बैटी फ़्रीडन

अमरीकी कार्यकर्ता, नारीवादी सिद्धांतकार

बैटी फ़्रीडन (4 फरवरी, 1921 - 4 फरवरी, 2006) एक अमेरिकी लेखिका, कार्यकर्ता और नारीवादी थीं। वे संयुक्त राज्य अमेरिका में महिलाओं के आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा थीं। उनकी पुस्तक "द फ़ेमिनिन मिस्टीक" (The Feminine Mystique, 1963) को अक्सर 20 वीं शताब्दी में अमेरिका में नारीवाद की दूसरी लहर शुरू करने का श्रेय दिया जाता है। 1966 में, महिलाओं को अमेरिकी समाज की मुख्यधारा में पुरुषों के साथ "पूर्ण भागीदारी" में लाने के उद्देश्य से उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रीय महिला संगठन (National Organisation for Women) की स्थापना की और इसकी पहली अध्यक्ष चुनीं गईं।

बैटी फ़्रीडन
जन्म बैटी नेओमि गोल्डस्टीन
4 फ़रवरी 1921
पेओरिया, इलिनॉय, संयुक्त राज्य अमेरिका
मौत फ़रवरी 4, 2006(2006-02-04) (उम्र 85)
वॉशिंगटन, डी॰ सी॰, संयुक्त राज्य अमेरिका
शिक्षा स्मिथ कॉलेज (कला स्नातक)
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ॉर्निया, बर्क्ली
जीवनसाथी कार्ल फ़्रीडन (1947–1969)
बच्चे 3
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

1970 में अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद, फ़्रीडन ने 26 अगस्त को "विमेन्स स्ट्राइक फॉर इक्वलिटी" (Women's strike for equality) का आयोजन किया। यह अमेरिका की संविधान के 19वे संशोधन की 50 वीं वर्षगांठ पर मतदान का अधिकार दिया। इसी संशोधन से वहाँ महिलाओं को मताधिकार प्राप्त हुआ था। यह आंदोलन नारीवादी आंदोलन को बढ़ाव देने में सफल रहा। फ़्रीडन के नेतृत्व में न्यूयॉर्क शहर में होने वाले इस आंदोलन में 50,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया था। 1971 में, फ़्रीडन ने और कई अग्रणी नारीवादियों को जोड़कर राष्ट्रीय महिला राजनीतिक कॉकस की स्थापना की।

उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में एक प्रभावशाली लेखिका और बौद्धिक विचारक माना जाता था, फ़्रीडन राजनीति में सक्रिय थीं और 1990 के दशक के अंत तक उन्होंने छह पुस्तकें लिखीं। 1960 की शुरुआत में, उन्होंने ने नारीवाद के उन ध्रुवीकृत और चरमपंथी समूहों की आलोचना करना शुरू कर दिया, जो पुरुषों और गृहिणियों पर हमला करते थे। बाद में अपनी पुस्तक "द सेकंड स्टेज" (The Second Stage) में भी उन्होंने कुछ नारीवादियों के अतिवाद की आलोचना की थी। [1]

लेखन संपादित करें

 
1981[मृत कड़ियाँ] में लिन गिलबर्ट द्वारा ली गयी बैटी फ़्रीडन की तस्वीर

द फेमिनिन मिस्टिक संपादित करें

1957 में उनके कॉलेज के 15वें पुनर्मिलन समारोह में फ़्रीडन ने अपने कॉलेज की स्नातकों का एक सर्वेक्षण किया। यह सर्वेक्षण उनके वर्तमान जीवन के साथ उनकी शिक्षा, बाद के अनुभवों और संतुष्टि पर केंद्रित था। उन्होंने "वह समस्या जिसका कोई नाम नहीं है" (The problem that has no name) के बारे में लेख प्रकाशित करना शुरू कर दिया। इसमें उन्हें कई गृहिणियों से आभारी प्रतिक्रिया मिली कि वे इस समस्या का अनुभव करने वाली अकेली नहीं थीं। [2]

किनारे स्त्रैण रहस्य (feminine mystique) के हताहतों के साथ बिखरे हुए हैं। उन्होंने पति को कॉलेज की शिक्षा दिलवाने के लिए स्वयं अपनी शिक्षा छोड़ दी, और फिर, शायद अपनी मर्जी के खिलाफ, दस या पंद्रह साल बाद, उनके पतियों ने उन्हें तलाक के बहाने छोड़ दिया। इनमें से सबसे ताक़तवर महिलाएँ इस समस्या का अच्छी तरह से सामना करने में सक्षम थीं, लेकिन पैंतालीस या पचास की एक महिला के लिए यह आसान नहीं था कि वह किसी पेशे में आगे बढ़े और अपने और अपने बच्चों या स्वयं के लिए एक नए जीवन का निर्माण कर सके। [3]

फ़्रीडन ने तब इस विषय को एक पुस्तक द फेमिनिन मिस्टिक में फिर से बयान करने और विस्तारित करने का फैसला किया। यह पुस्तक 1963 में प्रकाशित हुई, और इसने औद्योगिक समाजों में महिलाओं की भूमिकाओं को चित्रित किया, विशेष रूप से पूर्णकालिक गृहिणी की भूमिका को जिसे फ़्रीडन ने प्रधान माना। [4] उन्होंने अपनी पुस्तक में एक उदास उपनगरीय गृहिणी का वर्णन किया है जो 19 साल की उम्र में शादी करने और चार बच्चे पैदा करने के लिए कॉलेज से बाहर चली गई थी।[5] उसने अकेले होने पर अपने 'भय' की बात की, और कहा कि उसने अपने जीवन में कभी भी एक ऐसी सकारात्मक महिला रोल-मॉडल को नहीं देखा, जो घर के बाहर काम भी करे और परिवार की देख-रेख भी कर पाए। इसके साथ उसने ऐसी गृहिणियों के कई मामलों का हवाला दिया, जो इसी तरह से फँसी हुई महसूस करती थीं। अपनी मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि से उन्होंने फ्रायड के लिंग ईर्ष्या सिद्धांत की आलोचना की, और फ्रायड के काम में बहुत अधिक विरोधाभास देखा। फ़्रीडन ने आगे पढ़ने की इच्छुक महिलाओं को कुछ सुझाव भी दिए। [6] "समस्या जिसका कोई नाम नहीं है" का वर्णन फ़्रीडन ने पुस्तक की शुरुआत में किया था:

यह समस्या अमेरिकी महिलाओं के मन में कई वर्षों तक दबी-अनकही रही। यह एक अजीब सरगर्मी, असंतोष की भावना थी, एक तड़प [या लालसा] है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में 20 वीं सदी के मध्य में महिलाओं को हुई। हर शहर की गृहिणी अकेले इससे जूझती थी। बिस्तर सजाकर, किराने का सामान के लिए खरीदारी करके ... वह खुद से भी चुपचाप सवाल पूछने से डरती थी - "क्या यही सब कुछ है?" [7]

फ़्रीडन ने कहा

"चाहे मीडिया, शिक्षक और मनोवैज्ञानिक कुछ भी क्यों न कहते रहें, महिलाएं किसी भी प्रकार के काम के लिए पुरुष जितनी ही सक्षम होती हैं, फिर चाहे वह किसी भी तरह का काम क्यों न हो।" [8]

उनकी पुस्तक न केवल इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि इसने अमेरिकी समाज में प्रचलित लिंगभेद को चुनौती दी थी, बल्कि इसलिए कि इसका तर्क इससे पहले के नारीवाद से भिन्न था। इसने महिलाओं की शिक्षा, राजनीतिक अधिकारों और सामाजिक आंदोलनों में भागीदारी के विस्तार के लिए तर्क दिया गया था। प्रथम-लहर के नारीवादियों का दावा था कि महिलाओं के मताधिकार, शिक्षा, और सामाजिक भागीदारी बढ़ने से विवाहों में वृद्धि होगी, महिलाएँ बेहतर पत्नियाँ और माताएँ बनेंगी, और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य और दक्षता में सुधार आएगा।[9][10][11] फ़्रीडन ने "मनुष्य की विकसित होने की मूल आवश्यकता, उसकी वह सब बनने की इच्छा जो वह बन सकता है" को महिलाओं के अधिकारों का आधार बताया। [12]1950 के दशक के सामाजिक प्रतिबंधों और रूढ़िवादी भूमिकाओं में परेशान होकर कई महिलाओं ने अपनी "कैद में फंसी हुई" होने जैसी भावना व्यक्त की। इस कारण अमेरिकी महिलाएँ जल्द ही चेतना बढ़ाने वाले सत्रों में भाग लेने लगीं और महिलाओं को प्रतिबंधित करने वाले दमनकारी कानूनों और सामाजिक विचारों के सुधार के लिए पैरवी करने लगीं।

यह पुस्तक एक बेस्टसेलर बन गई। कई इतिहासकारों का मानना है कि यह संयुक्त राज्य में महिला आंदोलन की दूसरी लहर के लिए प्रेरणा थी, और इसने नारीवाद सम्बंधी राष्ट्रीय और वैश्विक घटनाओं पर काफ़ी प्रभाव डाला था। [13]

फ़्रीडन का मूल रूप से द फेमिनिन मिस्टिक का सीक्वल लिखने का इरादा था, जिसे "वुमन: द फोर्थ डाइमेंशन" कहा जाना था, लेकिन इसके बजाय केवल उस शीर्षक से एक लेख लिखा, जो जून 1964 में लेडीज होम जर्नल में प्रकाशित हुआ। [14][15]

अन्य काम संपादित करें

फ़्रीडन ने छह पुस्तकें प्रकाशित कीं। उनकी अन्य पुस्तकें, "द सेकेंड स्टेज, इट चेंज माय लाइफ: राइटिंग ऑन विमेन मूवमेंट , बियॉन्ड जैंडर" और द फाउंटेन ऑफ एज। उनकी आत्मकथा, लाइफ सो फार, 2000 में प्रकाशित हुई थी।

यह भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "'The Second Stage'". nytimes.com. NY Times. मूल से 9 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 March 2018.
  2. Empty citation (मदद)
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  4. Empty citation (मदद)
  5. "The Feminine Mystique," page 8.
  6. "Betty Friedan's Enduring 'Mystique'". nytimes.com. NY Times. मूल से 9 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 March 2018.
  7. Empty citation (मदद)
  8. Margalit Fox (February 5, 2006). "Betty Friedan, who ignited cause in 'Feminine Mystique,' dies at 85". The New York Times. मूल से 4 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि February 2, 2010.
  9. Empty citation (मदद)
  10. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
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  12. Empty citation (मदद)
  13. Empty citation (मदद)
  14. "American National Biography Online: Friedan, Betty". www.anb.org. मूल से 19 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2019.
  15. Bradley, Patricia (September 15, 2017). "Mass Media and the Shaping of American Feminism, 1963-1975". Univ. Press of Mississippi – वाया Google Books.

और पढ़ें संपादित करें

  • ब्लाउ, जस्टिन बेट्टी फ्राइडन: फेमिनिस्ट, पेपरबैक संस्करण, महिला उपलब्धि, चेल्सी हाउस प्रकाशन 1990, आईएसबीएन 1-55546-653-2
  • बोहनोन, लिसा फ्रेडरिकसन। महिलाओं का काम: द स्टोरी ऑफ़ बेट्टी फ्रीडन, हार्डकवर संस्करण, मॉर्गन रेनॉल्ड्स प्रकाशन, 2004, आईएसबीएन 1-931798-41-9
  • ब्राउनमिलर, सुसान। हमारे समय में: एक क्रांति का संस्मरण [1], द डायल प्रेस, १ ९९९, आईएसबीएन 0-385-31486-8
  • फ्रीडेन, बेट्टी "आयु रहस्य के माध्यम से तोड़कर।" 1991, किर्कपैट्रिक मेमोरियल कॉन्फ्रेंस की कार्यवाही। मुन्स्की, इं
  • फ्रीडेन, बेट्टी फ़ाउंटेन ऑफ़ एज, पेपरबैक संस्करण, साइमन एंड शूस्टर 1994, आईएसबीएन 0-671-89853-1
  • फ्रीडेन, बेट्टी इसने मेरा जीवन बदल दिया: महिला आंदोलन, हार्डकवर संस्करण, रैंडम हाउस इंक। 1978, आईएसबीएन 0-394-46398-6
  • फ्रीडेन, बेट्टी लाइफ सो फार, पेपरबैक संस्करण, साइमन एंड शूस्टर 2000, आईएसबीएन 0-684-80789-0
  • फ्रीडेन, बेट्टी द फेमिनिन मिस्टिक, हार्डकवर एडिशन, डब्ल्यूडब्ल्यू नॉर्टन एंड कंपनी इंक। 1963, आईएसबीएन 0-393-08436-1
  • फ्रीडेन, बेट्टी द सेकेंड स्टेज, पेपरबैक संस्करण, अबैकस 1983, एएसआईएन B000BGRCRC
  • (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  • हॉरोविट्ज़, डैनियल "बेट्टी फ़्रेडन एंड द मेकिंग ऑफ़" द फेमिनिन मिस्टिक ", यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैसाचुसेट्स प्रेस, 1998, आईएसबीएन 1-55849-168-6
  • हेनेसी, जुडिथ। बेटी फ्रीडन: उसका जीवन, हार्डकवर संस्करण, रैंडम हाउस 1999, आईएसबीएन 0-679-43203-5
  • हेनरी, सोंद्रा टिट्ज़, एमिली बेट्टी फ्राइडन: फाइटर फॉर वीमेन राइट्स, हार्डकवर एडिशन, एंस्लो पब्लिशर्स 1990, आईएसबीएन 0-89490-292-X
  • कपलान, मैरियन "बेट्टी फ्रीडन", यहूदी महिला: एक व्यापक ऐतिहासिक विश्वकोश।
  • मेल्टज़र, मिल्टन बेटी फ्रीडन: वॉयस फॉर वुमन राइट्स, हार्डकवर संस्करण, वाइकिंग प्रेस 1985, आईएसबीएन 0-670-80786-9
  • (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  • शर्मन, जनन बेटी फ्रीडन, पेपरबैक संस्करण, यूनिवर्सिटी प्रेस ऑफ़ मिसिसिपी 2002, आईएसबीएन के साथ साक्षात्कार 1-57806-480-5
  • सीगल, डेबोरा, सिस्टरहुड, बाधित: रेडिकल महिलाओं से लेकर ग्रिल्स वाइल्ड वाइल्ड (एनवाई: पालग्रेव मैकमिलन, 2007 ( आईएसबीएन) 978-1-4039-8204-9)), चाप। 3 (लेखक पीएचडी एंड फेलो, वुडहुल इंस्टीट्यूट फॉर एथिकल लीडरशिप)
  • टेलर-बॉयड, सुसान। बेट्टी फ्राइडन: वॉयस फॉर वीमेन राइट्स, एडवोकेट ऑफ ह्यूमन राइट्स, हार्डकवर एडिशन, गैरेथ स्टीवंस, 1990, आईएसबीएन