थेरवाद परम्परा के अनुसार प्रथम बौद्ध संगीति महात्मा बुद्ध के परिनिर्वाण के अगले वर्ष (५४३ - ५४२ ईसापूर्व) हुई थी। किन्तु महायान परम्परा के अनुसार यह संगीति इससे भी पूर्व अलग-अलग तिथियों पर होने की सूचना मिलती है। कुछ पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार प्रथम संगीति, उक्त तिथि के बाद हुई थी।

राजगृह में प्रथम बौद्ध संगीति (श्रावस्ती के नव जेतवन में स्थित चित्र)

यह संगीति मगधसम्राट अजातशत्रु द्वारा राजगृह आहूत में की गयी थी। इसमें ५०० से ३०० भिक्षुओं ने भाग लिया था। सूत्रों के अनुसार राजगृह में यह संगीति सप्तपर्णी गुफा, क्षत्रिय गुफा, पिप्पल पर्वत या गृधकूट में हुई थी। इस संगीति की अध्यक्षता महाकाश्यप ने की थी। इस संंगीति में ज्ञान की प्राप्ति कर बौद्ध भिक्षुओं मौक्ष पाने के लिए स्वंय को धर्म पथ पर अपना जीवन व्यतीत करते थे। प्रथम बौद्ध संगीति के कार्य- 1) सुत्त पिटक का संकलन आनंद ने किया। 2) विनय पिटक का संकलन उपाली ने किया।