महाराज कृष्ण कौशिक (जन्म 2 मई, 1955) भारत की राष्ट्रीय फील्ड हॉकी टीम के पूर्व खिलाडी और भारतीय पुरुष एवं महिला हॉकी टीम के कोच रहे थे। कृष्ण कौशिक मॉस्को, सोवियत संघ में आयोजित 1980 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक में स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य रहे।[1] खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने उन्हें मप्र राज्य हाॅकी अकादमी के चीफ सलाहकार कोच के रूप में नियुक्त किया।[2] भारत सरकार ने उन्हें 1998 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। भारतीय हॉकी में उनके कोचिंग योगदान के लिए उन्हें 2002 में द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला। उन्होंने 'द गोल्डन बूट' नामक पुस्तक भी लिखी।[3]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "हॉकी: कौशिक बने भारतीय हॉकी टीम के कोच - Krishna Kaushik named as new coach of Indian Hockey team". Navbharat Times. अभिगमन तिथि 2019-11-29.
  2. "अशोक ध्यानचंद का चेला हूं उनसे कैसा टकराव : कौशिक". Dainik Bhaskar. 2015-09-13. मूल से 17 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2019-11-29.
  3. "महाराज कृष्ण कौशिक भारतीय सीनियर पुरुष हॉकी टीम के कोच नियुक्त". Jagranjosh.com. 2013-07-12. मूल से 21 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2019-11-29.