नियोग

अन्य पुरूष द्वारा गर्भाधान की हिंदू परंपरा

नियोग को मेडिकल भाषा में "Surrogacy" कहा जाता है । आज दुनियां भर में सेरोगेसी से कई महिलाएं गर्भ धारण करती है ।[1]

हिन्दू धर्म में नियोग संपादित करें

नियोग कब करने की अनुमति है संपादित करें

नियोग केवल उन विधवा स्त्री के लिए था जिसका पति मर गया और वह बिना दूसरा विवाह किए , संतान चाहती हो ।

विधवायां नियुक्तस्तु घृताक्तो वाग्यतो निशि। एकं उत्पादयेत्पुत्रं न द्वितीयं कथं चन ।। (मनुस्मृति 9:60)[2]

अर्थ-विधवा स्त्री अगर संतान चाहे तो पिता की आज्ञा पाकर शरीर पर घी लगाकर नियोग द्वारा पुत्र उत्पन्न करें और एक पुत्र के अतिरिक्त दूसरा कभी उत्पन्न न करें।

बेवजह नियोग करने पर पाप और सामाजिक बहिस्कार संपादित करें

नियोग केवल विधवा व निःसंतान स्त्रियों के लिए था जो दोबारा विवाह नहीं करना चाहती। इसलिए जब तक अपातकाल न हो तब तक नियोग की अनुमति नहीं , अगर कोई करे तो उसका सामाजिक बहिष्कार करके बाहर निकलवा दिया जाता था ।

ज्येष्ठो यवीयसो भार्यां यवीयान्वाग्रजस्त्रियम् । पतितौ भवतो गत्वा नियुक्तावप्यनापदि ।। (मनुस्मृति-9:58)[3]

अर्थ- आपतकाल न हो और पिता की आज्ञा से भी यदि बड़े भाई और छोटे भाई की स्त्री नियोग करती है तो वो दोनों पाप के भागीदारी होंगे और वर्णाश्रम भ्रस्ट हो जायेगा।

विधवा अगर चाहे तो दोबारा विवाह कर सकती है संपादित करें

पति के मृत्यु के बाद अगर विधवा संतान चाहे तो जरूरी नहीं की वो नियोग करे , अगर वो दोबारा विवाह करना चाहे तो कर सकती है । किंतु अगर वो बिना पुनर्विवाह के संतान चाहती है तो नियोग के लिए पिता से आज्ञा लेकर , नियोग कर सकती है ।

सा चेदक्षतयोनिः स्याद्गतप्रत्यागतापि वा । पौनर्भवेन भर्त्रा सा पुनः संस्कारं अर्हति ।। (मनुस्मृति-9:176)[4]

अर्थ- अक्षत योनि स्त्री ( जिस स्त्री का विवाह तो हो गया है परन्तु उसका पति से शारीरिक सम्बन्ध न हो) तो वह पुनः विवाह करने योग्य होती है अथवा अगर वो चाहे तो दूसरे से विवाह कर सकती है।

शब्दार्थ उन्मूलन संपादित करें

नियोग में कई जगह देवर शब्द देखने को मिलते है जिनका अर्थ संस्कृत के व्याकरण ग्रंथ निरुक्त में दिया है जिसको प्राचीन काल में महर्षि याश्क ने लिखा था।

देवर: कस्माद् द्वितीयो वर उच्यते।

(निरुक्त 3:15)[5]

भावार्थ- देवर उसको कहते हैं जो विधवा का दूसरा पति होता है, चाहे छोटा भाई या बड़ा भाई, अथवा अपने वर्ण वा अपने से उत्तम वर्ण वाला हो, जिससे नियोग करे, उसी का नाम 'देवर' है।

नियम संपादित करें

नियोग प्रथा के धर्मशास्त्र अनुसार नियम :-

१. कोई भी महिला इस प्रथा का पालन केवल संतान प्राप्ति के लिये करेगी न कि आनंद के लिए।

२. तपस्वी पुरुष केवल धर्म के पालन के लिये इस प्रयोग करेगा। उसका धर्म यही होगा कि वह उस महिला को संतान प्राप्ति करने में मदत कर रहा है।

३. इस प्रथा से जन्मा बच्चा वैध होगा और विधिवत रूप से बच्चा पति-पत्नी का होगा, नियुक्त व्यक्ति का नहीं।

४. तपस्वी पुरुष उस बच्चे के पिता होने का अधिकार नहीं मांगेगा और भविष्य में बच्चे से कोई रिश्ता नहीं रखेगा।

५. इस प्रथा का दुरूपयोग न हो, इसलिएये पुरुष अपने जीवन काल में केवल तीन बार नियोग का पालन कर सकता है।

६. इस कर्म को धर्म का पालन समझा जायेगा और इस कर्म को करते समय नियुक्त पुरुष और पत्नी के मन में केवल धर्म ही होना चाहिए, नियुक्त पुरुष धर्म और भगवान के नाम पर यह कर्म करेगा और पत्नी इसका पालन केवल अपने और अपने पति के लिए संतान पाने के लिए करेगी।

७. नियोग तपस्वी पुरुष आखे बंद करके ध्यान मे बैठ जने पर महिला को संबे से गुजराना पाढता है

८.तब तपस्वी पुरुष अपनी तपोशक्ती से शुक्र गर्भ मे स्थापित करता हैं

इस्लाम में नियोग संपादित करें

कुरान की कुछ आयतों में नियोग जैसी रीतियां देखने को मिलती है:

१. और (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब तुम उस शख्स (ज़ैद) से कह रहे थे जिस पर खुदा ने एहसान (अलग) किया था और तुमने उस पर (अलग) एहसान किया था कि अपनी बीबी (ज़ैनब) को अपनी ज़ौज़ियत में रहने दे और खुदा से डेर खुद तुम इस बात को अपने दिल में छिपाते थे जिसको (आख़िरकार) खुदा ज़ाहिर करने वाला था और तुम लोगों से डरते थे हालॉकि खुदा इसका ज्यादा हक़दार है कि तुम उस से डरो ग़रज़ जब ज़ैद अपनी हाजत पूरी कर चुका (तलाक़ दे दी) तो हमने (हुक्म देकर) उस औरत (ज़ैनब) का निकाह तुमसे कर दिया ताकि आम मोमिनीन को अपने ले पालक लड़कों की बीवियों (से निकाह करने) में जब वह अपना मतलब उन औरतों से पूरा कर चुकें (तलाक़ दे दें) किसी तरह की तंगी न रहे और खुदा का हुक्म तो किया कराया हुआ (क़तई) होता है।

ऐ ईमानवालों जब तुम मोमिना औरतों से (बग़ैर मेहर मुक़र्रर किये) निकाह करो उसके बाद उन्हें अपने हाथ लगाने से पहले ही तलाक़ दे दो तो फिर तुमको उनपर कोई हक़ नहीं कि (उनसे) इद्दा पूरा कराओ उनको तो कुछ (कपड़े रूपये वग़ैरह) देकर उनवाने शाइस्ता से रूख़सत कर दो।

ऐ नबी हमने तुम्हारे वास्ते तुम्हारी उन बीवियों को हलाल कर दिया है जिनको तुम मेहर दे चुके हो और तुम्हारी उन लौंडियों को (भी) जो खुदा ने तुमको (बग़ैर लड़े-भिड़े) माले ग़नीमत में अता की है और तुम्हारे चचा की बेटियाँ और तुम्हारी फूफियों की बेटियाँ और तुम्हारे मामू की बेटियाँ और तुम्हारी ख़ालाओं की बेटियाँ जो तुम्हारे साथ हिजरत करके आयी हैं (हलाल कर दी और हर ईमानवाली औरत (भी हलाल कर दी) अगर वह अपने को (बग़ैर मेहर) नबी को दे दें और नबी भी उससे निकाह करना चाहते हों मगर (ऐ रसूल) ये हुक्म सिर्फ तुम्हारे वास्ते ख़ास है और मोमिनीन के लिए नहीं और हमने जो कुछ (मेहर या क़ीमत) आम मोमिनीन पर उनकी बीवियों और उनकी लौंडियों के बारे में मुक़र्रर कर दिया है हम खूब जानते हैं और (तुम्हारी रिआयत इसलिए है) ताकि तुमको (बीवियों की तरफ से) कोई दिक्क़त न हो और खुदा तो बड़ा बख़शने वाला मेहरबान है।

-कुरान मजीद: सूरा 33 (अल-अहजाब), आयत 37, 49 और 50

२. वलीद घबराया और तलवार खींचकर अपनी माँ से कहा- सच बता कि मैं किसका बेटा हूँ? माँ ने कहाँ- तेरा बाप नामर्द था, और तेरे चचेरे भाई की आंखे हमारी जायदाद पर लगी हुई थी, मैंने अपने गुलाम से बदफैली (नियोग ) कराई और तू पैदा हुआ।

-कुरान मजीद : सूरा कलम रुकू 1

तीन तलाक़ और हलाला इस्लाम का अहम हिस्सा है जिसके आयत कुछ इस प्रकार है :

فَإِن طَلَّقَهَا فَلَا تَحِلُّ لَهُ مِن بَعْدُ حَتَّىٰ تَنكِحَ زَوْجًا غَيْرَهُ ۗ فَإِن طَلَّقَهَا فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَا أَن يَتَرَاجَعَا إِن ظَنَّا أَن يُقِيمَا حُدُودَ اللَّهِ ۗ وَتِلْكَ حُدُودُ اللَّهِ يُبَيِّنُهَا لِقَوْمٍ يَعْلَمُونَ

{कुरान : सुरा 2 (अल बकराह ) : आयत 230}[6]

अर्थ : " (दो तलाक़ो के पश्चात) फिर यदि वह उसे तलाक़ दे दे, तो इसके पश्चात वह उसके लिए वैध न होगी, जबतक कि वह उसके अतिरिक्त किसी दूसरे पति से निकाह न कर ले। अतः यदि वह उसे तलाक़ दे दे तो फिर उन दोनों के लिए एक-दूसरे को पलट आने में कोई गुनाह न होगा, यदि वे समझते हो कि अल्लाह की सीमाओं पर क़ायम रह सकते है। और ये अल्लाह कि निर्धारित की हुई सीमाएँ है, जिन्हें वह उन लोगों के लिए बयान कर रहा है जो जानना चाहते हो ।

सहीह हदीशों में यह कुछ इस प्रकार वर्णित हैं:

حَدَّثَنَا عَبْدُ اللَّهِ بْنُ مُحَمَّدٍ، حَدَّثَنَا سُفْيَانُ، عَنِ الزُّهْرِيِّ، عَنْ عُرْوَةَ، عَنْ عَائِشَةَ ـ رضى الله عنها ـ جَاءَتِ امْرَأَةُ رِفَاعَةَ الْقُرَظِيِّ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم فَقَالَتْ كُنْتُ عِنْدَ رِفَاعَةَ فَطَلَّقَنِي فَأَبَتَّ طَلاَقِي، فَتَزَوَّجْتُ عَبْدَ الرَّحْمَنِ بْنَ الزَّبِيرِ، إِنَّمَا مَعَهُ مِثْلُ هُدْبَةِ الثَّوْبِ‏.‏ فَقَالَ ‏ "‏ أَتُرِيدِينَ أَنْ تَرْجِعِي إِلَى رِفَاعَةَ لاَ حَتَّى تَذُوقِي عُسَيْلَتَهُ وَيَذُوقَ عُسَيْلَتَكِ ‏" ‏‏.‏ وَأَبُو بَكْرٍ جَالِسٌ عِنْدَهُ وَخَالِدُ بْنُ سَعِيدِ بْنِ الْعَاصِ بِالْبَابِ يَنْتَظِرُ أَنْ يُؤْذَنَ لَهُ، فَقَالَ يَا أَبَا بَكْرٍ، أَلاَ تَسْمَعُ إِلَى هَذِهِ مَا تَجْهَرُ بِهِ عِنْدَ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم‏.‏

