विनोद राय (जन्म: 23 मई 1948, परसा, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश) भारत के ११वें नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक थे। इस पद पर वे 7 जनवरी 2008 से २२ मई २०१३ तक थे। यूपीए सरकार द्वारा किये गये लाखों करोड़ रुपये के टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला एवं कोयला घोटाला की सनसनीखेज रिपोर्टों के कारण वे चर्चा में आये थे। सम्प्रति वे संयुक्त राष्ट्र के बाहरी लेखापरीक्षकों के अध्यक्ष हैं।

विनोद राय
जन्म 23 मई 1948 (1948-05-23) (आयु 75)
गाजीपुर (ग्राम - परसा, तहसील - मोहम्मदाबाद)
राष्ट्रीयता भारतीय
जाति हिन्दू
शिक्षा एम०ए० अर्थशास्त्र (दिल्ली विश्वविद्यालय),
मास्टर्स डिग्री ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (हार्वर्ड विश्वविद्यालय)
पेशा भारतीय नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
प्रसिद्धि का कारण टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला एवं कोयला घोटाला
वेबसाइट
cag.gov.in

वे दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से अर्थशास्त्र में एम०ए० हैं इसके अतिरिक्त उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर की उपाधि भी प्राप्त कर रखी है। १९७२ बैच के आई०ए०एस० अधिकारी रहे विनोद राय इससे पूर्व कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं।

जब प्रधानमन्त्री कार्यालय के राज्य मन्त्री वी० नारायणसामी ने सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने यह बयान दिया कि "सीएजी को सरकारी स्कीमों में हो रहे स्कैमों पर अपनी टिप्पणी देने का कोई अधिकार ही नहीं है, इससे भारत के नियन्त्रक एवं महालेखाकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगता है।"[1] तो विनोद राय को स्वयं अपने बचाव में कहना पड़ा कि सीएजी का यह मूलभूत और नैतिक दायित्व है कि वह सरकार के कामकाज में दखल न देते हुए भी आर्थिक मामलों में पायी गयी अनियमितताएँ उसे बताये ताकि संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की रक्षा की जा सके और सरकार पर नियन्त्रण बना रहे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह देश की जनता के साथ विश्वासघात होगा।[2].

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "CAG overstepping its constitutional mandate: Govt". मूल से 31 अगस्त 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अगस्त 2012.
  2. "CAG challenges government to identify specific breach of constitutional mandate". मूल से 25 अगस्त 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अगस्त 2012.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें