महीधर १६वीं शताब्दी के वेद-भाष्यकार थे। इन्होंने मध्य युगीन भारत को देखते हुए हिंदू धर्म में पवित्र माने जाने वाले वेदों के नाम पर शुक्ला यजुर्वेद नामक वेद की रचना की, जिसमे इन्होंने वेदों में पशु बलि एवम गाय के मांस के खाने का प्रसंग अंकित किया। जिसके अनुसार आर्य समाज पहले मांस भक्षण करता था इस बात का उल्लेख किया। इसका प्रभाव केवल मात्र इतना था की हिंदुओ की अहिंशात्मक सोच में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाना था जिससे हिंदू अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए उन वैश्यी और नितांत हिंसक लोगो से लड़ सके जो मध्ययुग में भारत में अपने पैर जमा रहे थे ।इसलिए उन्होंने बली- प्रथा को जन तक पहुंचने के लिए वेदो का सहारा लिया जिससे लोग युद्ध में होने वाली हिंसा के लिए पहले से तैयार रहे । और उन्हें गायों का सहारा लेकर आसानी से हराया न जा सके।

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