इस शहर को "छोटी काशी" एवं "CITY OF STEP WELLS" भी कहते हैं।

बूँदी
Bundi
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बूंदा के महल से शहर का दृश्य
बूंदा के महल से शहर का दृश्य
बूँदी is located in राजस्थान
बूँदी
बूँदी
राजस्थान में स्थिति
निर्देशांक: 25°26′N 75°38′E / 25.44°N 75.64°E / 25.44; 75.64निर्देशांक: 25°26′N 75°38′E / 25.44°N 75.64°E / 25.44; 75.64
ज़िलाबूँदी ज़िला
प्रान्तराजस्थान
देश भारत
संस्थापकबूंदा मीणा
क्षेत्र100 किमी2 (40 वर्गमील)
जनसंख्या (2011)
 • कुल1,03,286
हिन्दी
 • प्रचलितराजस्थानी, हिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
बूंदा महल
बूँदी में एक सड़क

बूँदी (Bundi) भारत के राजस्थान राज्य के बूँदी ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2] बूंदी का वास्तविक संस्थापक सरदार बूंदा मीणा है। बूंदा मीणा के पौत्र इतना पराक्रमी था, उसने बूंदी के आसपास के क्षेत्र पर कब्जा कर लिया, राजपूत राजाओ जैता मीना से सीधी टक्कर लेने से डरते थे। 1342 ई. मे देवा सिंह हाड़ा ने योजना बनाई और जैता मीणा को शादी मे जहर देकर अवैध रूप बूंदी राज्य को छीन लिया। हाड़ौती पर मीणाओ का कब्जा था। ये लेवल मिथ हे

विवरण संपादित करें

बूँदी एक पूर्व रियासत थी। इसकी स्थापना सन 1242 ई. में राव देवाजी ने की थी। बूँदी पहाड़ियों से घिरा सघन वनाच्छादित सुरम्य नगर है। राजस्थान का महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है।बूंदी परकोटे के चार द्वार है :-चौगान द्वार मीरा द्वार खोजा द्वार लंका द्वार जोकि चारो दिशाओ में खुलते ह । चौगान द्वार पर बनी मोरनी मनमोहक एक सुंदर चित्रण शैली का द्योतक है

इतिहास संपादित करें

बूँदी की स्थापना की वास्तविक रूप से बूंदा मीणा ने की थी। बूंदा मीना के पौत्र जैता बहुत पराक्रमी था। बाद मे देवा हाड़ा ने जैता मीणा को शादी मे निमंत्रण देकर, और भोजन में जहर मिलाकर जैता मीना को धोखे से हरा कर, सन 1342 ई. मे बूंदी पर कब्जा कर लिया। नगर कि दोनो पहाडियो के मध्य "बून्दी कि नाल" नाम से प्रसिद्ध नाल के कारण नगर का नाम "बून्दी" रखा गया। बाद मे इसी नाल का पानी रोक कर नवलसागर झील का निर्माण कराया गया। राजा देव सिंह जी के उपरान्त राजा बरसिंह ने पहाडी पर 1354 में तारागढ़ नामक दुर्ग का निर्माण करवाया। साथ ही दुर्ग मे महल और कुण्ड-बावडियो को बनवाया। १४वी से १७वी शताब्दी के बीच तलहटी पर भव्य महल का निर्माण कराया गया। सन् १६२० को राव रतन सिंह जी ने महल मे प्रवेश के लिए भव्य पोल(दरवाज़ा) का निर्माण कराया गया। पोल को दो हाथी कि प्रतिमुर्तियों से सजाया गया उसे "हाथीपोल" कहा जाता है। राजमहल मे अनेक महल साथ ही दिवान- ए - आम और दिवान- ए - खास बनवाये गये। बूँदी अपनी विशिष्ट चित्रकला शैली के लिए विख्यात है, इसे महाराव राजा "श्रीजी" उम्मेद सिंह ने बनवाया जो अपनी चित्रशैली के लिए विश्वविख्यात है। बूँदी के विषयों में शिकार, सवारी, रामलीला, स्नानरत नायिका, विचरण करते हाथी, शेर, हिरण, गगनचारी पक्षी, पेड़ों पर फुदकते शाखामृग आदि रहे हैं।

चित्रकला संपादित करें

श्रावण-भादों में नाचते हुए मोर बूँदी के चित्रांकन परम्परा में बहुत सुन्दर बन पड़े है। यहाँ के चित्रों में नारी पात्र बहुत लुभावने प्रतीत होते हैं। नारी चित्रण में तीखी नाक,पतली कमर, छोटे व गोल चेहरे आदि मुख्य विशिष्टताएँ हैं। स्त्रियाँ लाल-पीले वस्त्र पहने अधिक दिखायी गयी हैं। बूँदी शैली की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता पृष्ठ भूमि के भू-दृश्य हैं। चित्रों में कदली, आम व पीपल के वृक्षों के साथ-साथ फूल-पत्तियों और बेलों को चित्रित किया गया है। चित्र के ऊपर वृक्षावली बनाना एवं नीचे पानी, कमल, बत्तख़ें आदि चित्रित करना बूँदी चित्रकला की विशेषता रही।

प्रमुख शैलियाँ संपादित करें

मुग़लों की मित्रता के बाद यहाँ की चित्रकला में नया मोड़ आया। यहाँ की चित्रकला पर उत्तरोत्तर मुग़ल प्रभाव बढ़ने लगा। राव रत्नसिंह (1631- 1658 ई.) ने कई चित्रकारों को दरबार में आश्रय दिया। शासकों के सहयोग एवं समर्थन तथा अनुकूल परिस्थितियों और नगर के भौगोलिक परिवेश की वजह से सत्रहवीं शताब्दी में बूँदी ने चित्रकला के क्षेत्र में काफ़ी प्रगति की। चित्रों में बाग, फ़व्वारे, फूलों की कतारें, तारों भरी रातें आदि का समावेश मुग़ल प्रभाव से होने लगा और साथ ही स्थानीय शैली भी विकसित होती रही। चित्रों में पेड़ पौधें, बतख तथा मयूरों का अंकन बूँदी शैली के अनुकूल है। सन 1692 ई. के एक चित्र बसंतरागिनी में बूँदी शैली और भी समृद्ध दिखायी देती है। कालांतर में बूँदी शैली समृद्धि की ऊँचाइयों को छूने लगी।

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
  2. "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990