मजरुह सुल्तानपुरी (उर्दू: مجرُوح سُلطانپُوری ) (1 अक्टूबर 1919 − 24 मई 2000) एक भारती उर्दू शायर थे। हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार और प्रगतिशील आंदोलन के उर्दू के सबसे बड़े शायरों में से एक थे। [3][4][5] वह 20वीं सदी के उर्दु साहिती जगत के बेहतरीन शायरों में गिना जाता है। [6]

मजरूह सुल्तानपुरी / مجرُوح سُلطانپُوری
पृष्ठभूमि
जन्म नामअसरारुल हसन खान [1]
जन्म1 अक्टूबर 1919
सुल्तानपुर, ब्रिटिश इंडिया
निधन24 मई 2000(2000-05-24) (उम्र 80)[1]
मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
पेशाशायर, गीतकार, फिल्म [2]
सक्रियता वर्ष1946–2000
सुल्तानपुरी का हस्ताक्षर

बॉलीवुड में गीतकार के रूप में प्रसिद्ध हुवे। उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिए देश, समाज और साहित्य को नयी दिशा देने का काम किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सुल्तानपुर जिले के गनपत सहाय कालेज में मजरुह सुल्तानपुरी ग़ज़ल के आइने में शीर्षक से मजरूह सुल्तानपुरी पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने इस सेमिनार में हिस्सा लिया और कहा कि वे ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने उर्दू को एक नयी ऊंचाई दी है। लखनऊ विश्वविद्यालय की उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ॰सीमा रिज़वी की अध्यक्षता व गनपत सहाय कालेज की उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ॰जेबा महमूद के संयोजन में राष्ट्रीय सेमिनार को सम्बोधित करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो॰अली अहमद फातिमी ने कहा मजरूह, सुल्तानपुर में पैदा हुए और उनके शायरी में यहां की झलक साफ मिलती है। वे इस देश के ऐसे तरक्की पसंद शायर थे जिनकी वजह से उर्दू को नया मुकाम हासिल हुआ। उनकी मशहूर पंक्तियों में 'मै अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल मगर लोग पास आते गये और कारवां बनता गया' का जिक्र भी वक्ताओं ने किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो॰मलिक जादा मंजूर अहमद ने कहा कि यूजीसी ने मजरूह पर राष्ट्रीय सेमिनार उनकी जन्मस्थली सुल्तानपुर में आयोजित करके एक नयी दिशा दी है।

हिंदी फिल्मों को योगदान संपादित करें

मजरूह सुल्तानपुरी ने पचास से ज्यादा सालों तक हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे। आजादी मिलने से दो साल पहले वे एक मुशायरे में हिस्सा लेने बम्बई गए थे और तब उस समय के मशहूर फिल्म-निर्माता कारदार ने उन्हें अपनी नई फिल्म शाहजहां के लिए गीत लिखने का अवसर दिया था। उनका चुनाव एक प्रतियोगिता के द्वारा किया गया था। इस फिल्म के गीत प्रसिद्ध गायक कुंदन लाल सहगल ने गाए थे। ये गीत थे-ग़म दिए मुस्तकिल और जब दिल ही टूट गया जो आज भी बहुत लोकप्रिय हैं। इनके संगीतकार नौशाद थे।

जिन फिल्मों के लिए आपने गीत लिखे उनमें से कुछ के नाम हैं-सी.आई.डी., चलती का नाम गाड़ी, नौ-दो ग्यारह, तीसरी मंज़िल, पेइंग गेस्ट, काला पानी, तुम सा नहीं देखा, दिल देके देखो, दिल्ली का ठग, इत्यादि। पंडित नेहरू की नीतियों के खिलाफ एक जोशीली कविता लिखने के कारण मजरूह सुल्तानपुरी को सवा साल जेल में रहना पड़ा। 1994 में उन्हें फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इससे पूर्व 1980 में उन्हें ग़ालिब एवार्ड और 1992 में इकबाल एवार्ड प्राप्त हुए थे।

नासिर हुसैन के साथ साझेदारी संपादित करें

मजरुह और नासीर हुसैन ने पहली बार फिल्म पेइंग गेस्ट पर सहयोग किया, जिसे नासीर ने लिखा था। नासीर के निदेशक और बाद में निर्माता बनने के बाद वे कई फिल्मों में सहयोग करने गए, जिनमें से सभी के पास बड़ी हिट थीं और कुछ महारूह के सबसे यादगार काम हैं:

  • तुमसा नहीं देखा (1957)
  • दिल देके देखो
  • फिर वही दिल लया हूं
  • तीसरी मंजिल (1966)
  • बहार के सपने
  • प्यार का मौसम
  • कारवां (गीत पिया तू अब तो आजा)
  • यादों की बारात (1973)
  • हम किसी से कम नही (1977)
  • ज़माने को दिखाना है
  • कयामत से कयामत तक (1988)
  • जो जीता वोही सिकंदर (1992)
  • अकेले हम अकेले तुम
  • कही हन कही ना

मजरूह भी टीएसरी मंजिल के लिए नासीर को आरडी बर्मन पेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। तीनों ने उपर्युक्त फिल्मों में से 7 में काम किया। बर्मन ज़मीन को दीखाना है के बाद 2 और फिल्मों में काम करने के लिए चला गया।

मौत संपादित करें

वे जीवन के अंत तक फिल्मों से जुड़े रहे। 24 मई 2000 को मुंबई में उनका देहांत हो गया। [2]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; upperstall नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  2. "Hindi film songwriter dies". BBC News. 25 May 2000. मूल से 12 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 May 2018. Italic or bold markup not allowed in: |publisher= (मदद)
  3. Pauwels, Heidi R. M. (2008). Indian Literature and Popular Cinema. Routledge. पृ॰ 210. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-415-44741-0.
  4. Zaheer, Sajjad; Azfar, Amina (2006). The Light. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-19-547155-5.
  5. Majrooh Sultanpuri Biography on downmelodylane.com website Archived 2012-02-24 at the वेबैक मशीन Retrieved 11 May 2018
  6. Majrooh Sultanpuri Profile Archived 2018-05-25 at the वेबैक मशीन urdupoetry.com website, Retrieved 11 May 2018

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें