फॉर्मिक अम्ल एक कार्बनिक यौगिक है। यह लाल चींटियों,जूँआ , शहद की मक्खियों, बिच्छू तथा बर्रों के डंकों में पाया जाता है। इन कीड़ों के काटने या डंक मारने पर थोड़ा अम्ल शरीर में प्रविष्ट हो जाता है,तो उस स्थान पर जलन होने लगती है तथा वह स्थान फूल जाता है और दर्द करने लगता है। पहले लाल चींटयों (लैटिन नाम 'फॉर्मिका') को पानी के साथ गरम करके, उनका सत खींचने पर उसमें फार्मिक अम्ल मिला पाया गया। इसीलिए अम्ल का नाम 'फॉर्मिक' पड़ा।

फॉर्मिक अम्ल की संरचना

इसका उपयोग रबड़ जमाने, रँगाई, चमड़ा कमाई तथा कार्बनिक संश्लेषण में होता है

गुणधर्म संपादित करें

यह एकक्षारकी वसा अम्लों की श्रेणी का प्रथम सदस्य है। दूसरे वसा-अम्लों के विपरीत फॉर्मिक अम्ल तथा फॉमेंट तेज अपचायक होते हैं और अपचयन गुण में ये ऐल्डिहाइड के समान होते हैं। यह रजत लवणों को रजत में, फेहलिंग विलयन को लाल क्यूप्रस ऑक्साइड में तथा मरक्यूरिक क्लोराइड को मर्करी में अपचयित कर देता है। इसका सूत्र HCOOH है। इसे मेथिल ऐल्कोहॉल या फॉर्मैंल्डिहाइड के उपचयन द्वारा, ऑक्सैलिक अम्ल को शीघ्रता से गरम करके अथवा ऑक्सैलिक अम्ल को ग्लिसरीन के साथ १०० से ११० डिग्री सें. तक गरम करके प्राप्त किया जाता है।

निर्माण संपादित करें

अजल फार्मिक अम्ल बनाने के लिए, लेड या ताम्र फॉमेंट के ऊपर १३० डिग्री सें. पर हाइड्रोजन सल्फाइड प्रवाहित किया जाता है। सांद्र फॉर्मिक अम्ल को सोडियम फार्मेट के (भार के) ९०% फॉर्मिक अम्ल में बने विलयन को सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ आसुत करके बनाया जाता है। यह तीव्र गंधवाला रंगहीन द्रव है। यह किसी भी अनुपात में पानी, एल्कोहॉल तथा ईथर में मिश्र्य (mixable) है। इसका क्वथनांक १००.८ डिग्री सें. है। त्वचा पर गिरने पर बहुत जलन होती है और फफोले बन जाते हैं।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें