भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास

भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विकास-यात्रा प्रागैतिहासिक काल से आरम्भ होती है। भारत का अतीत ज्ञान से परिपूर्ण था और भारतीय संसार का नेतृत्व करते थे। सबसे प्राचीन वैज्ञानिक एवं तकनीकी मानवीय क्रियाकलाप मेहरगढ़ में पाये गये हैं जो अब पाकिस्तान में है। सिन्धु घाटी की सभ्यता से होते हुए यह यात्रा राज्यों एवं साम्राज्यों तक आती है। यह यात्रा मध्यकालीन भारत में भी आगे बढ़ती रही; ब्रिटिश राज में भी भारत में विज्ञान एवं तकनीकी की पर्याप्त प्रगति हुई तथा स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। सन् २००९ में चन्द्रमा पर यान भेजकर एवं वहाँ पानी की प्राप्ति का नया खोज करके इस क्षेत्र में भारत ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है।

लोथल का प्राचीन कूप और नगर की जल निकासी के लिये बनीं पक्की नालियाँ

चार शताब्दियों पूर्व प्रारंभ हुई पश्चिमी विज्ञान व प्रौद्योगिकी संबंधी क्रांति में भारत क्यों शामिल नहीं हो पाया ? इसके अनेक कारणों में मौखिक शिक्षा पद्धति, लिखित पांडुलिपियों का अभाव आदि हैं।

भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का संक्षिप्त कालक्रम संपादित करें

 
सिन्धु घाटी की सभ्यता से प्राप्त पहियायुक्त गाड़ी
 
शून्य तथा संख्याएँ लिखने की दाशमिक पद्धति का आविष्कार भारत में हुआ। यह ज्ञान अरबों से होते हुए यूरोप पहुँचा।
 
दिल्ली का लौह स्तम्भ
 
जयपुर का जन्तर मन्तर

कांस्ययुग (२६,००० ईसापूर्व -- २००० ईसापूर्व) - सिन्धु सभ्यता का उन्नत काल[1] ; प्रथम नगरीय विकास, दुर्ग-नगर, पत्थर के औजार, कास्य एवं ताम्र प्रौद्योगिकी, मधूच्छिस्टविधान, नगरों का जालनुमा आयोजन, जलनिकास के लिए नालियाँ, घरेलू एवं सार्वजनिक स्नानघर, हल का प्रयोग, धान्य-कोठार, पशुपालन, चाक पर बने चित्रण, चमकीला मृद्भाण्ड, पक्की ईंटों का प्रयोग, कताई-बुनाई, माप-तौल-तराजू-बांट (मापन), कपास का प्रयोग, अंकगणित, ज्यामिति, नक्षत्रों का ज्ञान।

२००० ईसा पूर्व-१८०० ईसा पूर्व - भारत के विभिन्न भागों में नव-पाषाण बस्तियाँ, शैलाश्रयों में चित्रांकन, भारत के विभिन्न भागों में ताम्र-पाषाण बस्तियाँ, कृषिकर्म, ताँबे के औजार, कांस्यकृतियाँ, काले व लाल मृद्भाण्ड

लगभग १५०० ईसापूर्व - कृषिकार्य में हल का प्रयोग, पशुपालन, कुछ नक्षत्रों का प्रयोग, चन्द्र-पंचांग, दशाधारी संख्या-संज्ञाएँ, रोग व उनके उपचार, अश्व का व्यापक उपयोग।

लगभग १००० ईसापूर्व - यजुर्वेदअथर्ववेद : कृत्तिका से आरंभ होने वाली 37 या 28 नक्षत्रों को सूची; अचना पृथ्वी; अधिमास व क्षयमास के उल्लेख; पशुओं और पेड़-पौधों के विस्तृत उल्लेख; लोहे को जानकारी। नाना प्रकार की चिकित्सा और जादू-टोना।

लगभग १०००-६०० ईसापूर्व - ब्राह्मण, अरण्यक और उपनिषद : ज्योतिषीय विचार; गणितीय श्रेणियाँ; पंचमहाभूत का सिद्धांत; लोहे का उपयोग, लोहे के फाल वाला हलकुल्हाड़ी; चित्रित धूसर भाण्ड।

लगभग 600.0 ई. पू - लौह वस्तुओं के साथ उत्तरी काले औपदार मृद्भाण्ड; तक्षशिला से काच की वस्तुएँ; आयुर्वेद संग्रह, दक्षिण चिकित्सक (आत्रेय, जीवक), भारत की महापाषाण संस्कृति।

लगभग 500 ई. पू - महात्मा लगध, वेदांग ज्योतिष में 366 दिनों का वर्ष; 5 वर्षों का युग, 27 नक्षत्रों की सूची। राशियों और वारों का उल्लेख नहीं; बौधायन, आपस्तंभ; शूल्बसूत्रों की ज्यामिति ; पाइथागोरस प्रमेय (बौधायन प्रमेय),[2] 'द्विकरणी' (तट) का मान। बौद्धों, जैनों, सांख्य, मीमांसा, आदि वैश्विक तथा लोकायत के दिक्, काल व द्रव्य के बारे में दार्शनिक विचार। पाणिनि की अष्टाध्यायी

लगभग 400-200 ईसापूर्व - अर्थशास्त्र (ग्रन्थ), (कौटिल्य) खनिजकर्म, धातुकर्म, कृषिकर्म, सिंचाई। लोहकर्म का विस्तार।

लगभग 200 ईसापूर्व - ४०० ई - पिंगल का छन्दशास्त्र : 'मेरुप्रस्तार', गणित का विकास, क्रमचय-संचय। शून्ययुक्त स्थानमान अंक पद्धति की खोज; नए ज्योतिषीय सिद्धांत : ग्रह-गति की उत्केन्द्री व अधिकेन्द्री की व्यवस्था, राशिचक्र। प्राचीन पंचसिद्धान्त : पितामाह, वशिष्ठ, पुलिश, रोमक व सौर। आयुर्वेद : चरकसंहिता। समुद्रगुप्त, 'सुश्रुतसंहिता' (शल्य चकित्सा), महरौली (दिल्ली) का लौहस्तंभ। ताम्र बुद्धमूर्ति (सुल्तानगनंज)। चंद्रगुप्त द्वितीय स्वर्ण मुद्राएं (380 ई.-415 ई)

४०० ई से ७०० ई - आर्यभट्ट (जन्म-47० ईं.) द्वारा आर्यभटीय की रचना : भू-भ्रमण का प्रतिपादन, चार मूलतत्व, समान कालावधि के युग, अक्षरांक पद्धति, 'पाई' = 3.1416, दाशमिक स्थानमान अंक पद्धति प्रयोग, ग्रहण की सही व्याख्या। ब्रह्मगुप्त (जन्म ५९८ ई) द्वारा ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त और खण्डखाद्यक की रचना, भास्कर प्रथम द्वारा 'आर्यभटीय भाष्य' की रचना, वाग्भट द्वारा अष्टांगहृदय की रचना। माधवनिदान

लगभग ८वीं से १०वीं शदी तक - लल्ल का 'शिष्यधीवृद्धि'। संशोधित सूर्यसिद्धान्त, नागार्जुन की रसविद्या, सिद्धचिकित्सा। 'कृषि पाराशर' और 'वृक्षायुर्वेद'। अरहट्ट का उपयोग। 'वटेश्वर सिंद्धान्त' (904 ई)। मुंजाल : अयन-चलन

११वीं - १२वीं सदी - भास्कराचार्य का सिद्धान्तशिरोमणि, गणित ज्योतिष का चरमोत्कर्ष। 'उपग्रह-विनोद'। मानसोल्लास : धातुकर्म, रसविद्या, गंधयुक्ति, पशु चिकित्सा आदि का विश्वकोश। भारत में हाथ-कागज का आगमन। सन् 1054 में कर्कट अधिनवतारा (क्रैब सुपननोवा) विस्फोट को भारत में देखा गया था।

१३वीं - १५वीं सदी - रसशास्त्र के ग्रन्थ। केरल में गणित-ज्योतिष का अध्ययन जारी। यूनानी तिब्ब। बारूदतोपआतिशबाजी

१६वीं - १७वीं सदी : गणेश दैवज्ञ : गणित व ज्योतिष टीकाएँरसशास्त्र के नए ग्रंथ। 'आइने-अकबरी' में वैज्ञानिक जानकारी। 'तुजुक-ई-जहांगिरी' में पशु-पक्षियों का अध्ययन। यूरोप के वैज्ञानिको द्वारा भारतीय वनस्पति का अन्वेषणा। भारत में विदेशी पैड़-पौधों का रोपण।

१८वीं सदी - सवाई जयसिंह द्वारा मथुरा, दिल्ली, जयपुर, वाराणसीउज्जैन में वेधशालाओं की स्थापना। जयसिंह कै दस्तार के गणितज्ञ ज्योतिषीपी पं॰ जगन्नाथ द्वारा यूक्लिड की ज्यामितिटॉलमी के ज्योतिष ग्रंथ का अरबी से संस्कृत में अनुवादकोलकाता में 'थियोसोफिकल सोयायटी' की स्थापना (1784 ई)। सिवपुर में "रॉयल बोटानिकल गार्डन' की स्थापना (1857 ई.)। चेन्नै वेधशाला की स्यापना (1792 ई)।

१७९१ - वाराणसी में संस्कृत पाठशाला (अब विश्वविद्यालय) को स्थापना।

1984 - विलियम जोंस द्वारा एशियाटिक सोसायटी की स्थापना।

1217 - कोलकाता में महाविद्यालय (हिन्दू कॉलेज) की स्थापना

4818 - कोलकाता में 'ग्रेट ट्रिग्लोमेट्रिकल सर्वे' की स्थापना।

1827 - जेम्स प्रिंसेप द्वारा ब्राह्मीखरोष्ठी लिपियों का पूर्ण उद्घाटन।

1851 - जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया की स्थापना।

1853 - भारत में प्रथम रेल की शुरुआत (मुम्बई के पास।

1857 - कोलकाता, मुंबई व मद्रास में विश्वविद्यालयों को स्थापना। 'इण्डियन कोस्टल सर्वे' की स्थापना।

1859 - भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना।

1875 - भारतीय मौसम विभाग की स्थापना।

1876 - महेन्द्रलाल सरकार द्वारा कोलकाता में "इंडियन ऐसोसिएशन फॉर कल्टिवेशन ऑफ साइंस" की स्थापना।

1883 - बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी की स्थापना।

1890 - 'भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण' की स्थापना। 'इंडियन मैथमैटिकल सोसायटी' की स्थापना।

1908 - 'कोलकाता मैथमैटिकल सोसायटी' की स्थापना।

1914 - 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ' की स्थापना।

1916 - आशुतोष मुखर्जी द्वारा 'युनिवर्सिटी कालेज ऑफ साइंस' की कोलकाता में स्थापना।

1917 - कोलकात्ता में जे सी बोस संस्थान की स्थापना, एग्रिकल्चरल रिसर्च स्टेशन एण्ड एक्सपेरिमेण्टल फार्म की स्थापना।

1934 - इंडियन ऐकडमी ऑफ साइंसेस की स्थापना।

1945 - टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान की स्थापना, बंगलोर में रमन अनुसंधान संस्थान की स्थापना।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संपादित करें

1948 - बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान, लखनऊ की स्थापना ; विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की स्थापना। प्रो॰ पी एम ब्लैकेट की सलाह पर 'सुरक्षा विज्ञान संस्थान' की स्थापना। 'राष्ट्रीय सांख्यिकीय संस्थान' की स्थापना।

1950 - राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, राष्ट्रीय रासायनिकी प्रयोगशाला तथा केन्द्रीय ईंधन अनुसंधान संस्थान की स्थापना। राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान (भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी) की स्थापना।

1954 - परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना।

 
समुद्र की तरफ से भाभा परमाणु अनुसन्धान केन्द्र का दृष्य

1957 - ट्राम्बे में 'परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान' (सम्प्रति भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र) की स्थापना

1958 - जवाहर लाल नेहरू द्वारा संसद में एक 'विज्ञान नीति' का प्रस्ताव पारित कराया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी आर डी ओ) की स्थापना।

1962 - लाल बहादुर शास्त्री की अध्यक्षता में 'भारतीय संसदीय एवं वैज्ञानिक समिति' की स्थापना। खडगपुर, मुंबई, चेन्नै, कानपुर एवं दिल्ली में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित। इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना। राष्ट्रीय क्षय (तपेदिक) नियंत्रण कार्यक्रम शुरू।

1963 - केरल के त्रिवेन्द्रम के निकट राकेट प्रक्षेपण सुविधा केन्द्र की स्थापना।

1966 - गोवा में राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान की स्थापना।

1968 - वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, देहरादून की स्थापना।

1969 - बंगलोर में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम की स्थापना, तारापुर में परमाणु सयंत्र की स्थापना।

1971 - इलेक्ट्रानिक्स विभाग की स्थापना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना, बम्बई में 'भारतीय भू-चुम्बकत्व संस्था' की स्थापना।

1972 - अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग की स्थापना।

1974 - पोखरण में भारत का पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण सफलतापूर्वक सम्पन्न।

1975 - भारत का प्रथम कृत्रिम उपग्रह 'आर्यभट' प्रक्षेपित। 'राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम' (NTPC) एवं 'राष्ट्रीय जल विद्युत निगम' (NHPC) को स्थापना। पाँचवी पंचवर्षीय योजना में भारतीय योजना के इतिहास में पहली बार विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए 1.17 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया।

1981 - श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एण्ड टेक्नोलॉजी, त्रिवेन्द्रम की स्थापना। कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केन्द्र हैदराबाद की स्थापना।

1982 - अपारम्परिक ऊर्जा स्रोत विभाग की स्थापना।

1983 - समेकित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम का आरम्भ।

1984 - इन्दौर में प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र (सम्प्रति राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र इंदौर) की स्थापना। प्रथम अण्टार्कटिका अभियान दल भेजा गया।

1998 - पोखरण में भारत का द्वितीय भूमिगत परमाणु परीक्षण।

2008 - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चन्द्रमा पर चन्द्रयान भेजा।

 
मंगल ग्रह की परिक्रमा करता हुआ भारत का मंगलयान (काल्पनिक चित्र)

2014 - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का मंगलयान मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Kenoyer, 230
  2. Joseph, 229

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

जर्नल संपादित करें