इलेक्ट्रॉनिक्स में किसी निर्बल संकेत के आयाम (या शक्ति) को बढ़ाना प्रवर्धन (Amplification) कहलाता है। वह परिपथ जो किसी संकेत का आवर्धन करता है, प्रवर्धक कहलाता है। आमतौर पर किसी प्रणाली के संकेत आउटपुट और संकेत इनपुट के अनुपात को प्रवर्धक का प्रवर्धन गुणांक (Amplification factor) अथवा लब्धि (Gain) अथवा अभिलाभ कहते हैं। इसे उसी अनुपात के दशमलव लघुगणक के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है।

प्रवर्धकों की लब्धि, इनपुट संकेत पर निर्भर करती है। अतः लब्धि का ग्राफ आवृत्ति के फलन के रूप में बनाया जाता है।

उदाहरण संपादित करें

प्रशन : किसी प्रवर्धक की निवेश प्रतिबाधा (input impedance) 50 ओम है तथा यह किसी 50 ओम के लोड को चला रहा है। जब इसका इनपुट 1 वोल्ट है तब इसका आउटपुत 10 वोल्त है। इसकी वोल्टता लब्धि और शक्ति लब्धि कितनी हैं।

वोल्तता लब्धि

यहाँ V/V लिखना या न लिखना वैकल्पिक है। लिखने से यह साफ-साफ दर्शाता है कि लिखा गया आंकड़ा वोल्टता लब्धि है, न कि शक्ति लब्धि।

शक्ति, P = V2/R, अतः शक्ति लब्धि की गणना इस तरह से करेंगे-

यहाँ भी W/W लिखना वैकल्पिक है (चाहें तो लिखें या न लिखें)।

शक्ति लब्धि को प्रायः डेसीबेल (decibels) में व्यक्त किया जाता है, इस प्रकार-

स्पष्टतः लब्धि का मान 1 (= 0 dB) हो तो इनपुट और आउटपुट के शक्ति का स्तर समान होगा।

इन्हें भी देखें संपादित करें