ज्ञानराज () एक भारतीय गणितज्ञ थे।उन्होने सन् १५०३ ई० में ‘सिद्धान्तसुन्दर' नामक ज्योतिष ग्रन्थ की रचना की है जो ग्रहगति से सम्बन्धित है।

सिद्धान्तसुन्दर के मुख्य तीन भाग है- [1]

  • (१) गोलाध्याय
  • (२) ग्रहगणिताध्याय
  • (३) बीजगणिताध्याय

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