धार लौह स्तम्भ भारत के मध्य प्रदेश राज्य के धार नगर में स्थित एक विध्वंसित लोहे का स्तम्भ है जिसके सारे टुकड़ों का भार मिलाकर ७३०० किलोग्राम है, यानि दिल्ली के लौह स्तम्भ से लगभग १,००० किलोग्राम अधिक। इसकी निर्माण-व्युत्पत्ति आधिकारिक रूप से ज्ञात नहीं लेकिन स्थानीय स्रोतों के अनुसार यह ११वीं शताब्दी ईसवी में परमार राजवंश के राजा भोज द्वारा खड़ा किया गया विजय स्तम्भ था।[1]

धार लौह स्तम्भ के टुकड़े

आधुकनिक काल में इसके तीन अंश १५वीं शताब्दी में बनी लाट मस्जिद के पास स्थित हैं। स्थानीय हिन्दी उपभाषा में लाट का अर्थ "स्तम्भ" होता है और मस्जिद का नाम इसी स्तम्भ पर रखा गया है। स्तम्भ का एक चौथा अंश लापता है। मूल रूप से स्तम्भ ऊपर की ओर अधिक तंग था और नीचला भाग अधिक चौड़ा, जिससे यह ऊपरी अंश का भार उठाने में सक्षम था। सबसे निचले हिस्से का अनुप्रस्थ काट (क्रॉस सेक्शन) चतुर्भुजी था, मध्य अनुप्रस्थ चतुर्भुजी और अष्टभुजी, और सर्वोपरी अष्टभुजी लेकिन उसका सबसे ऊपरी भाग का अनुप्रस्थ छोटा और गोलाकार था। मिलाकर तीनों अंशों की कुल लम्बाई १३.२१ मीटर (४३ फ़ुट ४ इंच) है, जो यह संकेत देते हैं कि यह साबुत स्तम्भ दिल्ली के लौह स्तम्भ से दुगनी ऊँचाई का था। जब यह खड़ा किया गया, उस समय यह शायद विश्व का सबसे बड़ा कुट्टित वेल्डित लौह स्तम्भ रहा होगा।[2]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Balasubramaniam, R. (2002). "A new study of the Dhar iron pillar Archived 2015-07-06 at the वेबैक मशीन" (PDF). Indian Journal of History of Science 37: 115–151.
  2. "Portraits of a Nation: History of Ancient India: History," Kamlesh Kapur, pp. 367, Sterling Publishers Pvt Ltd, ISBN 9788120792333