भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (भाराराप्रा) भारत सरकार का एक उपक्रम है। इसका कार्य इसे सौंपे गए राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास, रख-रखाव और प्रबन्धन करना और इससे जुड़े हुए अथवा आनुषंगिक मामलों को देखना है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन संसद के एक अधिनियम, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1988 के द्वारा किया गया था। प्राधिकरण ने फरवरी, 1995 में पूर्णकालिक अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति के साथ कार्य करना शुरू किया।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण

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India National Highways Map
संक्षेपाक्षर NHAI
सिद्धांत Not just Roads, Building a Nation
स्थापना 1995 (Act 1988)[1]
प्रकार Government Agency
वैधानिक स्थिति Active
उद्देश्य Development and maintenance of National Highways and Expressways.
मुख्यालय G-5&6, Sector-10, Dwarka, Delhi
सेवित
क्षेत्र
 India
आधिकारिक भाषा
English and Hindi
Chairperson
Santosh Kumar Yadav (IAS)
Member (Finance)
NRVVMK Rajendra Kumar
Member (Projects)
R. K. Pandey
Member (Technical)
Mahabir Singh
मुख्य अंग
Board of directors[2]
पैतृक संगठन
Ministry of Road Transport and Highways, Government of India
बजट
1,62,207 करोड़ (US$23.68 अरब) (2023-24 est.)
जालस्थल nhai.gov.in

परियोजना संपादित करें

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को यह अधिदेश प्राप्त है कि वह राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना को क्रियांवित करे। यह परियोजना कार्यान्वयन के चरणों में है। [3]

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का दायित्व यह भी है कि कई राजमार्गों पर टोल प्राप्त करे।[4]

  • पहला चरण: इसकी स्वीकृति दिसम्बर २००० में हुई थी। इसकी लागत ३०० बिलियन रुपिये आँकी गई थी। इसमें एन एस-ई डब्ल्यू कॉरिडोरों के स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral - जी क्यू) अंश और सभी प्रमुख बंदरगाहों का राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ना शामिल है।
  • दूसरा चरण: इसकी स्वीकृति दिसम्बर २००३ में हुई थी। इसकी लागत ३४३ बिलियन रुपिये आँकी गई थी। इसमें एन एस-ई डब्ल्यू कॉरिडोरों का पूरा करना और इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग के 486 कि॰मी॰ (302 मील) शामिल थे।
  • तीसरी चरण (अ): इसकी स्वीकृति मार्च २००५ में हुई थी। इसकी लागत २२२ बिलियन रुपिये रखी गई। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग की 4,035 कि॰मी॰ (2,507 मील) गलियों का विकास शामिल था।
  • तीसरा चरण (आ): इसकी स्वीकृति अप्रैल २००६ में हुई थी। इसकी लागत ५४३ बिलियन रुपिये रखी गई। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग की 8,074 कि॰मी॰ (5,017 मील) गलियों का विकास शामिल था।
  • पाँचवाँ चरण: इसकी स्वीकृति अकतूबर २००६ में हुई थी। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग की ६ गलियों का विकास शामिल था जो 6,500 कि॰मी॰ (4,000 मील) घेरते थे। इनमें से 5,700 कि॰मी॰ (3,500 मील) जी क्यू पर थे। यह चरण पूर्ण रूप से डी० बी० एफ़० ओ० के आधार पर पूरा किया गया।
  • छठवाँ चरण: इसकी स्वीकृति नवम्बर २००६ में हुई थी। इसका लक्ष्य 1,000 कि॰मी॰ (620 मील) के क्षेत्र पर एक्स्प्रेस राजमार्ग का निर्माण था। इसकी लागत ५४३ बिलियन रुपिये रखी गई।
  • सतवाँ चरण: इसकी स्वीकृति दिसम्बर २००७ में हुई थी। इसका लक्ष्य रिंग-रोड, बाई-पास रोड और फ़्लाई-ओवर निर्माण था ताकि ट्रैफ़िक रुकावटों से चुनिंदा क्षेत्रों में बचा जा सके। ईसकी लागत १६७ बिलियन रुपिये रखी गई।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना की प्रगति को परियोजना के आधिकारिक जालस्थल पर देखी जा सकती है, जो मानचित्रों को समय-समय पर अद्यतनीकृत करती है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विशेष त्वरित सड़क विकास कार्यक्रम के कार्यान्वित करने में सहायता करता है; यह परियोजना पूर्वोत्तर क्षेत्र के उन राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास करती है जो राज्य की राजधानियों को २ गलियों या ४ गलियों से जोड़ते हैं।[5]

यह भी देखे संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; nhai-estd नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  2. "NHAI List of Board of Directors". NHAI. मूल से 17 January 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 January 2016.
  3. "NHAI Official Website". NHAI. मूल से 4 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जनवरी 2016.
  4. "NHAI plans toll collection at Kaniyur shortly". The Hindu. मूल से 10 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जनवरी 2016.
  5. "SARDP-NE" (PDF). मूल (PDF) से 25 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि जून 15, 2011.

बाहरी कडियाँ संपादित करें