पद्मा सचदेव

भारतीय कवयित्री और उपन्यासकार

पद्मा सचदेव (17 अप्रैल 1940 – 4 अगस्त 2021) एक भारतीय कवयित्री और उपन्यासकार थीं। वे डोगरी भाषा की पहली आधुनिक कवयित्री रही हैं।[1]वे हिन्दी में भी लिखती थीं। उनके कतिपय कविता संग्रह प्रकाशित हुये, किन्तु "मेरी कविता मेरे गीत" के लिए उन्हें 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।[2]उन्हें वर्ष 2001 में पद्म श्री और वर्ष 2007-08 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कबीर सम्मान प्रदान किया गया।[3][4]

पद्मा सचदेव
जन्म17 अप्रैल 1940
पुरमण्डल (जम्मू),जम्मू और कश्मीर, भारत
मौत4 अगस्त 2021(2021-08-04) (उम्र 81)
मुंबई
पेशाकवयित्री, लेखिका
भाषाडोगरी भाषा, हिन्दी
राष्ट्रीयताभारतीय
नागरिकताभारतीय
उल्लेखनीय कामsमेरी कविता मेरे गीत
खिताबसाहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार, हिन्दी अकादमी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी अकादमी सौहार्द पुरस्कार, राजा राममोहन राय पुरस्कार, जोशुआ पुरस्‍कार, कबीर सम्‍मान, अनुवाद पुरस्‍कार, पद्म श्री
जीवनसाथीसुरिंदर सिंह (1966-वर्तमान)

प्रारंभिक जीवन संपादित करें

पद्मा का जन्म 17 अप्रैल 1940 को पुरमण्डल (जम्मू),जम्मू और कश्मीर, भारत में हुआ था। उनके पिता प्रो॰ जयदेव शर्मा हिन्दीसंस्कृत के प्रकांड पंडित थे, जो 1947 में भारत के [विभाजन] के दौरान मारे गए थे। वे अपने चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनकी शादी 1966 में 'सिंह बंधू' नाम से प्रचलित सांगीतिक जोड़ी के गायक 'सुरिंदर सिंह' से हुई।[5] वर्तमान में वे नई दिल्ली में रहती हैं।[2]

अनके जीवन मे किया हूऐ काम संपादित करें

पद्मा ने प्रारंभिक दिनों में जम्मू और कश्मीर रेडियो में स्टाफ कलाकार के पद पर एवं बाद में दिल्ली रेडियो में डोगरी समाचार वाचिका के पद पर कार्य किया।[2] पहले उन्होने कवयित्री के रूप में ख्याति प्राप्त की, फिर लोकगीतों से प्रभावित होकर 'मेरी कविता मेरे गीत' लिखे इस काव्य संग्रह पर इनको १९७१ का 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' मिला। बाद में उन्होने हिन्दी और डोगरी गद्य पर भी वैसा ही अधिकार दिखाया जो डोगरी कविता पर। अपने तीन और कविता संग्रहों के पश्चात जम्मू कश्मीर की कला संस्कृति और भाषा अकादमी से उन्हें "रोब ऑफ आनर" मिला। वे उ.प्र. हिन्दी सहित्य अकादमी पुरस्कार, राजाराम मोहन राय पुरस्कार से भी सम्मानित हुई। डोगरी कहानी के क्षेत्र में उनके आगमन से एक नई मानसिकता व नई संवेदन शक्ति का संचार हुआ।[1][2]

अनके कीऐ प्रकाशित कार्य संपादित करें

  • नौशीन. किताबघर, 1995.
  • मैं कहती हूँ आखिन देखि (यात्रा वृत्तांत). भारतीय ज्ञानपीठ, 1995.
  • भाई को नही धनंजय. भारतीय ज्ञानपीठ, 1999. ISBN 8126301309.
  • अमराई. राजकमल प्रकाशन, 2000. ISBN 8171787649.
  • जम्मू जो कभी सहारा था (उपन्यास). भारतीय ज्ञानपीठ, 2003. ISBN 8126308869.
  • फिर क्या हुआ?, जानेसवेरा और पार्थ सेनगुप्ता के साथ. नेशनल बुक ट्रस्ट, 2007. ISBN 812375042.
  • इसके अलावा तवी ते चन्हान, नेहरियाँ गलियाँ, पोता पोता निम्बल, उत्तरबैहनी, तैथियाँ, गोद भरी तथा हिन्दी में एक विशिष्ठ उपन्यास 'अब न बनेगी देहरी' आदि।[6]

अँग्रेजी में अनुवाद

अतिरिक्त अध्ययन संपादित करें

सम्मान/पुरस्कार संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. K. M. George; Sahitya Akademi (1992). Modern Indian Literature, an Anthology: Plays and prose. Sahitya Akademi. पृ॰ 522. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 8172013248.
  2. "Sahitya Akademi Award". Official website. मूल से 21 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अप्रैल 2014. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "mathur" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  3. "Padma Awards Directory (1954–2009)" (PDF). गृह मंत्रालय. मूल (PDF) से 10 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अप्रैल 2014.
  4. "Rashtriya Mahatma Gandhi Award to be given to Seva Bharti". August 10, 2008. मूल से 27 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अप्रैल 2014.
  5. "Song of the Singhs". द हिन्दू. May 6, 2004. मूल से 5 जुलाई 2004 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अप्रैल 2014.
  6. अभिव्यक्ति में पद्मा सचदेव की प्रोफाइल

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें