द्रविड़ विश्वविद्यालय

द्रविड़ विश्वविद्यालय, कुप्पम, चित्तूर जिला, आन्ध्र प्रदेश, भारत में स्थित विश्वविद्यालय है जिसे आन्ध्र प्रदेश सरकार द्वारा एक विधानमण्डल अधिनियम के अन्तर्गत अक्टूबर १९९७ में स्थापित किया गया था जिसे अन्य दक्षिणी राज्यों कर्णाटक, केरल और तमिल नाडु का भी समर्थन प्राप्त था। द्रविड़ विश्वविद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य द्रविड़ भाषा भाषियों की साझी विरासत पर एकीकृत अध्ययन द्वारा उन के बीच एकता की मज़बूत धारणा को सुगम बनाना है।

द्रविड़ विश्वविद्यालय
ध्येय
प्रकारसार्वजनिक
स्थापित१९९७
कुलाधिपतिई. ऍस. ऍल. नरसिंहन,
आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल
उपकुलपतिप्रोफ़ॅसर के. रथनाइयाह
स्थानकुप्पम, आन्ध्र प्रदेश, भारत
परिसरनगरीय
संबद्धताएंयूजीसी
जालस्थलdravidianuniversity.ac.in

इस विश्वविद्यालय ने १९९८ से दो विभागों के साथ कार्यारम्भ किया था और अब इसमें २० शैक्षणिक और ६ शोध केन्द्र हैं। ई. ऍस. ऍल. नरसिंहन यहाँ के वर्तमान कुलाधिपति हैं।

उप-कुलपति संपादित करें

विश्वविद्यालय के अब तक के उपकुलपतियों की सूची इस प्रकार है:

  • प्रोफ़ॅसर वी. आई. सुब्रमोनियम (प्रो-चान्सलर १९९७ से २०००)
  • प्रोफ़ॅसर पी. वी. अरुनाचलम (उप-कुलपति १९९७ से २००१)
  • प्रोफ़ॅसर आर. स्रीहरि (उप-कुलपति २००१ से २००५)
  • प्रोफ़ॅसर के. ऍस. चालम (उप-कुलपति २००५)
  • प्रोफ़ॅसर जी. लक्ष्मीनारायण (उप-कुलपति अगस्त २००५ से अगस्त २००८)
  • प्रोफ़ॅसर कड्डपा रामानाइयाह (उप-कुलपति अगस्त २०११ तक)
  • प्रोफ़ॅसर के. रथनाइयाह (उप-कुलपति अप्रैल २०१२ से वर्तमान)

द्रविड़ भाषाओं में नाम संपादित करें

कुछ द्राविड़ भाषाओं में विश्वविद्यालय का नाम इस प्रकार है:

  • ದ್ರಾವಿಡ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾನಿಲಯ (कन्नड़)
  • திராவிடப் பல்கலைக்கழகம் (तमिल)
  • ద్రవిడ విశ్వవిద్యాలయము (तेलुगू)
  • ദ്രാവിഡ സർവ്വകലാശാല (मलयालम)

विवाद संपादित करें

वर्ष २००९-२०११ के दौरान विश्वविद्यालय द्वारा दूरस्थ शिक्षार्थियों को ८,००० पीएचडी डिग्रीयाँ प्रदान की गई थी जिसके कारण यह विश्वविद्यालय विवादों के घेरे में आया। सरकार द्वारा इस बात की जाँच के लिए एक समिति गठित की गई जिसने उपकुलपति पर कार्यवाई करने की बात कही। इसके तुरन्त बाद ही एक और विवाद शुरु हो गया क्योंकि उपकुलपति द्वारा अपनी सेवानिवृति से एक दिन पहले स्टाफ़ नियुक्त किया गया था।

एक अन्य विवाद २०१० के दौरान छात्रों के दाखिले को लेकर था जिसके कारण मई २०११ में छात्रों ने विरोध किया और शैक्षणिक भवन में लूटपाट की।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें