दंशकोरक दंशधारी नामक संघ के प्राणीयों - जिनमें समुद्री मूँगा, हाइड्रा, जेली मछली शामिल हैं - में पाई जाने वाली एक विस्फोटक कोशिका होती है। कोशिकाओं में एक विष से भरा हुआ निमैटोसिस्ट या निडोसिस्ट नामक कोशिकांग होता है जिसे यह प्राणी परभक्षियों से बचने के लिये या फिर अपने ग्रास को मारने हेतु कोशिका में विस्फोट करके बाहर की ओर चला देते हैं।[1] जब एक साथ कई दंशकोरकों द्वारा चलाए गये निमैटोसिस्टों का प्रहार किसी अन्य प्राणी पर होता है तो उसे चोट लगती है या वह मूर्छित हो जाता है या, अगर वह छोटा है, तो मर जाता है। यही कारण है कि जेली मछली के स्पर्शक लगने पर मानव व अन्य प्राणियों को काटे जाने का अनुभव होता है और जिस शरीर के भाग का उनके साथ स्पर्श होता है उसे क्षति पहुँचती है।[2]

सूक्ष्मदर्शी द्वारा लिया गया एक निमैटोसिस्ट का चित्र। यह निमैटोसिस्ट चलाया जा चुका है और इसका कुछ अंश विष ही लाल रंग में इसके अंदर दिख रहा है

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सन्दर्भ संपादित करें

  1. Holstein T., Tardent P. (1984). "An ultrahigh-speed analysis of exocytosis: nematocyst discharge". Science 223 (4638): 830–833. doi:10.1126/science.6695186. PMID 6695186
  2. Brinkman D, Burnell J (November 2007). "Identification, cloning and sequencing of two major venom proteins from the box jellyfish, Chironex fleckeri". Toxicon 50 (6): 850–60. doi:10.1016/j.toxicon.2007.06.016. PMID 17688901.