक असहयोग का आंदोलन छेड़ा और लगान, सरकारी टैक्स आदि भरने तथा ‘कुली’ के रूप में मजदूरी करने से मना कर दिया। यह 1900 में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुए ‘उलगुलान’ से प्रेरित औपनिवेशिक और सामंत विरोधी धार्मिक सुधारवादी आंदोलन था। आदिवासी लेखकों का दावा है कि अहिंसक सत्याग्रह की व्यावहारिक समझ गांधी ने झारखंड के टाना भगत आंदोलन से ही ली थी। 1940 के दशक में टाना भगत आंदोलनकारियों का बड़ा हिस्सा गांधी के सत्याग्रह से जुड़कर राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुआ। आज भी टाना भगत आदिवासियों की दिनचर्या राष्ट्रीय ध्वज के नमन[1] से होती है।

जतरा भगत
Jatra Bhagat
1888-1916

उपनाम : जतरा उरांव
जन्मस्थल : चिंगरी नवाटोली गांव, ब्रिटिश भारत (अब गुमला जिला, झारखंड)
मृत्युस्थल: चिंगरी नवाटोली गांव, ब्रिटिश भारत (अब गुमला जिला, झारखंड)
आन्दोलन: टाना भगत आंदोलन
राष्ट्रीयता: भारतीय

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "BBCHindi.com". Bbc.com. मूल से 25 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2016-06-30.


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