प्रवासन हेतु अंतरराष्ट्रीय संगठन

प्रवासन हेतु अंतर्राष्ट्रीय संगठन (IOM) एक संयुक्त राष्ट्र संस्था है जो आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों, शरणार्थियों और प्रवासी श्रमिकों सहित सरकारों और प्रवासियों को प्रवासन से संबंधित सेवाएं और सलाह प्रदान करती है।

प्रवासन हेतु अंतरराष्ट्रीय संगठन
स्थापना 6 दिसंबर 1951
प्रकार संयुक्त राष्ट्र संस्था
मुख्यालय जेनेवा, स्वित्सरलैंड
सदस्यता
174 सदस्य राज्य और 8 पर्यवेक्षक राज्य
जालस्थल www.iom.int

IOM की स्थापना 1951 में यूरोपीय प्रवासन के लिए अन्तर-सरकारी समिति (ICEM) के रूप में की गई थी, ताकि द्वितीय विश्व युद्ध से विस्थापित हुए लोगों की सहायता की जा सके। यह 2016 में संयुक्त राष्ट्र की संस्था बन गई।

स्थापना एवं विकास संपादित करें

बुसेल्स में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रवासन सम्मेलन (1951) द्वारा गठित एक अस्थायी अंतरसरकारी समिति को यूरोप से होने वाले प्रवसन के संचरण की देखरेख का काम सौंपा गया। 1952 में इस समिति ने यूरोपीय प्रवासन हेतु एक अंतरसरकारी समिति (आईसीईएम)के रूप में अपना कार्य शुरू किया तथा इसकी गतिविधियां यूरोप से उत्तरी अमेरिका, लैटिन अमेरिका एवं ओसीनिया की ओर होने वाली जनंसख्या विस्थापन तक सीमित थीं। आईसीईएस का संविधान 1954 में लागू हुआ। नवंबर 1980 में यूरोपीय शब्द को हटा दिया गया और इसे अंतरराष्ट्रीय प्रवासन समिति (आईसीएम) कहा जाने लगा। 1987 में आईसीएम के संविधान में पुनः संशोधन किये गये, जो 1989 से लागू हुए। इन संशोधनों के फलस्वरूप वर्तमान संगठन आईओएम औपचारिक रूप से अस्तित्व में आ गया।

उद्देश्य संपादित करें

आईओएम का उद्देश्य प्रवासियों (जिनमें शरणार्थी, विस्थापित तथा गृह प्रदेश से बलात् निष्कासित व्यक्ति शामिल हैं) के संगठित विस्थापन में सहायता देना अप्रवासी एवं उत्प्रवासी दोनों देशों की जरूरतों को पूरा करना तथा प्रवासियों को पुनर्वास सुविधाएँ उपलब्ध कराना है।

संरचना एवं कार्य संपादित करें

इसमें एक परिषद कार्यकारी समिति तथा सचिवालय शामिल है। परिषद में सभी सदस्य देशों व पर्यवेक्षकों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं। इसकी वार्षिक बैठक होती है। यह नीति कार्यक्रम एवं वित सम्बंधी मामलों का निर्णय करती है नौ सदस्यीय कार्यकारी समिति की बैठक वर्ष में दो बार होती है तथा इसका चुनाव वार्षिक होता है। सामिति द्वारा परिषद् के लिए कार्ययोजना तैयार की जाती है तथा बजट, वित्त व यातायात के समन्वय पर दी गयी उप-समितियों की रिपोर्ट के आधार अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की जाती हैं। सचिवालय एक महानिदेशक के अधीन कार्य करता है।

गतिविधियां संपादित करें

1952 से लेकर अब तक आईओएम द्वारा एक करोड़ प्रवासियों व शरणार्थियों तक अपनी सहायता पहुंचायी गयी है। आईओएम की गतिविधियां विश्वभर में फैले 82 फील्ड मिशनों तथा उप-कार्यालयों द्वारा सम्पन्न की जाती हैं। यातायात सुविधाओं आपातकाल कार्यक्रमों तथा पुनर्वास सेवाओं (भाषा व व्यावसायिक प्रशिक्षण, नौकरी परामर्श, पाठयक्रम संचालन इत्यादि) के माध्यम से प्रवासियों की सहायता की जाती है। 1965 में शुरू किया गया चयनित प्रवासन कार्यक्रम उच्च शिक्षित व्यक्तियों के प्रवासन के माध्यम से यूरोप से लैटिन अमेरिका की ओर तकनीक के स्थानांतरण को सुगम बनाता है। इस प्रकार के अन्य कार्यक्रमों में एकीकृत विशेषज्ञ कार्यक्रम (एशिया व लैटिन अमेरिका), शिक्षित मानव संसाधन के क्षेत्र में क्षैतिज सहयोग कार्यक्रम (लैटिन अमेरिका) तथा प्रतिभा वापसी कार्यक्रम (लैटिन अमेरिका व अफ्रीका) शामिल हैं। आईओएम विकासशील देशों को प्रतिभा पलायन की समस्या से निपटने में भी सहायता देता है। 1998 में शुरू किये गये आपात मानवीय वापसी कार्यक्रम (ईएचआरपी) के अंतर्गत केन्द्रीय व पूर्वी यूरोप में कुशल कार्मिकों को उनके मूल गृह स्थानों (एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमेरिका) पर लौटने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। 1990 के दशक में आईओएम की गतिविधियां सोवियत संघ के विघटन व यूगोस्लाविया के विखंडन के बाद होने वाले प्रवासन प्रवाह पर केन्द्रित रहीं। गृह युद्धों से पीड़ित अफ्रीकी देशों में भी प्रवासन कार्यक्रमों को भी सहायता दी गयी। इसके अलावा यह संगठन राष्ट्रीय प्रवासन नीतियों के निर्माण तथा प्रवासन सम्बंधी मुद्दों पर अध्ययन के संचालन में भी सहायता करता है। यह एक बहुपक्षीय मंच के रूप में कार्य करता है, जहां प्रवासन सम्बंधी मूल मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा सकता है।

सन्दर्भ संपादित करें