नात ए शरीफ़ : (अरबी - نعت) उर्दू और फ़ारसी में नात ए शरीफ़ (نعت شریف) : इस्लामी पद्य साहित्य में एक पद्य रूप है, जिस में पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब की तारीफ़ करते लिखी जाती है।[1] [2] इस पद्य रूप को बडे अदब से गाया भी जाता है। अक्सर नात ए शरीफ़ लिखने वाले आम शायर को नात गो शायर कहते हैं और गाने वाले को नात ख्वां कहते हैं।

यह नात ख्वानी का रिवाज भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश में आम है। भाशा अनुसार देखें तो, पश्तो, बंगाली, उर्दू और पंजाबी में नात ख्वानी आम है। नात ख्वां तुर्की, फ़ारसी, अरबी, उर्दू, बंगाली, पंजाबी, अंग्रेज़ी, कश्मीरी और सिंधी भाशाओं में आम है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. http://sufisaints.com/forumss/index.php?topic=642.0 Archived 2017-01-13 at the वेबैक मशीन, Definition or meaning of Naat on sufisaints.com website, Retrieved 10 Jan 2017
  2. "Naat Sharif ( Meaning of Naat & Hamd ) - Naat by Sahaba-e-Ikhram". Sufi Saints. SMF. मूल से 13 January 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 January 2017.