बौनी गैलेक्सी (ड्वॉर्फ़ गैलॅक्सी) ऐसी गैलेक्सी को कहते हैं जिसमें चंद अरब तारे ही हों, जो की हमारी गैलेक्सी, आकाशगंगा के २-४ खरब तारों की तुलना में काफ़ी कम हैं। आकाशगंगा की परिक्रमा कर रहा छोटा मॅजलॅनिक बादल एक ऐसी बौनी गैलेक्सी है। हमारे स्थानीय समूह में बहुत सी बौनी गैलेक्सियाँ हैं और यह अक्सर बड़ी गैलेक्सियों के उपग्रहों के रूप में पाई जाती हैं।

यु॰जी॰सी॰ ९१२८ एक बेढंगी बौनी गैलेक्सी है जिसमें सिर्फ़ लगभग १० करोड़ तारे हैं

बौनी गैलेक्सियों की उत्पत्ति संपादित करें

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है के हमारे स्थानीय समूह में बौनी गैलेक्सियाँ ज्वारभाटा बल के प्रभाव से बनी।[1] इस अवधारणा में यह दावा किया जाता है के जब बड़ी गैलेक्सियाँ (जैसे की अकाशगंगा और हमारी पड़ौसी एण्ड्रोमेडा गैलेक्सी) के बीच गुरुत्वाकर्षण की खींचातानी चलती है तो कभी-कभी उनके कुछ अंश खिंच के अलग हो जाते हैं। इन अंशों में न दिख सकने वाले आन्ध्र पदार्थ के भी बड़े अंश होते हैं। यही बौनी गैलेक्सियाँ बन जाती हैं। हमारी अपनी आकाशगंगा गैलेक्सी के इर्द-गिर्द १४ ज्ञात बौनी गैलेक्सियाँ परिक्रमा कर रहीं हैं। कुछ वैज्ञानिक तो यह भी मानते हैं के हमारी गैलेक्सी का सब से बड़ा गोल तारागुच्छ, ओमॅगा सॅन्टौरी, वास्तव में एक बौनी गैलेक्सी थी जिसको आकाशगंगा ने गुरुत्वाकर्षक क़ब्ज़ा करके अपने अन्दर शामिल कर लिया।[2]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  2. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर