मिरैन्डा चेतावनी या मिरैन्डा अधिकार (अंग्रेज़ी: Miranda warning या Miranda rights) एक सूचना है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में पुलिस को हर उस व्यक्ति को देनी होती है जिसे हिरासत में ले लिया गया हो। इसके अंतर्गत गिरफ़्तार किये गए व्यक्ति को किसी भी प्रकार की पूछताछ से पहले यह चेतावनी देनी होती है।

अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर अमेरिकी सुरक्षाकर्मी एक नशीले पदार्थों के वाहन के इल्ज़ाम पर गिरफ़्तार किये जा रहे व्यक्ति को "मिरैन्डा चेतावनी" पढ़ रहा है

चेतावनी के शब्द संपादित करें

हालाँकि मिरैन्डा चेतावनी के शब्दों में जगह-जगह पर थोड़ा अंतर है, फिर भी इसका आम रूप कुछ इस प्रकार है[1] -

अंग्रेज़ी: You have the right to remain silent. Anything you say or do can and will be held against you in the court of law. You have the right to speak to an attorney. If you cannot afford an attorney, one will be appointed for you. Do you understand these rights as they have been read to you?
हिन्दी अनुवाद: तुम्हे ख़ामोश रहने का अधिकार है। तुम जो कुछ कहोगे या करोगे उसका प्रयोग अदालत में तुम्हारे ख़िलाफ़ किया जा सकता है और किया जाएगा। तुम्हें अपने वकील से सलाह करने का अधिकार है। अगर तुम्हारे पास वकील करने के पैसे नहीं हैं तो सरकार तुम्हारे लिए एक वकील रखेगी। क्या तुम्हें अपने यह अधिकार समझ आ गए हैं?

मिरैन्डा अधिकारों का जन्म संपादित करें

सन् 1966 में अमेरिका के सर्वोच्च न्यायलय (सुप्रीम कोर्ट) में "मिरैन्डा बनाम ऐरिज़ोना" नाम के एक मुक़द्दमे की सुनवाई हुई। अमेरिका के ऐरिज़ोना राज्य में अर्नेस्टो आर्टूरो मिरैन्डा नाम के एक आदमी ने एक 18 वर्षीय लड़की का अपहरण कर के उसका बलात्कार किया। लड़की के भाई ने उसके ट्रक के नंबर पहचानकर पुलिस को उसे पकड़वाने में मदद की। गिरफ़्तारी के बाद पुलिस ने दो घंटे तक उस से सवाल किये जिसके बाद मिरैन्डा ने अपने अपराध मानते हुए इक़बालनामे पर हस्ताक्षर कर दिए।

जब मिरैन्डा का मुक़द्दमा ऐरिज़ोना की अदालत में पहुँचा तो मिरैन्डा के वकील (ऐल्विन मूर) ने कहा के पुलिस ने ज़ोर-ज़बरदस्ती से मिरैन्डा से अपराध क़बूल करवाया है और इक़बालनामे में मिरैन्डा द्वारा दी गयी अपराध के बारे में जानकारी को नहीं देखा जाना चाहिए। अदालत ने यह दलील नहीं मानी और इक़बालनामे के आधार पर मिरैन्डा को 20-30 साल की सज़ा सुनवा दी। मिरैन्डा के वकील ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की याचिका डाली। उस अदालत ने कहा के पूछताछ में ज़बरदस्ती वर्जित है और "अगर व्यक्ति ख़ामोश रहना चाहे तो पूछताछ फ़ौरन बंद की जानी चाहिए ... अगर व्यक्ति बोले के उसे वकील चाहिए तो पूछताछ तब तक बंद रहनी चाहिए जब तक उसका वकील भी वहाँ मौजूद न हो और वह अपने वकील से सलाह-मशवरा न कर सके।" सुप्रीम कोर्ट ने ऐरिज़ोना की अदालत द्वारा सुनाई गई सज़ा ख़ारिज कर दी। पुलिस ने फिर नए सिरे से मिरैन्डा पर मुक़द्दमा चलाया जिसमें उसके इक़बालनामे का बिलकुल प्रयोग नहीं किया गया। इस बार पुलिस फिर केस जीत गई और मिरैन्डा को जेल हो गई।

इस मुक़द्दमे के बाद से अमेरिका में पुलिस गिरफ़्तारी के समय यह अधिकार हिरासत में लिए जा रहे व्यक्ति को सुनाती है ताकि बाद में उससे पूछताछ के ज़रिये इकठ्ठे किये गए सबूतों को अदालत में प्रयोग करने में कोई कठिनाई न पेश आये।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Alaska State Troopers. Archived from the original on 5 जुलाई 2011. Retrieved on 13 जून 2011.