फ्रैंकफर्ट की सन्धि (१८७१)

फ्रैंकफर्ट की सन्धि, फ्रांस-प्रशा युद्ध के अन्त में १० मई १८७१ को हस्ताक्षरित एक शान्ति सन्धि थी।फ्रेंकफर्ट की संधि फ्रांस और जर्मनी के बीच 10 मई 1871 को हुई थी। 28 जनवरी, 1871 को पेरिस के पतन के साथ ही फ्रांस-प्रशा युद्ध समाप्त हो गया। 26 फरवरी को फ्रांस और प्रशा के बीच शांति संधि की प्रारंभिक शर्तों पर हस्ताक्षर हुए तथा 10 मई, 1871 को फ्रैंकफर्ट में दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने संधि पर हस्ताक्षर किये। इस संधि के अंतर्गत फ्रांस को मेज व स्ट्रॉमबर्ग सहित अल्सास व लोरेन के प्रदेश जर्मनी को देने पड़े और साथ ही फ्रांस द्वारा युद्ध के हर्जाने के रूप में बीस करोड़ पौंड की रकम चुकाना भी तय किया गया। फ्रांस द्वारा यह बीस करोड़ पौंड की रकम आगामी तीन वर्षों में चुकाई जाना तय किया गया। बाद में 1919 की वर्साय संधि के द्वारा फ्रांस ने फ्रैंकफर्ट ने अपनी अपमानजनक संधि का बदला लेने का प्रयास किया। वर्साय की संधि प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार के बाद जर्मनी और मित्र राष्ट्रों के बीच की गयी थी, जिसमें फ्रांस भी शामिल था। फ्रांस को मेज तथा स्ट्रासबर्ग सहित एल्सस एवं लारेन का भाग जर्मनी को देना पड़ा। केवल बेलफोर्ट का किला फ्रांस के अधिकार में रह गया ।

फ्रांस को युद्ध हर्जाने के रूप में 70 करोङ पौण्ड जर्मनी को देना स्वीकार करना पङा । पूरी रकम का भुगतान होने तक जर्मनी की सेना का फ्रांस में रहना भी निश्चित किया गया।

अप्रैल, 1871 में जर्मनी के नए विधान की घोषणा की गयी, जिसके अनुसार दक्षिणी जर्मनी के समस्त राज्य जर्मन संघ में सम्मिलित कर लिये गये। इस प्रकार प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का राजनैतिक एकीकरण पूर्ण हुआ। बिस्मार्क को इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये तीन युद्ध लड़ने पड़े। जर्मनी के इस एकीकरण के लिये क्रांतिकारियों के अलावा लेखकों, विचारकों, इतिहासकारों एवं दार्शनिकों ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार कार्य किया। इस एकीकरण से बिस्मार्क ने केवल जर्मनी का वरन् यूरोप का सर्वाधिक में प्रभावशाली राजनीतिज्ञ बन गया। अतः यूरोप इतिहास 1871 से 1890 तक के काल को बिस्मार्क युग की संज्ञा दी जाती है।