बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान

बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान लखनऊ का एक पुरावनस्पतिविज्ञान पर अनुसंधान संस्थान है। यह भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है।[1]

बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान
संस्थान का चिह्न
संस्थान का चिह्न
संस्था अवलोकन
स्थापना ३ अप्रैल, १९४९
मुख्यालय ५३, विश्वविद्यालय मार्ग, लखनऊ,  भारत
संस्था कार्यपालकगण टी. रामास्वामी, अध्यक्ष
 
नरेश चंद्र मेहरोत्रा, निदेशक
वेबसाइट
www.bsip.res.in
चित्र:BirbalSahni.jpg
बीरबल साहनी: संस्थापक एवं प्रथम मानित निदेशक

यह ५३, विश्वविद्यालय मार्ग, लखनऊ पर स्थित है। इसका नाम इसके संस्थापक श्री बीरबल साहनी, प्रसिद्ध परावनस्पति वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया है। सितंबर, १९३९ में इनको अध्यक्ष बनाकर एक पुरावनस्पतिज्ञों की समिति अनुसंधान हेतु गठित हुई थी। इसकी प्रथम रिपोर्ट १९४० एवं अंतिम रिपोर्ट १९५० में प्रकाशित हुई।[1] ३ जून, १९५३ को आठ वैज्ञानिकों के नाम से एक न्यास की स्थापना भारतीय सोसायटी पंजीकरण धारा-२१ (१८६०) के अंतर्गत हुई। इसका उद्देश्य पुरावनस्पति विज्ञान पर प्रो॰ बीरबल साहनी एवं सावित्री साहनी के मूल शोध में एकत्रित किए गये जीवाश्म संग्रह एवं एक सन्दर्भ पुस्त्तकालय के गठन हेतु फंड जुटाना था। और अंततः इस संस्थान की स्थापना १० सितंबर, १९४६ को हुई। इसके प्रथम मानित निदेशक बीरबल साहनी को बनाया गया। सरकार ने इसके लिए ३.५ एकड़ भूमि भी आवंटित की।

चित्र:Birbal 19.jpg
संस्थान की इमारत

३ अप्रैल, १९४९ को इसकी नींव प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रखी। हालाँकि दुर्भाग्य से बीरबल साहनी की मृत्यु १० अप्रैल, १९४९ को ही हो गयी। किंतु १९५२ के अंत तक इसकी इमारत भी बनकर तैयार हो गयी।

१९५१ में यूनेस्को ने इसे अपने तकनीकी सहयोग कार्यक्रम में भी सम्मिलित कर लिया।[2]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. जालस्थल Archived 2011-12-09 at the वेबैक मशीन से
  2. बीरबल साहनी पुरा.जी. सं लखनऊ Archived 2009-11-15 at the वेबैक मशीन इतिहास

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें