भारतीय लेखकों की सूची

सुनील मिश्रा, लेखक, कवि एवम शायर ( गजलकार)

भारतीय लेखकों की सूची निम्नलिखित है। सुनील मिश्रा, लेखक, कवि एवम शायर(गजलकार), सामाजिक एवम राजनैतिक विश्लेषक का जन्म 25 मार्च 1974 को भारत में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम श्री एल. जे. मिश्रा एवम माता का नाम चमेली मिश्रा है। पिताजी एक शिक्षाविद् एवम् सरकारी विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत्त है। पिताजी भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत शिक्षक रहे। इन्होंने भारत सरकार के एन सी आर टी की शिक्षा प्रणाली को आधुनिकतम एवम् व्यवस्थित करने में महत्पूर्ण भूमिका व योगदान रहा। पिताजी को छः भाषाओं (हिंदी, अंग्रेजी,संस्कृत,मराठी, गुजराती, तमिल)का ज्ञान होने से सुनील मिश्रा की भाषा शैली पर विशेष प्रभाव पड़ा। इनकी प्रारंभिक शिक्षा माता पिता के सानिध्य में हुई। सीनियर सेकेंडरी उत्तीर्ण करने के बाद स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य और राजनीतिशास्त्र विषय से हुई। स्नातक के बाद इनका चयन अंतर्राष्ट्रीय नवपरिवहन में हुआ। जिसका प्रशिक्षण तमिलनाडु सरकार के द्वारा तमिलनाडु मारटाइम अकादमी तुतुकोरिन, तमिलनाडु में हुआ। लगातार सात वर्षों तक अर्तराष्ट्रीय नौपरिवहन सेवा में समर्पित रहे। 21 देशों का भ्रमण करने के बाद दिल्ली में स्थापित हुए। सुनील मिश्रा भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में सलाहकार समिति के सदस्य जैसे महत्पूर्ण पदों पर आसीन रहे। अपनी ईमानदारी और निष्ठा से मार्ग को प्रशस्त किया। लेखन में बचपन से ही रुचि रही।इनका पहला लेख गरीबों का उत्थान 1995 में अंग्रेजी समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ। साहित्यिक रचनाओं में इनकी काव्य रचनाओं में कई भाषाओं(हिंदी, उर्दू, अरबी एवम फारसी) के शब्दों का समावेश मिलता है। इनकी प्रमुख रचना एवम् सुप्रसिद्ध काव्य "दिल की आहट" काब्य संग्रह है। इनके द्वारा रचित 500 से भी अधिक रचनाएं भारत में विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवम कई प्लेटफार्म पर प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी पहचान विश्व के श्रेष्ठ लेखक, कवि एवम शायर(गजलकार) की जाती है। इनके लेखन की भाषा शैली सरल, सटीक, बहुभाषीय एवम भावपूर्ण है। इनकी अपनी इसी लेखन शैली से ही महानतम गजलकार के रूप में गणना की जाती है।


  • हिमांकर अजनबी (द गेम्स ऑफ लाइफ 2021), लेखक ,कवि शायर ,फिल्म निर्देशक व गीतकार,
  • अंशुल मिश्रा (वक्त वक्त की बात 2015), लेखक ,कवि
  • अंशुमन भगत, जमशेदपुर- लेखक एवं उपन्यासकार
  • कुबेर नाथ राय, कवि, उपन्यासकार, लघुकथा लेख, निबंध लेखक, समालोचक.

संपादित करें

https://asharfilalmishra.in/

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

  • धर्मवीर भारती, (1926–1997), लेखक सूरज का सातवां घोड़ा, गुनाहों का देवता ओर लेखक

संपादित करें

हिंदी समकालीन साहित्य की कहानी विधा में अलग पहचान रखने वाले साहित्यकार जो ग्रामीण इलाकों की अलग तस्वीर प्रस्तुत करते हुए ,महान फणीस्वरनाथ रेणु जी की आंचलिक कथा श्रेणी को आगे बढ़ाते हुए सबसे आगे दिखाई देते हैं ।नन्दकिशोर कौशिक जी का जन्म 15 मार्च 1961 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के पिसावा कस्बे में हुआ । बचपन से ही इनको कहानी लिखने का शौक था। इन्होंने अपनी शिक्षा डॉ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय बनारस से पूरी की। शिक्षा में रुचि होने के कारण पंडित जी ने 1988 में एक शिक्षण संस्थान की स्थापना की । माता पिता की सेवा और पारिवारिक कारणों की वजह से इनकी साहित्य साधना में कुछ व्यवधान हुआ । इस दौरान भी इन्होंने काफी कुछ लिखा जो मूलतः अप्रकाशित ही था । इनकी पहली कहानी धर्मनिष्ठ हिंदी की प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका साहित्य अमृत, जिसके संस्थापक संपादक पंडित विद्यानिवास मिश्र जी थे, तथा तत्कालीन संपादक डॉ त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी जी के संपादन में छपी । इस कहानी के बाद अनेक हिंदी की अनेको प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में अनेकों कहानी कविताएं प्रकाशित हुईं जिनमे प्रमुख चर्चित कहानियां फक्कड़, निरता, पुरुस्कार , अलग्योझा ,वंचित आदि को पाठको की बहुत शानदार प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं इनकी लेखन शैली में हमेशा यथार्थवादी भावपूर्ण,,मार्मिक और समाज के तत्कालीन मुद्दों पर आधारित और समाज के झूठे दिखावे और बनावटीपन का सदैव विरोध था स्वभाव से सरल और एकदम शांत पंडित जी ने अपने विचारों का प्रयोग अपनी कहानियो में भरपूर किया । बात चाहे वंचित कहानी की हो, वंचित कहानी से -"भले और समझदार मनुष्य हमेशा भले ही रहते हैं, चाहे अमीरी हो अथवा गरीबी। " या झाड़ी की आवाज से -यह शिक्षा का कैसा प्रसार कहीं तो देश में गांव के लाल मौत से जूझ कर शिक्षा पाते हैं । और कहीं अच्छे हॉस्टलों में रहकर स्वर्ग का आनंद लेते हैं । यह सब भारत की असमान शिक्षा का ही परिणाम है । जो शायद कभी खत्म नहीं होगी । क्योंकि गांव और शहर का भेद इस अभिशाप से उभरने नहीं देगा। उपरोक्त विचार एक हालात से जूझे हुए मनुस्य की संवेदनाओ को सार्थक रूप से प्रस्तुत करते हैं

प्र संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

  • रामधारी सिंह 'दिनकर', 'संस्कृति के चार अध्याय'
  • रवि कांत 'अनमोल' [जन्म: १९७६] कवि हिन्दी, उर्दू, पंजाबी
  • राजीव कुमार झा (जन्म:1983 चम्पारण ,बिहार,कवि एवम लेखक ।) रचना -बन्द पन्ने (काव्य संग्रह 2020 में प्रकाशित),ज़ीरो नम्बर (कहानी संग्रह,2020),काव्य प्रभा (साझा काव्य संग्रह,2020)

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Kanpur Dehat district", Wikipedia (अंग्रेज़ी में), 2021-06-22, अभिगमन तिथि 2021-06-22