जैन धर्म में राम

८ वें बलभद्र

रामायण के नायक श्रीराम जैन ग्रन्थों में ६३ शलाकापुरुषों में से एक हैं। यहाँ वे विष्णु के अवतार नहीं हैं बल्कि वह वलभद्र हैं जो सिद्धक्षेत्र (माँगी तुंगि, महाराष्ट्र, भारत) से मोक्ष गये।[1][2] जैन धर्म में भगवान राम को बहुत उच्च स्थान दिया गया है। भगवान राम जैन रामायण के नायक हैं तथा उन्हें अहिंसा की प्रतिमूर्ति के रूप में चित्रित किया गया है। अन्त समय में वे दीक्षा ग्रहण कर मोक्ष को प्राप्त हुए। जैन मान्यतानुसार प्रत्येक मोक्ष प्राप्त आत्मसिद्ध कहलाता है। जैन रामायण में भगवान राम का आदर के साथ उल्लेख किया गया है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Jain 2000, पृ॰ 5.
  2. Iyengar 2005, पृ॰प॰ 58-59.