लि पो या लि बै (705-762 ई.) चीन के महान कवि होथे।

बहुत दिनों तक वे भ्रमण करते रहे, फिर कुछ कवियों के साथ हिमालय प्रस्थान कर गए। वहाँ से लौटकर राजदरबार में रहने लगे, लेकिन किसी षड्यंत्र के कारण उन्हें शीघ्र ही अपना पद छोड़ना पड़ा। अपनी आंतरिक व्यथा व्यक्त करते हुए कवि ने कहा है :

मेरे सफेद होते हुए वालों से एक लंबा, बहुत लंबा रस्सा बनेगा,
फिर भी उससे मेरे दु:ख की गहराई की थाह नहीं मापी जा सकती।

एक बार रात्रि के समय नौकाविहार करते हुए, खुमारी की हालत में, कवि ने जल में प्रतिबिंबित चंद्रमा को पकड़ना चाहा, लेकिन वे नदी में गिर पड़े ओर डूब कर मर गए।