धर्मचक्र

दक्षिण एशियाई धर्मों का प्रतीक


धर्मचक्र (पालि में : 'धम्मचक्क' ; शाब्दिक अर्थ : 'धर्म का पहिया') भारतीय संस्कृति में बहुतायत में प्रयोग किया जाने वाला एक प्रतीक है जो चक्र या पहिए के रूप में होता है। यह भारतीय धर्म (हिन्दू पन्थ, बौद्ध पन्थ, जैन पन्थ, सिख पन्थ) में मान्य आठ मंगलों (अष्टमंगल) में से एक है। यह प्रगति और जीवन का प्रतीक भी है।

सारनाथ से प्राप्त अशोक स्तम्भ पर निर्मित धर्मचक्र
थाइलैण्ड के द्वारावती की कला में धर्मचक्र

बौद्ध पन्थ में धर्मचक्र का विशेष महत्व है। बुद्ध ने सारनाथ में जो प्रथम धर्मोपदेश दिया था उसे धर्मचक्र प्रवर्तन भी कहा जाता है। आरम्भिक काल से ही प्रायः सभी बौद्ध मन्दिरों, मूर्तियों और शिलालेखों पर धर्मचक्र का प्रयोग अलंकरण (सजावट) के रूप में किया गया मिलता है। वर्तमान में धर्मचक्र बौद्धधर्म का प्रमुख प्रतीक है।

भारत के राष्ट्रीय-ध्वज (तिरंगा-ध्वज) के मध्य की पट्टी में धर्मचक्र अशोक चक्र रखा गया है। यूनिकोड में धर्मचक्र के लिये एक संकेत प्रदान किया गया है और उसका यूनिकोड है - U+2638 (☸).

इतिहास संपादित करें

चक्र या पहिया भारत में प्राचीनतम काल से प्रयुक्त प्रतीकों में से एक है। सिन्धु घाटी में खुदाई से प्राप्त वस्तुओं पर (विशेष रूप से मुद्राओं पर) प्रायः पहिए का संकेत मिलता है। धौलावीरा से प्राप्त संकेतपट्ट पर दस चिह्न हैं जो अधिकांशतः चक्र से मिलते-जुलते हैं।

 
धौलावीरा के उत्तरी द्वार से प्राप्त दस प्रतीक चिह्न

कुछ विद्वानों का मत है कि प्राचीन चक्र, सूर्य का एक प्रतीक है।

विविध प्रसंगों में धर्मचक्र संपादित करें

सनातन धर्म में संपादित करें

 
सुदर्शन चक्र धारी विष्णु

पुराणों के अनुसार केवल 24 ऋषि ही गायत्री की सम्पूर्ण शक्ति को प्राप्त कर सके। गायत्री मन्त्र के 24 वर्ण इन 24 ऋषियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

भगवद्गीता के श्लोकों में भी चक्र का उल्लेख हुआ है ( अध्याय 3कर्मयोग , श्लोक संख्या 16 में ।

बौद्ध धर्म में संपादित करें

 
धर्मचक्र का एक सरलीकृत रूप

धम्मचक्र के आठ पहिये तथागत बुद्ध के बताए हुए अष्टांगिक मार्ग को दर्शाते है।

महात्मा बुद्ध ने अपने शिष्यों (सन्तों) के लिए 24 गुण बताए जो अशोक चक्र के 24 तीलियों के रूप में निरूपित किये गये हैं।

  1. अनुराग
  2. पराक्रम
  3. धैर्य
  4. शान्ति
  5. महानुभावत्व
  6. प्रशस्तत्व
  7. श्रद्धान
  8. अपीदान
  9. निःसंग
  10. आत्मनियन्त्रण
  11. आत्माहवान
  12. सत्यवादिता
  13. धार्मिकत्व
  14. न्याय
  15. अनृशंस्य
  16. छाया (Gracefulness)
  17. अमानिता (Humility)
  18. प्रभुभक्ति
  19. करुणावेदिता (Sympathy)
  20. आध्यात्मिकज्ञान (Spiritual Knowledge)
  21. महोपेक्षा (क्षमा)
  22. अकल्कता (Honesty)
  23. अनादित्व (Eternity)
  24. अपेक्षा (आशा)
  • सिक्किम के राष्ट्रीय-ध्वज में धर्मचक्र का एक विशेष रूप स्वीकार किया गया है।

जैन धर्म में संपादित करें

जैन धर्म में चक्र का विशेष महत्व है जो जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों का प्रतिनिधित्व करता है.

चित्रदीर्घा संपादित करें

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. See the national flag code at http://www.mahapolice.gov.in/mahapolice/jsp/temp/html/flag_code_of_india.pdf Archived 2017-12-15 at the वेबैक मशीन and also the national symbols page of the National Portal of India at http://india.gov.in/india-glance/national-symbols Archived 2013-07-06 at the वेबैक मशीन