रन्ध्राकाश अथवा रन्ध्राकाशता किसी ठोस पदार्थ, जैसे कि चट्टान या मिट्टी, के कणों के बीच की खाली जगह को कहते हैं।[1][2] यह भूजल के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण कारक है और पानी के लिये चट्टानों की पारगम्यता इसी रंध्राकाश की मात्रा के ऊपर निर्भर होती है। किसी चट्टान संस्तर के [जलभरा]के रूप में स्थापिईत होने के लिये यह आवश्यक है कि उसकी पारगम्यता और रंध्रावकाश दोनों अधिक हों।

सतह के समीप के मण्डल में मृदा जल[3] इसी मृदा के अन्दर पाए जाने वाले रन्ध्राकाश में स्थित होता है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "इडाहो भूविज्ञान सर्वेक्षण". मूल से 23 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जून 2014.
  2. "Plant & Soil Sciences eLibrary". मूल से 4 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जून 2014.
  3. इण्डिया वाटर पोर्टल [मृत कड़ियाँ]