(सहीह बुखारी : हदीस 2639)[7]

अर्थ : आयशा ने फ़रमाया: रिफा अल-कुराज़ी की पत्नी रसूल (ﷺ) के पास आई और कहा, "मैं रिफा अल-कुराज़ी की पत्नी थी, पर मेरे शौहर ने मुझे तलाक दे दिया और यह एक अंतिम और अपरिवर्तनी तलाक था। फिर मैंने अब्दुर-रहमान बिन अज़-जुबैर से शादी की, पर वह नपुंसक है।" रसूल (ﷺ) ने उससे पूछा, "क्या तुम रिफा अल-कुराज़ी के साथ फिर से शादी करना चाहती हो? लेकिन तुम अपने वर्तमान पति के साथ पूरा यौन संबंध बिना बनाए दोबारा पूर्व पति से निकाह नही कर सकती ।" अबू बक्र अल्लाह के रसूल (ﷺ) के साथ बैठे थे और खालिद बिन सैद बिन अल-आस दरवाजे पर प्रवेश करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे। उसने कहा, "हे अबू बक्र! क्या तुम्हें यह सुनने का अवसर मिल रहा है कि यह (स्त्री) खुलकर रसूल (ﷺ) के सामने क्या बोल रही थी।"

حَدَّثَنِي يَحْيَى، عَنْ مَالِكٍ، عَنِ الْمِسْوَرِ بْنِ رِفَاعَةَ الْقُرَظِيِّ، عَنِ الزُّبَيْرِ بْنِ عَبْدِ الرَّحْمَنِ بْنِ الزَّبِيرِ، أَنَّ رِفَاعَةَ بْنَ سِمْوَالٍ، طَلَّقَ امْرَأَتَهُ تَمِيمَةَ بِنْتَ وَهْبٍ فِي عَهْدِ رَسُولِ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم ثَلاَثًا فَنَكَحَتْ عَبْدَ الرَّحْمَنِ بْنَ الزَّبِيرِ فَاعْتَرَضَ عَنْهَا فَلَمْ يَسْتَطِعْ أَنْ يَمَسَّهَا فَفَارَقَهَا فَأَرَادَ رِفَاعَةُ أَنْ يَنْكِحَهَا - وَهُوَ زَوْجُهَا الأَوَّلُ الَّذِي كَانَ طَلَّقَهَا - فَذَكَرَ ذَلِكَ لِرَسُولِ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم فَنَهَاهُ عَنْ تَزْوِيجِهَا وَقَالَ ‏ "‏ لاَ تَحِلُّ لَكَ حَتَّى تَذُوقَ الْعُسَيْلَةَ ‏"

(मुवत्ता मलिक :पुस्तक 28 : हदीस 17)[8]

अर्थ : "यह्या मलिक से मुझसे यह सुना, अल-मिस्वार इब्न रिफा अल-कुराधी से, अज़-ज़ुबैर इब्न अब्द अर-रहमान इब्न अज़-ज़ुबैर से कि रिफा इब्न सिमवाल ने अपनी पत्नी, तामिमा बिन्त वाहब, को आपके समय में, अल्लाह के रसूल के समय में, तीन बार तलाक दे दिया। फिर उन्होंने अब्द अर-रहमान इब्न अज़-ज़ुबैर से शादी की, लेकिन उसने उससे दूर हो गया और शादी को समाप्त नहीं किया और इसलिए उसने उससे अलग हो गया। रिफा ने फिर से उससे शादी करने का इरादा किया और यह अल्लाह के रसूल को बताया गया और उन्होंने उसे उससे शादी करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा, 'तुम उससे दोबारा शादी करने के लिए हलाल नहीं होगे जब तक कि उसने नए शौहर से सम्भोग का स्वाद नहीं चखा।'"

बाइबिल में नियोग संपादित करें

यहूदा ने ओनान से कहा- अपनी (विधवा) भौजाई के पास जा और उसके साथ देवर का धर्म पूरा करके अपने भाई के लिए संतान जन्मा।

(बाइबिल:उत्पत्ति 38:8)[9][10]

जब कई भाई संग रहते हों और उनमें से एक निपुत्र मर जाए तो उसकी स्त्री का ब्याह पर गोत्री से न किया जाय। उसके पति का भाई उसके पास जाकर उसे अपनी स्त्री कर ले।

(बाइबिल:व्यवस्था विवरण 25:5)[11][12]

नियोग से इंकार करने पर सजा संपादित करें

बाईबल के अनुसार यदि देवर नियोग से इंकार करे तो भाई की पत्नी उन वृद्ध लोगों के सामने उसके मूंह पर थूके और जूते उसके पाव से उतारे:

7 यदि उस स्त्री के पति के भाई को उसे ब्याहना न भाए, तो वह स्त्री नगर के फाटक पर वृद्ध लोगों के पास जा कर कहे, कि मेरे पति के भाई ने अपने भाई का नाम इस्त्राएल में बनाए रखने से नकार दिया है, और मुझ से पति के भाई का धर्म पालन करना नहीं चाहता। 8तब उस नगर के वृद्ध उस पुरूष को बुलवाकर उसे समझाएं; और यदि वह अपनी बात पर अड़ा रहे, और कहे, कि मुझे इस को ब्याहना नहीं भावता, 9 तो उसके भाई की पत्नी उन वृद्ध लोगों के साम्हने उसके पास जा कर उसके पांव से जूती उतारे, और उसके मूंह पर थूक दे; और कहे, जो पुरूष अपने भाई के वंश को चलाना न चाहे उस से इसी प्रकार व्यवहार किया जाएगा। 10 तब इस्राएल में उस पुरूष का यह नाम पड़ेगा, अर्थात जूती उतारे हुए पुरूष का घराना॥

- (बाइबिल-व्यवस्थाविवरण 25: 7-10)[13][14]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Surrogacy". Yale Medicine (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-12-14.
  2. "Manu Smriti , 9:60". aryamantavya.in (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-12-14.
  3. "Manu Smriti , 9:58". aryamantavya.in (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-12-14.
  4. "Manu Smriti ,9:176". aryamantavya.in (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-12-14.
  5. यास्क, महर्षि. "निरुक्त". गूगल बुक.
  6. "अल बकराह आयत २३० | Al-Baqarah: 230 | 2:230 - Quran O". qurano.com. अभिगमन तिथि 2023-12-14.
  7. "Sahih Bukhari , Hadith 2639".
  8. Malik, Muwatta. "Book 28 , Hadith 17".
  9. "What does Genesis 38:8 mean?". BibleRef.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-12-14.
  10. उत्पत्ति 38 | HHBD बाइबिल का अनुवाद | YouVersion.
  11. व्‍यवस्‍था-विवरण 25 | HINCLBSI बाइबिल का अनुवाद | YouVersion.
  12. Leemeek. "व्यवस्थाविवरण 25 : - पवित्र बाइबिल : hindi Bible online - Deuteronomy Book, chapter 25, verse All". hindi-bible.el-elupath-elu.in. अभिगमन तिथि 2023-12-14.
  13. व्यवस्थाविवरण  : किताब 25 : आयत 7,8,9,10 | HHBD बाइबिल का अनुवाद | YouVersion.
  14. Leemeek. "व्यवस्थाविवरण 25 : 7 - पवित्र बाइबिल : hindi Bible online - Deuteronomy Book, chapter 25, verse 7". hindi-bible.el-elupath-elu.in. अभिगमन तिथि 2023-12-14.