विभूति नारायण राय

भारतीय पुलिस अधिकारी

विभूति नारायण राय (अंग्रेज़ी: Vibhuti Narain Rai) जन्म: 28 नवम्बर 1950, 1971 में अंग्रेजी साहित्य से एम. ए. करने और कुछ समय अध्यापन में बिताने के बाद 1975 में भारतीय पुलिस सेवा के सदस्य बने। पांच वर्षों तक ( 2008 _ 2014 ) महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति  रहे। पुलिस महानिदेशक पद से अवकाश प्राप्त विभूति नारायण राय को सराहनीय सेवाओं के लिए इंडियन पुलिस मेडल और उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति का पुलिस मेडल भी मिला।   

विभूति नारायण राय
जन्मDOB- 28 नवम्बर 1950
जौनपुर , उत्तर प्रदेश, भारत
राष्ट्रीयताभारतीय
नागरिकताभारतीय
शिक्षाएम॰ए॰ (अंग्रेजी)
विधाउपन्यासकार, सम्पादक, स्तम्भकार , सामाजिक कार्यकर्ता

लेखन कार्य संपादित करें

इनके अब तक छः उपन्यास घर  ,शहर में कर्फ्यू ,किस्सा लोकतंत्र ,तबादला ,प्रेम की भूतकथा  और रामगढ़ में हत्या प्रकाशित । शहर में कर्फ्यू का अंग्रेजी और भारत की लगभग सभी भाषाओं में तथा अन्य उपन्यासों का भी विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हुआ है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन। रणभूमि में भाषा तथा फेंस के उस पार , किसे चाहिये सभ्य पुलिस , अंधी सुरंग में काश्मीर  , पाकिस्तान में भगत सिंह नाम से लेखों के पाँच  संग्रह प्रकाशित।  यदा-कदा व्यंग्य लेखन भी। एक छात्र नेता का रोजनामचा शीर्षक से व्यंग्य लेखों का एक संकलन प्रकाशित। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में कॉलम लेखन ।

लेखक के अलावा एक एक्टिविस्ट के रूप में भारतीय राज्य और अल्पसंख्यकों के आपसी रिश्तों पर निरंतर अध्ययनरत और इसी सिलसिले में नेशनल पुलिस अकादमी, हैदराबाद द्वारा प्रदत्त एक वर्ष की फेलोशिप के तहत साम्प्रदायिक दंगों के दौरान पुलिस की छवि पर शोध, जिसके परिणामस्वरूप पुस्तक साम्प्रदायिक दंगे और भारतीय पुलिस आयी। मेरठ के साम्प्रदायिक दंगों (1987 ) के लोमहर्षक अनुभवों पर आधारित पुस्तक हाशिमपुरा 22 मई हाल ही में प्रकाशित। इस पुस्तक का भी अंग्रेजी, तमिल, उर्दू , कन्नड़ समेत कई भाषाओं में अनुवाद।

कथा यू के द्वारा उपन्यास तबादला पर इंदु शर्मा कथा सम्मान ,उपन्यास  क़िस्सा लोकतंत्र उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा सम्मानित, सफ़दर हाशमी सम्मान, राहुल सांकृत्यायन सम्मान, कमलेश्वर सम्मान उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान , राही मासूम रजा सम्मान ।

लगभग दो दशकों तक हिन्दी की महत्वपूर्ण पत्रिका वर्तमान साहित्य का संपादन। बीसवीं शताब्दी के हिन्दी कथा साहित्य का लेखा-जोखा करती पुस्तक कथा साहित्य के सौ बरस का संपादन।

संपर्क: मो.. 9643890121,        e-mail : vibhuinarainrai@gmail.com

विभूति नारायण राय के अब तक छ: उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। उनके ये उपन्यास पिछले तीन-चार दशकों के परिवर्तित राजनीतिक-सामाजिक परिवेश का रचनात्मक रूपांतरण हैं। आमतौर पर लेखक कहानियाँ लिखने के बाद उपन्यास पर काम शुरू करते हैं, परंतु विभूति नारायण राय सीधे उपन्यास से आरंभ करते हैं और अपने कथ्य को अनावश्यक विस्तार से बचाते हुए सघनता प्रदान करते हैं। इसलिए आकार में संक्षिप्त होने के बावजूद दृष्टि में विस्तृत उनके उपन्यास अलग से अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाते हैं।[1]

सुप्रसिद्ध कथाकार ममता कालिया के शब्दों में :

"हिन्दी कथाजगत में विभूति नारायण राय की उपस्थिति आश्चर्य की तरह बनी और विस्मय की तरह छा गयी। ...सबसे खास बात इस रचनाकार की यह है कि इनके सभी उपन्यास एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं। 'घर ' में सम्बन्धों के विखण्डन की त्रासदी है तो 'शहर में कर्फ्यू ' में पुलिस आतंक के अविस्मरणीय दृश्यचित्र। 'किस्सा लोकतंत्र ' राजनीति में अपराध का घालमेल रेखांकित करता है। 'तबादला ' उपन्यास उत्तर आधुनिक रचना के स्तर पर खरा उतरता है क्योंकि इसमें कथातत्व का संरचनात्मक विखंडन और कथानक के तार्किक विकास का अतिक्रमण है। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में यह अपनी तरह का पहला कथा-प्रयोग रहा है। सरकारी तंत्र और राजनीतिज्ञ की सांठगांठ के कारण तबादला एक स्वाभाविक प्रक्रिया न होकर उद्योग का दर्जा पा गया है। इन रचनाओं से अलग हटकर 'प्रेम की भूतकथा ' एक अद्भुत प्रेम कहानी है जिसमें प्रेमी अपनी जान पर खेलकर प्रेमिका के सम्मान की रक्षा करता है।"[2]

विभूति नारायण राय के सभी उपन्यासों का अनुवाद अन्य भाषाओं में भी हुआ है। उनके उपन्यास घर का अनुवाद पंजाबी तथा उर्दू में, शहर में कर्फ्यू का उर्दू, अंग्रेजी, पंजाबी, बांग्ला, मराठी, असमिया, मलयालम , मणिपुरी तथा तमिल में, किस्सा लोकतंत्र का पंजाबी में, तबादला का उर्दू तथा अंग्रेजी में एवं प्रेम की भूतकथा का कन्नड़, उर्दू तथा अंग्रेजी में अनुवाद हो चुका है।[3]


एक लेखक और कैरियर पुलिस अधिकारी के अलावा विभूति नारायण राय एक एक्टिविस्ट भी हैं| इन्होने अपने गाँव जोकहरा (आजमगढ़) मे पुस्तक संस्कृति विकसित करने के लिए श्री रामानंद सरस्वती पुस्तकालय के नाम से एक पुस्तकालय स्थापित किया है | वे देश में संभवत: अकेले आई.पी.एस. अधिकारी थे जिन्होंने सेवा मे रहते हुए भी अल्पसंख्यकों के साथ ज्यादती के मामले मे राज्य की निरंतर आलोचना की है|

प्रकाशित पुस्तकें संपादित करें

उपन्यास-
  1. घर
  2. शहर में कर्फ्यू
  3. किस्सा लोकतंत्र
  4. तबादला
  5. प्रेम की भूतकथा
  6. रामगढ़ मे ह्त्या
उपन्यास-समग्र-
  • शहर में कर्फ्यू तथा अन्य चार उपन्यास (सजिल्द एवं पेपरबैक, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली)
व्यंग्य संग्रह-
  • एक छात्र नेता का रोजनामचा
वैचारिकी -
  • रणभूमि में भाषा
  • फेंस के उस पार ,
  • किसे चाहिये सभ्य पुलिस ,
  • अंधी सुरंग में काश्मीर  ,
  • पाकिस्तान में भगत सिंह

अंग्रेजी- संपादित करें

  • Combating Communal Conflict{ Perception of Police Neutrality During Hindu-Muslim Riots in India,} Renaissance Pub. House (1998)
  • Letter addressed to all IPS officers of the country during Gujrat riots of 2002

विभूति नारायण राय पर केन्द्रित साहित्य- संपादित करें

  • उपन्यास, लोकतंत्र और साम्प्रदायिकता (विभूति नारायण राय के उपन्यासों की आलोचना) -2015 (लेखक- विजेन्द्र नारायण सिंह एवं कृष्ण कुमार सिंह,)
  • अनहद गरजे

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सम्मान- संपादित करें

  1. कथा यू के द्वारा उपन्यास तबादला पर इंदु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान ,
  2. उपन्यास  क़िस्सा लोकतंत्र उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा सम्मानित,
  3. सफ़दर हाशमी सम्मान,
  4. राहुल सांकृत्यायन सम्मान, कमलेश्वर सम्मान
  5. उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान ,
  6. राही मासूम रजा सम्मान ।
  7. उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा उपन्यास  क़िस्सा लोकतंत्र सम्मानित
  8. सफदर हाशमी सम्मान
  9. फणीश्वरनाथ रेणु सम्मान[3]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. सिंह, विजेन्द्र नारायण एवं कृष्ण कुमार (2015). उपन्यास, लोकतंत्र और साम्प्रदायिकता (प्रथम संस्करण). 50, चाहचंद (जीरो रोड), इलाहाबाद: साहित्य भंडार. पृ॰ 7. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7779-427-7 |isbn= के मान की जाँच करें: checksum (मदद).सीएस1 रखरखाव: स्थान (link)
  2. ममता कालिया, उद्धृत- शहर में कर्फ्यू तथा अन्य चार उपन्यास, विभूति नारायण राय, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-2013, अंतिम आवरण पृष्ठ पर।
  3. शहर में कर्फ्यू तथा अन्य चार उपन्यास, विभूति नारायण राय, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-2013, अंतिम आवरण पृष्ठ पर दिये गये लेखक-परिचय में।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें