मुक्ति कर्म के बन्धन से मोक्ष पाने की स्थिति है। यह स्थिति जीवन में ही प्राप्त हो सकती है। मुक्ति निम्न चार प्रकार की होती हैं:

  1. सालोक्य - जीव भगवान के साथ उनके लोक में ही वास करता हैं।
  2. सामीप्य- जीव भगवान के सन्निध्य में रहते कामनाएं भोगता हैं।
  3. सारूप्य - जीव भगवान के साम्य (जैसे चतुर्भुज) रूप लिए इच्छाएं अनुभूत करता हैं।
  4. सायुज्य - भक्त भगवान मे लीन होकर आनंद की अनुभूति करता हैं।