नई शिक्षा नीति 2020

भारत की वर्तमान शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षा नीति है जिसे भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया। सन 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया परिवर्तन है।[1][2] यह नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित हैंं l इस रिपोर्ट में मास्टर संतोष कुमार, प्रोफेसर एमके श्रीधर आदि का योगदान सराहनीय है lयह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 27 अध्याय ओर 4 भागों मे विभक्त है

प्रमुख बातें[3]
  • (१) नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio-GER) को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है।
  • (२) नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत शिक्षा क्षेत्र पर सकल घरेलू उत्पाद के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।
  • (३) 'मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय' का नाम परिवर्तित कर 'शिक्षा मंत्रालय' कर दिया गया है।
  • (४) पाँचवीं कक्षा तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
  • (५) देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये "भारतीय उच्च शिक्षा परिषद" नामक एक एकल नियामक की परिकल्पना की गई है।
  • (६) शिक्षा नीति में यह पहला परिवर्तन बहुत पहले लिया गया था लेकिन अबकी बार 2020 में जारी किया गया|

पृष्ठभूमि संपादित करें

भारतीय संविधान के नीति निदेशक तत्वों में कहा गया है कि 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिये अनिवार्य एवं नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाए। 1948 में डॉ॰ राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग का गठन हुआ था। तभी से राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण होना भी शुरू हुआ था। कोठारी आयोग (1964-1966) की सिफारिशों पे आधारित 1968 में पहली बार महत्त्वपूर्ण बदलाव वाला प्रस्ताव इन्दिरा गांधी के प्रधानमन्त्री काल में पारित हुआ था।[4]

अगस्त 1985 'शिक्षा की चुनौती' नामक एक दस्तावेज तैयार किया गया जिसमें भारत के विभिन्न वर्गों (बौद्धिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यावसायिक, प्रशासकीय आदि) ने अपनी शिक्षा सम्बन्धी टिप्पणियाँ दीं और 1986 में भारत सरकार ने 'नई शिक्षा नीति 1986' का प्रारूप तैयार किया। इस नीति की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इसमें सारे देश के लिए एक समान शैक्षिक ढाँचे को स्वीकार किया और अधिकांश राज्यों ने 10 + 2 + 3 की संरचना को अपनाया। इसे राजीव गांधी के प्रधानमन्त्रीत्व में जारी किया गया था।[5]

इस नीति में 1992 में संशोधन किया गया था। 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में एक नवीन शिक्षा नीति बनाने का विषय शामिल था। 2019 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के लिये जनता से सलाह मांगना शुरू किया था।[4]

प्रमुख परिवर्तन संपादित करें

इस नई नीति में मानव संसाधन मंत्रालय का नाम पुनः "शिक्षा मंत्रालय" करने का फैसला लिया गया है। इसमें समस्त उच्च शिक्षा (कानूनी एवं चिकित्सीय शिक्षा को छोड़कर) के लिए एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग का गठन करने का प्रावधान है।[7] संगीत, खेल, योग आदि को सहायक पाठ्यक्रम या अतिरिक्त पाठ्यक्रम की बजाय मुख्य पाठ्यक्रम में ही जोड़ा जाएगा। शिक्षा तंत्र पर सकल घरेलू उत्पाद का कुल 6 प्रतिशत खर्च करने का लक्ष्य है जो इस समय 4.43% है।[8] ऍम॰ फिल॰ को समाप्त किया जायेगा। अब अनुसंधान में जाने के लिये तीन साल के स्नातक डिग्री के बाद दो साल स्नातकोत्तर करके पीएचडी में प्रवेश लिया जा सकता है।[1]

नीति में शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया गया है। व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की गई है। प्राइवेट स्कूलों में मनमाने ढंग से फीस रखने और बढ़ाने को भी रोकने का प्रयास किया जाएगा। पहले 'समूह' के अनुसार विषय चुने जाते थे, किन्तु अब उसमें भी बदलाव किया गया है। जो छात्र इंजीनियरिंग कर रहे हैं वह संगीत को भी अपने विषय के साथ पढ़ सकते हैं। नेशनल साइंस फाउंडेशन के तर्ज पर नेशनल रिसर्च फाउंडेशन लाई जाएगी जिससे पाठ्यक्रम में विज्ञान के साथ सामाजिक विज्ञान को भी शामिल किया जाएगा। नीति में पहले और दूसरे कक्षा में गणित और भाषा एवं चौथे और पांचवें कक्षा के बालकों के लेखन पर जोर देने की बात कही गई है।[9]

स्कूलों में 10+2 फार्मेट के स्थान पर 5+3+3+4 फार्मेट को शामिल किया जाएगा। इसके तहत पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक और कक्षा दो सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। पहले जहां सरकारी स्कूल कक्षा एक से शुरू होती थी वहीं अब तीन साल के प्री-प्राइमरी के बाद कक्षा एक शुरू होगी। इसके बाद कक्षा 3-5 के तीन साल शामिल हैं। इसके बाद 3 साल का मिडिल स्टेज आएगा यानी कक्षा 6 से 8 तक की कक्षा। चौथा स्टेज (कक्षा 9 से 12वीं तक का) 4 साल का होगा। पहले जहां ११वीं कक्षा से विषय चुनने की आज़ादी थी, वही अब ९वीं कक्षा से रहेगी।[10]

शिक्षण के माध्यम के रूप में पहली से पांचवीं तक मातृभाषा का इस्तेमाल किया जायेगा। इसमें रट्टा विद्या को ख़त्म करने की भी कोशिश की गई है जिसको मौजूदा व्यवस्था की बड़ी खामी माना जाता है।[11] किसी कारणवश विद्यार्थी उच्च शिक्षा के बीच में ही कोर्स छोड़ के चले जाते हैं। ऐसा करने पर उन्हें कुछ नहीं मिलता एवं उन्हें डिग्री के लिये दोबारा से नई शुरुआत करनी पड़ती है। नई नीति में पहले वर्ष में कोर्स को छोड़ने पर प्रमाण पत्र, दूसरे वर्ष पे छोड़ने पे डिप्लोमा एवं अंतिम वर्ष पे छोड़ने पे डिग्री देने का प्रावधान है।[12]

प्रतिक्रिया संपादित करें

नई शिक्षा नीति की घोषणा के उपरान्त बुद्धिजीवियों, आम जनता एवं शिक्षा जगत में मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। वहीं मुख्यता इसमें घोषित बदलावों का स्वागत किया गया है।[8] लेकिन इसके कई लक्ष्य के पूरा होने पर संदेह व्यक्त किया गया। शिक्षा पर जीडीपी का छह फीसदी खर्च करने का लक्ष्य बहुत ही पुराना है जिसे फिर से दोहराया गया है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति एम॰ जगदीश कुमार ने इस शिक्षा नीति को समावेशी कहा है।[13]

कांग्रेस नेता एवं सांसद शशि थरूर का कहना है कि इस नीति में रखे कई लक्ष्य ऐसे हैं जिनकी पूर्ण होने की संभावना कम है।[14] बीबीसी के अनुसार इस नीति में आरएसएस की पद्धति और योजना को शामिल किया गया है।[15]

दिल्ली विश्वविद्यालय के संगठन दूटा (DUTA) ने इसकी कड़ी आलोचना करते हुए इसे आपत्तिजनक माना है जिसका कहना है कि इसके द्वारा विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को बोर्ड ऑफ़ गवर्नर के ज़िम्मे झोंक देना अनुचित है।[16]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "नई शिक्षा नीति: पढ़ाई, परीक्षा, रिपोर्ट कार्ड सब में होंगे ये बड़े बदलाव". आज तक. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2020.
  2. "नई शिक्षा नीति पर BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा बोले- नई शिक्षा नीति नए भारत की जरूरतों को ध्यान में रखती है". पंजाब केसरी. 29 जुलाई 2020. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2020.
  3. नई शिक्षा नीति, 2020
  4. "नई शिक्षा नीति-2020: प्रमुख पॉइंट्स एक नजर में". 30 जुलाई 2020. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2020.
  5. "आइए जानें आखिर देश की शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जरूरत क्यों पड़ी". दैनिक जागरण. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2020.
  6. Rohatgi, Anubha, संपा॰ (2020-08-07). "Highlights | NEP will play role in reducing gap between research and education in India: PM Modi". Hindustan Times. अभिगमन तिथि 2020-08-08.
  7. "New Education Policy 2020 : 5वीं तक पढ़ाई अब मातृभाषा में, स्नातक तक प्रवेश की एक परीक्षा". अमर उजाला. अभिगमन तिथि 31 जुलाई 2020.
  8. "नई शिक्षा नीति". नवभारत टाइम्स. अभिगमन तिथि 31 जुलाई 2020.
  9. "नई शिक्षा नीति: पढ़ाई, परीक्षा, रिपोर्ट कार्ड सब में होंगे ये बड़े बदलाव". आज तक. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2020.
  10. "नई शिक्षा नीति 2020 : स्कूल एजुकेशन, बोर्ड एग्जाम, ग्रेजुएशन डिग्री में हुए बड़े बदलाव, जानें 20 खास बातें". हिन्दुस्तान लाइव. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2020.[मृत कड़ियाँ]
  11. सिंह, प्रोफेसर दिनेश (29 जुलाई 2020). "स्कूली और उच्च शिक्षा की बेड़ियां खोलेगी नई शिक्षा नीति". द क्विंट. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2020.
  12. "New Education Policy: अब केमिस्ट्री के साथ म्यूजिक, फिजिक्स के साथ फैशन डिजाइनिंग पढ़ सकेंगे छात्र". आज तक. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2020.
  13. "नई शिक्षा नीति से कितनी बदलेगी शिक्षा व्यवस्था? जानिए-क्या कहते हैं जानकार". आज तक. अभिगमन तिथि 31 जुलाई 2020.
  14. "नई शिक्षा नीति का समर्थन कर शशि थरूर बोले- कई लक्ष्य सच्चाई से परे, बजट पर चिंता". आज तक. अभिगमन तिथि 31 जुलाई 2020.
  15. सिंह, सरोज (30 जुलाई 2020). "नई शिक्षा नीति 2020: सिर्फ़ आरएसएस का एजेंडा या आम लोगों की बात भी". बीबीसी हिन्दी. अभिगमन तिथि 31 जुलाई 2020.
  16. NEP 2020: Student, Teacher Bodies Call The New Education Policy ‘Anti-democratic’

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें