जीसैट-19

एक भारतीय संचार उपग्रह

जीसैट-19 ( GSAT-19) एक भारतीय संचार उपग्रह है जिसका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 डी1 यान द्वारा ५ जून २०१७ १७:२८ बजे प्रक्षेपण किया। [6]

जीसैट-19
GSAT-19
मिशन प्रकार संचार उपग्रह
संचालक (ऑपरेटर) इनसैट
कोस्पर आईडी 2017-031A
सैटकैट नं॰ 42747
वेबसाइट जीसैट-19
मिशन अवधि योजनाबद्ध: 10 वर्ष[1]
गुजर चुके है: 6 साल, 9 माह, 13 दिन
अंतरिक्ष यान के गुण
बस आई-3के
निर्माता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
लॉन्च वजन 3,136 कि॰ग्राम (6,914 पौंड)[1]
शुष्क वजन 1,394 कि॰ग्राम (3,073 पौंड)[1]
आकार-प्रकार 2.0 × 1.77 × 3.1 मीटर[1]
ऊर्जा 4,500 वाट
मिशन का आरंभ
प्रक्षेपण तिथि 5 जून 2017 11:58 यु.टी. सी[2]
रॉकेट भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 डी1[3]
प्रक्षेपण स्थल द्वितीय लांच पैड, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र
ठेकेदार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
कक्षीय मापदण्ड
निर्देश प्रणाली भूकेंद्रीय कक्षा
काल भूस्थिर कक्षा
देशान्तर 48° पूर्व[4]
परिधि (पेरीएपसिस) 35,470 कि॰मी॰ (22,040 मील)
उपसौर (एपोएपसिस) 35,869 कि॰मी॰ (22,288 मील)
झुकाव 0.101 डिग्री
अवधि 23 घन्टे, 50 मिनट, 10 सेकेंड
युग 10 जून 2017, 02:29 यु.टी. सी[5]
ट्रांस्पोंडर
बैंड
  • 4 × केयु/के अग्रेषित लिंक
  • 4 × केयु/के वापसी लिंक
कवरेज क्षेत्र भारत
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जीसैट
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उपग्रह संपादित करें

यह उपग्रह मॉड्यूलर आई-6के उपग्रह बस के निर्माण के लिए एक परीक्षण के रूप में कार्य करेगा। यह देश में ही उत्पादित लिथियम आयन बैटरी, सी-बैंड टीडब्ल्यूटी प्रवर्धक, आयन थ्रस्टर इंजन, थर्मल रेडिएटर्स, एक छोटी जड़त्वीय संदर्भ इकाई सहित कई प्रयोगात्मक प्रौद्योगिकी ले जाएगा।.[6][7][8][9]

पारंपरिक ट्रांसपोंडर के बजाय, जीएसएटी-19 में भारत के पिछले संचार उपग्रहों की तुलना में बहुत अधिक डेटा थ्रूपूट प्रदान करने के लिए चार केयु/केए-बैंड अग्रेषण लिंक बिम्ब और चार चार केयु/केए-बैंड रिटर्न लिंक बिम्ब हैं। इसके अतिरिक्त यह एक जियोस्टेशनरी रेडिएशन स्पेक्ट्रोमीटर (जीआरएसपी) पेलोड लेकर गया है जो "चार्ज कणों की प्रकृति और उपग्रहों तथा उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर अंतरिक्ष विकिरण के प्रभाव की निगरानी और अध्ययन" करेगा।

कक्षा स्थापना संपादित करें

सैटेलाइट को 5 जून 2017 की शाम को जीएसएलवी 3-डी 1 रॉकेट पर 180 किमी (112 मील) की भू-स्थानान्तरण कक्षा में लांच किया गया था। इसके बाद उपग्रह की इच्छित भूस्थिर कक्षा में पहुचने के लिए इसमे लगे द्वव इंजन को चार बार चलाया गया। और इसे इच्छित कक्षा (35,869 X 35,470 किमी) में प्रवेश कराया गया।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "GSLV Mark III-D1 / GSAT-19 Mission" (PDF). Indian Space Research Organisation. मूल से 12 जुलाई 2017 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 27 जून 2017.
  2. Clark, Stephen (5 June 2017). "India's launcher fleet gets an upgrade with successful test flight". Spaceflight Now. मूल से 5 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 June 2017.
  3. Laxmi Ajai, Prasannal (19 May 2017). "Come June 5, ISRO to launch 'game changer' rocket". The Times of India. Times News Network. मूल से 25 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 May 2017.
  4. "Delivered Communication and Navigation Payloads". ISRO/Space Applications Centre. मूल से 18 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 June 2017.
  5. "The fourth and final orbit raising operation..." Indian Space Research Organisation. 10 June 2017. मूल से 13 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 June 2017.
  6. "Launch Schedule". Spaceflight Now. 8 May 2017. मूल से 12 May 2017 को पुरालेखित.
  7. "Annual Report: 2014-2015" (PDF). Indian Space Research Organisation. 2015. पृ॰ 26. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 27 मई 2017.
  8. "First Prototype of ISRO's Semi-Cryogenic Engine To Be Ready By 2016". AA Me, IN. 19 August 2015. मूल से 21 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 October 2016.
  9. "GSat 19E". Gunter's Space Page. मूल से 9 जून 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 May 2016.