वारकरी सम्प्रदाय

वारकरी हिंदू धर्म की आध्यात्मिक परंपरा है, महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक जैसे भारतीय राज्यों से

भगवान श्री विट्ठल के भक्त को वारकरी कहते हैं तथा इस संप्रदाय को वारकरी सम्प्रदाय कहा जाता है। [1]

आलन्दी से पंढरपुर की यात्रा पर निकला एक वारकरी। इनके कन्धे पर एकतारी और हाथ में चिपल्या है।

'वारकरी' शब्द में 'वारी' शब्द अंतर्भूत है। वारी का अर्थ है यात्रा करना, फेरे लगाना। जो अपने आस्था स्थान की भक्तिपूर्ण यात्रा पुन: पुन: करता है, उसे वारकरी कहते हैं। सामान्यत: उनकी वेशभूषा इस प्रकार होती है : धोती, अंगरखा, उपरना तथा टोपी। इसी के साथ कंधे पर भगवा रंग की ध्वजा, गले में तुलसी की माला, हाथ में वीणा तथा मुख में हरि का नाम लेते हुए वह वारी के लिए निकलता है। वारकरी मस्तक, गले, छाती, छाती के दोनों ओर, दोनों भुजाएं , कान एवं पेटपर चन्दन लगाता है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "विठ्ठलभक्त वारकरी". मूल से 3 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 फ़रवरी 2017.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें