राहतगढ़ (Rahatgarh) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सागर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। राहतगढ़ बीना नदी के किनारे बसा हुआ है।[1][2]

राहतगढ़
Rahatgarh
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राहतगढ़ दुर्ग और नगर का दृश्य
राहतगढ़ दुर्ग और नगर का दृश्य
राहतगढ़ is located in मध्य प्रदेश
राहतगढ़
राहतगढ़
मध्य प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 23°47′31″N 78°24′00″E / 23.792°N 78.400°E / 23.792; 78.400निर्देशांक: 23°47′31″N 78°24′00″E / 23.792°N 78.400°E / 23.792; 78.400
देश भारत
प्रान्तमध्य प्रदेश
ज़िलासागर ज़िला
ऊँचाई461 मी (1,512 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल31,537
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड470119
दूरभाष कोड+91-7584
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोडIN-MP

विवरण संपादित करें

सागर-भोपाल मार्ग पर सागर से लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित यह कस्‍बा स्थित है। यहां से NH146 गुजरता है वर्तमान में राहतगढ़ एक नगर पंचायत है। प्राचीन किला, जलप्रपात‎ एवं भगवान विश्वनाथ के बीना नदी के घाट 'बनेनी घाट 'पर स्थित मंदिर के कारण प्रसिद्ध पिकनिक स्‍थल के रूप में विख्‍यात है। यह नगर राहतगढ़ के किले के नीचे एवं बीना नदी के किनारे पर स्थित है। राहतगढ़ किला सुरक्षात्मक द्रष्टि से काफी महत्वपूर्ण है बीना नदी पार करके मालवा बुंदेलखंड को जोड़ने के लिए अंग्रेजों ने 14 कमानी का एक सुन्दर पुल सन (1853) में "आर्क तकनीक पर आधारित' बनवाया था। इसकी लागत उस समय लगभग 56000 रूपये आई थी। वर्तमान में इस पुल के ठीक बाजू से एक नवीन पुल का निर्माण कर दिया गया है, एवं पुराना पुल जिसको "बड़े पुल" के नाम से जाना जाता था आज भी शान से अच्छी हालत में बीना नदी के दोनों किनारों को जोड़े खड़ा हुआ है।

इतिहास संपादित करें

11 वीं शताब्दी के एक खंडित शिलालेख पर गढ़पेहरा के डांगी वंश के राजा निहालशाह के उपराहद मंडल की स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी तो नहीं है, परन्तु कुछ इतिहासकार इसे राहतगढ़ मानते हैं।

कालांतर में गढ़ामंडला राज्य जिसमे 350 गाँव सम्मिलित थे और एक विशाल गढ़ था, के रूप में भी इसका उल्लेख मिलता है। बाद में गौंड़ राजाओं के शासन का यहाँ उल्लेख मिलता है। गोंड शासक संग्रामशाह द्वारा विजित 52 गढ़ो में से राहतगढ़ एक था। नवाब यार मुहम्मद खान (1726 से 1742) के समय भोपाल राज्य के 'दीवान बीजल राम' ने इसे भोपाल राज्य में मिला लिया।

सन 1799 में एक पिंडारी मुखिया द्वारा राहतगढ़ को लूटा गया। इस लूट का उल्लेख 'मेमोयर ऑफ़ सेन्ट्रल इण्डिया' नाम की एक प्रसिद्द पुस्तक में रोचक ढंग से किया गया है।

इसके बाद यह किला एवं नगर सन 1807 में सिंधिया राज्य में विलय हो गया।

सन 1818 में नगर का प्रबंध अंग्रेजों के अधीन आ गया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में राहतगढ़ किला अंग्रेजों के लिए रणनीतिक महत्व का रहा।

चित्रदीर्घा संपादित करें

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें