मंदसौर (Mandsaur) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के मंदसौर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]

मंदसौर
Mandsaur
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रात्रि में शिवना नदी के किनारे मंदसौर का पशुपतिनाथ मंदिर
रात्रि में शिवना नदी के किनारे मंदसौर का पशुपतिनाथ मंदिर
मंदसौर is located in मध्य प्रदेश
मंदसौर
मंदसौर
मध्य प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 24°03′47″N 75°04′26″E / 24.063°N 75.074°E / 24.063; 75.074निर्देशांक: 24°03′47″N 75°04′26″E / 24.063°N 75.074°E / 24.063; 75.074
देश भारत
प्रान्तमध्य प्रदेश
ज़िलामंदसौर ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल1,41,667
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी एवं मेवाड़ी भाषा और मालवी का मिश्रण (राजस्थानी)
 • साक्षरता71.64%
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड458001/2
दूरभाष कोड07422
वाहन पंजीकरणMP-14
वेबसाइटwww.mandsaur.nic.in

विवरण संपादित करें

 
सौंधनी स्थित यशोधर्मन का विजय-स्तम्भ

मंदसौर का प्राचीन नाम दशपुर था ! यह क्षेेत्र दशपुर जनपद के रूप में जाना जाता था , आदिवासी सत्ता ने यहां कई सदियों तक शासन किया , भील राजाओं ने दशपुर जनपद पर दीर्घकाल तक शासन किया।[3]

 
मालवा क्षेत्र जिसका एक छोटा-सा खंड दशपुर है

पुरातात्विक और ऐतिहासिक विरासत को संजोए उत्तरी मध्य प्रदेश का मंदसौर एक ऐतिहासिक जिला है। यह 5530 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। आजादी के पहले यह ग्वालियर रियासत का हिस्सा था। मंदसौर की कयामपुर तहसील खास लोकप्रिय हैं | पशुपतिनाथ मंदिर, बही पारसनाथ, जैन मंदिर और गांधी सागर बांध, मंदसौर जिले के मुख्य दर्शनीय स्थल हैं। इस जिले में अफीम का भारत मे सबसे बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। मंदसौर राजस्थान के चित्तौड़गढ़, कोटा, भीलवाड़ा, झालावाड़ ,प्रतापगढ़ और मध्य प्रदेश के जावरा- रतलाम जिलों से घिरा हुआ है। स्वतंत्र भारत का सबसे पहले गांधी सागर बांध इसी जिले में बना था।

प्रमुख आकर्षण संपादित करें

 
हिंगलाजगढ़,मंदसौर से प्राप्त १२ वि शती की गणेश प्रतिमा

पशुपतिनाथ मंदिर संपादित करें

यह मंदिर मंदसौर जिले का प्रमुख आकर्षण है। संभवतः पूरे विश्व की एकमात्र अष्टमुखी भगवान शिव की प्रतिमा वाला पशुपतिनाथ मंदिर शिवना नदी के तट पर स्थित है। चारों दिशाओं में मंदिर के दरवाजे हैं, प्रवेश द्वार केवल पश्चिम दिशा में ही खुलता है। मंदिर में 7.5 फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है। प्रतिमा के ऊपर के चार मुख शिव के बाल्यकाल, युवावस्था, अधेड़ावस्था, वृद्धावस्था को प्रदर्शित करते हैं। भगवान शिव के दर्शन के लिए दूर-दूर से यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। हर साल श्रावण मास में मंदिर परिसर में मनोकामना अभिषेक होता है। जो सम्पूर्ण भारत के किसी भी शिव मंदिर में नहीं होता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान पशुपतिनाथ की यह मूर्ति शिवना नदी से ही निकली है ।

श्री वही तीर्थ संपादित करें

 
वही पार्श्वनाथ मन्दिर

वही स्थित इस तीर्थस्थल की स्थापना राजा संप्रति ने की थी। यहां भगवान वही पार्श्‍वनाथ की काले रंग की प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में विराजमान है। मूर्ति के स्थित पास बाघ की आकृति बेहद खूबसूरत प्रतीत होती है। श्री वही पार्श्‍वनाथ श्वेतांबर जैन तीर्थ नामक ट्रस्ट इस मंदिर को संचालित करता है। मंदिर मंदसौर से 16 किलोमीटर की दूरी पर है।

धर्म राजेश्वर संपादित करें

धर्म राजेश्वर मंदसौर से १०६ कि॰मी॰ पर शामगढ़ तहसील में चंदवासा ग्राम के निकट स्थित हैं । यहां बौद्ध गुफाएं भी स्थित है। मंदिर एक विशाल पहाड़ के अंदर एक ही चट्टान को काटकर अजंता की गुफाओं की शैली में बना है। यह गुफाएं उत्तरी नागरिक शैली में बनी हुई है। एक ही चट्टान को काटकर मंदिर बनाया गया है। यह भगवान शिव को समर्पित हैं।

कुकड़ेश्वर संपादित करें

जैन तीर्थस्थल के रूप में विख्यात यह पवित्र गांव मंदसौर से 86 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां के मंदिर राज्य के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में एक माने जाते हैं। श्री कुकादेशर तीर्थ यहां का 1050 साल पुराना जैन मंदिर है। मध्य प्रदेश का नीमच जिला इस स्थान से करीब 52 किलोमीटर दूर है।

भानपुरा संपादित करें

{{मुख्य|भानपुरा]] यह स्थान मंदसौर से 127 किलोमीटर दूर है। यहां शासन करने वाले राजा भानु भील के नाम पर इस स्थान का नाम भानपुरा पड़ा। यहां बना एक संग्रहालय मुख्य दर्शनीय स्थल है। संग्रहालय में कला की अनेक दुर्लभ वस्तुओं को संग्रह देखा जा सकता है। उमा महेश्वर, कार्तिकेय, विष्णु और नंदी की आकर्षक तस्वीरों को भी यहां देखा जा सकता है।

गांधी सागर बांध संपादित करें

चंबल नदी पर बना यह बांध जिला मुख्यालय से 165 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 7 मार्च 1954 को प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस बांध की नींव डाली थी। इस बांध और यहां के पावर स्टेशन को बनवाने की कुल लागत 18 करोड़ 40 लाख थी। यह बांध 65 मीटर लंबा और 56 मीटर चौड़ा है। यहां के पावर स्टेशन में 23 मेगावाट के 5 टरबाइन हैं और इनकी कुल क्षमता 115 मेगावाट है।

परासली संपादित करें

मंदसौर जिले का यह गांव मंदसौर से 90 किलोमीटर दूर है। जैन तीर्थ केन्द्र के रूप में विख्यात इस गांव में राज्य के कुछ लोकप्रिय मंदिर देखे जा सकते हैं। श्री पारासली तीर्थ और श्री नागेश्वर तीर्थ यहां के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं।

बर्डिया अमरा संपादित करें

मंदसौर जिले का यह गांव यहा स्थित श्रीं बाबा रामदेव मंदिर के कारण काफी प्रचलित है! इस कारण इस गाँव को 'छोटा रूनिचा' नाम से भी जाना जाता है! हर साल यहा बाबा रामदेव जी का विशाल भंडारा लगाया जाता है! और काफी संख्या में यहाँ लोग दूर दूर से आते है | बाबा रामदेव जी भंडारा का आयोजन श्री बाबा रामदेव मंदिर समिति मेघवाल समाज द्वारा किया जाता है | इसके अलावा यहाँ का संतरा पुरे देश में प्रसिद्ध है | संतरा ( नारंगी ) के व्यवसाय में यह गाँव अपनी अहम् भूमिका रखता है यहाँ का संतरा पुरे देश में पंजाब हरियाणा कश्मीर महाराष्ट्र तथा अन्य कही देश के हिस्सों में पहुचाया जाता है | ........ by बलराम यादव बरडिया अमरा

आवागमन संपादित करें

वायु मार्ग

उदयपुर का महाराणा प्रताप विमानक्षेत्र मंदसौर का नजदीकी एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट देश के अनेक बड़े शहरों से जुड़ा है। उदयपुर हवाई अड्डा मंदसौर से 168 किलोमीटर दूर है। इंदौर एयरपोर्ट से भी यहां पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग

मंदसौर रेलवे स्टेशन अजमेर-रतलाम बड़ी लाइन पर स्थित है! यहा से आवागमन हेतु प्रतिदिन की ट्रैने दिल्ली हेतु मात्र एक ट्रैन,जबकि अजमेर हेतु प्रतिदिन की 2, जयपुर हेतु 1, मुंबई हेतु साप्ताहिक 3, उदयपुर हेतु 2 प्रतिदिन,इंदौर हेतु 2 प्रतिदिन,भोपाल हेतु 1 प्रतिदिन, उज्जैन 2 प्रतिदिन,हैदराबाद 3 ट्रैने साप्ताहिक,कोटा हेतु 3 ट्रैने प्रतिदिन की उपलब्ध है। है! जिले का प्रमुख क़स्बा शामगढ़ जहॉ प्रतिदिन की 13 ट्रैने एवं 3 साप्ताहित जबकि सुवासरा मे 5 train डेली की रुकती है यह दिल्ली-मुंबई रेललाइन से जुड़ा है।

सड़क मार्ग

मंदसौर देश के अनेक हिस्सों से राष्ट्रीय राजमार्ग 31 एवं राजमार्ग 79 से जुड़ा है। दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान,उत्तराखण्ड के हरिद्वार हेतु नियमित बसें चलती हैं।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
  2. "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293
  3. भारतीय भाषाओं में रामकथा, आर्यांका. योगेन्द्र प्रताप सिम्हा, 1939-, अर्जुनदास केसरी, अयोध्या शोध संस्थान (प्रथम संस्करण संस्करण). नयी दिल्ली. OCLC 1004488544. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5229-568-5.सीएस1 रखरखाव: अन्य (link)