वाणेश्वर महादेव मंदिर

बाबा श्री वाणेश्वर सरकार महादेव मंदिर पौराणिक मंदिर है[1] जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर देहात जिले के बनीपारा महाराज में स्थित है। बाबा श्री बाणेश्वर के दरबार में जो भी भक्त आते हैं बाबा उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । मंदिर में पहुंचने के लिए रूरा रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 5 किलोमीटर है । यहां के लोगों की ऐसी मान्यता है कि जब मंदिर के कपाट खुलते है तो बाणेश्वर महादेव पर बेल पत्र और फूल से बाबा का श्रंगार हुआ पाया जाता है / उनका श्रंगार दैत्य असुर राज राजा बलि की पुत्री हर रात को यहां आती है और महादेव की पूजा अर्चना करती है /

Waneshwar Mahadev Temple
बाणेश्वर महादेव मंदिर बनीपारा
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिबनीपारा महाराज ( जिनई)
ज़िलाकानपुर देहात
राज्यउत्तर प्रदेश
देश India
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वास्तु विवरण
प्रकारHindu temple architecture
वेबसाइट

व यहांशिवरात्रि से होली तक विशाल मेला भी लगता है जिसमे लाखो श्रद्धालु यहां पहुंचते है पर

स्थान संपादित करें

कानपुर देहात जिले के अंतर्गत रूरा नगर से उत्तर पश्चिम दिशा में 7 किलोमीटर दूरी पर रूरा -रसूलाबाद मार्ग पर वाणेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह देवालय रोड के द्वारा कहिंझरी होकर कानपुर से जुड़ा हुआ है। कहिंझरी से इस मंदिर की दुरी 8 किलोमीटर है। यहां पहुचने के लिए रूरा रेलवे स्टेशन (उत्तर मध्य रेलवे ) से बस या टैक्सी के माध्यम से पहुँच सकते है। अम्बियापुर रेलवे स्टेशन से उत्तर दिशा में 4 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है। झींझक रेलवे स्टेशन से उत्तर कर रोड द्वारा मिंडा का कुंआ से होकर वाणेश्वर महादेव मंदिर पहुँच सकते है। रसूलाबाद कस्बे से इस मंदिर की दूरी 20 किलोमीटर है। बिल्हौर रेलवे स्टेशन से उत्तर कर रसूलाबाद होकर इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

पौराणिक इतिहास संपादित करें

पौराणिक वाणेश्वर महादेव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। इतिहास लेखक प्रो. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी के अनुसार सिठऊपुरवा (श्रोणितपुर) दैत्यराज वाणासुर की राजधानी थी। दैत्यराज बलि के पुत्र वाणासुर ने मंदिर में विशाल शिवलिंग की स्थापना की थी। श्रीकृष्ण वाणासुर युद्ध के बाद स्थल ध्वस्त हो गया था। परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने इसका जीर्णोद्धार कराकर वाणपुरा जन्मेजय नाम रखा था, जो अपभ्रंश रूप में बनीपारा जिनई हो गया। मंदिर के पास शिव तालाब, टीला, ऊषा बुर्ज, विष्णु व रेवंत की मूर्तिया पौराणिकता को प्रमाणित करती हैं। [2][3]

प्रतिमा संपादित करें

1 मीटर ऊँचे आधार (अर्धा ) पर लगभग 50 सेंटीमीटर ऊँचा शिव लिंग स्थापित है जो अपने में अद्वितीय है।

मेला संपादित करें

महाशिवरात्रि के अवसर पर इस देवालय पर पंद्रह दिवसीय मेले का प्रति वर्ष आयोजन होता है। इस अवसर पर जालौन ,बाँदा ,हमीरपुर तथा कानपुर देहात के पैदल तीर्थ यात्री जो पहले कानपुर जाकर गंगा जल भर कर अपनी- अपनी काँवर के साथ जलाभिषेक के लिए लोधेश्वर महादेव जिला बाराबंकी जाते हैं और वापस आकर वाणेश्वर महादेव का जलाभिषेक करते हैं। इन भक्तों की टोली का अनुशासन और उनके जलूस की छटा देखते ही बनती है। रास्ते में ये भक्त शिव संकीर्तन में मस्त रहते हैं। प्रत्येक टोली का एक मुखिया होता है जो अपनी टोली पर अनुषान कायम रखता है। अनुशासन भंग करने पर टोली का मुखिया दंडात्मक कार्यवाही करता है। मुखिया का चयन जनतांत्रिक विधि से होता है। कुछ भक्त टोली के साथ गंगा जल भरने के लिए खेरेश्वर घाट ( शिवराजपुर के निकट ) जाते हैं। ये भक्त मिटटी के घड़ों में गंगा जल भर कर वाणेश्वर महादेव का जलाभिषेक करते हैं

चित्र दीर्घा संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. http://www.jagran.com/uttar-pradesh/kanpur-dehat-12721709.html
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 मई 2015.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 अगस्त 2015.