प्रभाचन्द्र

भारतीय जैन भिक्षु।

प्रभाचन्द्र (११वीं शताब्दी ई.)[1] एक दिगम्बर साधु तथा अनेक जैन दार्शनिक ग्रन्थों के प्रणेता हैं।[2][3]

जीवनी संपादित करें

प्रभाचन्द्र के अनुसार, अजमेर-विजय के पश्चात कुमारपाल ने जैन धर्म स्वीकार कर लिया और अजितनाथ का अराधक बन गया।

कृतियाँ संपादित करें

  • न्यायकुमुदचन्द्र : अकलंक की कृति लघीयस्त्रय की टीका[3][2]

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें