विरुपाक्ष मंदिर, ओड़िशा

यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल विरुपाक्ष मंदिर कर्नाटक के बेल्लारी जिले के हम्पी में तुंगभद

विरुपाक्ष मंदिर ओड़िशा के कंधमाल जिला के मुख्यालय फूलबाणी से 60 किलोमीटर दूर चाकपाड़ा में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता यहां का शिवलिंग है जो दक्षिण की ओर झुका हुआ है। इसी प्रकार यहां के पेड़ों की प्रकृति भी दक्षिण की ओर झुकने की है। विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण कल्याणी के चालुक्य शासक विक्रमादित्य2 ने करवाया था जो इस वंश का सबसे प्रतापी शासक था। इसने सिँहासन पर बैठते ही चोल, होयसल और वनवासी के राजाओं को परास्त कर दिया था। विक्रमांकदेवचरित के रचयिता विल्हण को उसका आश्रय प्राप्त था। मिताक्षरा ग्रंथ का रचनाकार विज्ञानेश्वर इसका विशेष कृपापात्र था। 1026 में विक्रमादित्य की मृत्यु हो गयी। अभिलेखों से पता चलता है की विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण नवीं’ या दसवीं सदी में किया गया था विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के बाद उसे बड़ा करवाया गया । मुख्य मंदिर के सामने जो मंडप बना है उसका निर्माण कृष्णदेव राय ने अपने राज्यारोहन के उपलक्ष्य में कराया।

पौराणिक संदर्भ संपादित करें

पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण जब शिवजी द्वारा दिए हुए शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था तो वह यहां पर रुका था। भगवान शिव ने कहा था कि घर पहुंचने से पहले कहीं पर भी इस शिवलिंग को मत रखना। रास्ते में रावण ने एक वृद्ध व्यक्ति से इसे पकड़ने को कहा पर उन्होंने कमजोरी के कारण इसे जमीन पर रख दिया। तब से वह शिवलिंग यहीं जम गया और लाख कोशिशों के बाद भी हिलाया नहीं जा सका। न ही दक्षिण की ओर उसके झुकाव को ठीक किया जा सका।

मंदिर की दीवारों पर उस प्रसंग के चित्र बने हुए हैं जिसमें रावण शिव से पुन: शिवलिंग को उठाने की प्रार्थना कर रहे हैं और भगवान शिव इंकार कर देते हैं। इन चित्रों के माध्‍यम से वह पूरा प्रसंग जीवंत हो उठता है। इस दृश्य में ब्रह्मा और विष्णु भी दर्शाए गए हैं।

सन्दर्भ संपादित करें