सन १९४७ में छ: व्यक्तियों द्वारा आदिमयुग की तरह बालसा लकड़ी से बनी नाव पर, समुद्र में ३७७० समुद्री मील (६९८० किलोमीटर) की गयी यात्रा की गयी थी। इसे कॉन-टिकी अभियान कहा गया क्योंकि नाव का नाम कॉन-टिकी था। इस अभियान का नेतृत्व, थॉर हेयरडाह्ल (Thor Heyerdahl) ने किया था।

थॉर हेयरडाह्ल (६-१०-१९१४ से १८-४-२००२)

जन्म और प्रारम्भिक जीवन संपादित करें

थॉर हेयरडाह्ल का जन्म ६-१०-१९१४ को लार्विक, नॉर्वे (Larvik, Norway) में और मृत्यु १८-४-२००२ को कोल्ला मिकेरी, इटली (Colla Micheri, Italy) में हुई थी। उनके पिता शराब बनाने वाले और मां वैज्ञानिक थीं। उसे बचपन में जीवविज्ञान में रूची थी पर बाद में उन्होने मानव शास्त्र (Anthropology) में काम किया। उसका मन पसन्द काम था नॉर्वे के पहाड़ों की वीरानता में विचरना और वे सभ्यता से दूर जगह रहने की बात सोचते थे। वे जब ऑस्लो विश्वविद्यालय में पढ़ते थे तब उन्होंने अपनी महिला मित्र से पूछा,

'क्या तुम प्रकृति में रहना पसन्द करोगी।'

उसने कहा,

'यदि यह पूरी तरह से प्रकृति के बीच हो।'

दोनो ने शादी कर ली और वे पॉलीनेशियाई द्वीपों में से एक द्वीप फातु हिवा में रहने चले गये।

पॉलीनेशिया अर्थात बहुत सारे द्वीप। प्रशान्त महासागर में लगभग १००० द्वीप हैं। पॉलीनेशिया शब्द पहले इन सब द्वीपों के लिए प्रयोग होता था पर अब मुख्यत: हवाई, न्यूजीलैंड (आईटीअरोआ Aotearoa) और ईस्टर द्वीप (रापा नूई) त्रिकोंण के बीच में आने वाले द्वीपों के लिए प्रयोग किया जाता हैं। मार्गयुसा द्वीप समूह पॉलीनेशिया में आते हैं। फातू हिवा, इस द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है। वहां के अनुभवों को, उन्होने फातू हिवा बैक टू नेचर (Fatu Hiva Back To Nature) नामक पुस्तक में लिपिबद्ध किया है।

उनका यह प्रयोग सफल नहीं रहा वे एक साल में ही वापस आ गये पर थूर हायरडॉह्ल को वहाँ रहने पर लगा कि पॉलीनेशियाई द्वीपों में दो तरह के लोग आये हैं: एक दक्षिण पूर्वी से और दूसरे दक्षिण अमेरिका से। दक्षिण पूर्वी एशिया से लोगों के आने का सबूत था पर दक्षिण अमेरिका से आने वालों के लिये कोई सबूत नहीं था। थॉर हेयरडाह्ल ने इस इस बात को सिद्घ करने की ठान ली। इसी को सिद्ध करने के लिये कॉन-टिकी से यात्रा की गयी थी।

थॉर हेयरडाह्ल का सिद्धान्त संपादित करें

क्या कॉन-टिकी यात्रा ने यह सिद्घ कर दिया कि पालीनेसियन द्वीपों पर सभ्यता दक्षिण अमेरिका से भी आयी ? इस अभियान से यह तो सिद्घ हो गया कि दक्षिण अमेरिका से पॉलीनेशियाई द्वीपों तक समुद्र यात्रा हो सकती थी पर इससे यह नहीं सिद्घ हो पाया कि पॉलीनेशिया में लोग दक्षिण अमेरिका से आये। पॉलीनेशिया पर रहने वालों के डी.एन.ए. परीक्षण से यही पता चलता है कि यहां पर लोग दक्षिणी पूर्वी एशिया से आये और वैज्ञानिक इसी को सही मानते हैं।

स्रोत संपादित करें