राष्ट्रीय चरखा संग्रहालय

नई दिल्ली में संग्रहालय

निर्देशांक: 28°37′53.134″N 77°13′2.646″E / 28.63142611°N 77.21740167°E / 28.63142611; 77.21740167

राष्ट्रीय चरखा संग्रहालय नई दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित संग्रहालय है। यह पालिका बाजार के ऊपर पहले से बने उद्यान पर निर्मित किया गया है। इसका निर्माण संयुक्त रूप से नई दिल्ली नगरपालिका परिषद और खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग ने कराया है। इस संग्रहालय की खासियत यह है की इसमें 26 फीट (9 मीटर) लंबा और 13 फीट (3.5 मीटर) ऊँचा क्रोमियम स्टेनलेस स्टील से बना चरखा है।[1] यह पाँच टन वजनी है और उस पर गर्मी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। साथ ही यह ज़ंग प्रतिरोधी, गैर-चुंबकीय भी है।[2] यह चरखा दुनिया का सबसे बड़ा चरखा है। यह 9 मीटर लंबे और 6 मीटर चौड़े खुली जगह पर स्थापित किया गया है।

'किसान चरखा' जिसका प्रयोग नरेन्द्र मोदी ने किया था।

संग्रहालय में स्थापित अन्य चीज़ों में इस बड़े चरखे के समीप महात्मा गांधी की पहचान माने जाने वाले तीन बंदर (बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो तथा बुरा मत बोलो को दर्शाते है) भी हैं।[3] अन्य कई प्रकार के चरखे भी यहाँ प्रदर्शित किये गए हैं। इसका उदघाटन 21 मई 2017 को तत्कालीन भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने किया था।[4] इसमें प्रवेश करने की टिकट 20 रुपये है। टिकट लेने वालों को एक खादी का रूमाल प्रदान किया जाता है। साथ ही टिकटधारी खादी की सूत माला भी निःशुल्क ले सकते हैं। इन सूतमालाओं को तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा निर्मित किया जाता है।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "चरखे की विरासत और शुल्क की व्यवस्था". जनसत्ता. 13 जनवरी 2019. मूल से 24 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2019.
  2. "तिरंगे के बाद 13 फीट ऊंचा गांधी चरखा बना दिल्ली के कनॉट प्लेस की नई पहचान". 22 मई 2017. मूल से 24 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2019.
  3. "कनॉट प्लेस में विशालकाय चरखे की स्थापना". अमर उजाला. 15 जनवरी 2017. मूल से 15 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2019.
  4. "भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली के पालिका बाजार में हैरिटेज चरखा संग्रहालय और स्टेनलेस स्टील चरखे का उद्घाटन किया". ऑल इंडिया रेडियो. 21 मई 2017. मूल से 9 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2019.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें