शंकर किस्तैया

महात्मा गांधी की हत्या के आरोपी विभिन्न लोगों में से एक

शंकर किस्तैया हिन्दू महासभा का एक कार्यकर्ता था। इसे महात्मा गांधी की हत्या करने के मामले में आजीवन कारावास की सजा मिली थी। बाद में उच्च न्यायालय ने अपील करने पर छोड़ने का निर्णय दिया।

गान्धी-वध के अभियुक्तों का एक समूह चित्र।
खड़े हुए : शंकर किस्तैया, गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा, दिगम्बर बड़गे.
बैठे हुए: नारायण आप्टे, विनायक दामोदर सावरकर, नाथूराम गोडसे, विष्णु रामकृष्ण करकरे

अदालत में जब गान्धी-वध का अभियोग चला तो मदनलाल पाहवा ने उसमें स्वीकार किया कि जो भी लोग इस षड्यन्त्र में शामिल थे पूर्व योजनानुसार उसे केवल बम फोडकर सभा में गडबडी फैलाने का काम करना था, शेष कार्य अन्य लोगों के जिम्मे था। जब उसे छोटूराम ने जाने से रोका तो उसने जैसे भी उससे बन पाया अपना काम कर दिया। उस दिन की योजना भले ही असफल हो गयी हो परन्तु इस बात की जानकारी तो सरकार को हो ही गयी थी कि गान्धी की हत्या कभी भी कोई कर सकता है। आखिर २० जनवरी १९४८ की पाहवा द्वारा गान्धीजी की प्रार्थना-सभा में बम-विस्फोट के ठीक १० दिन बाद उसी प्रार्थना सभा में उसी समूह के एक सदस्य नाथूराम गोडसे ने गान्धी के सीने में ३ गोलियाँ उतार कर उन्हें सदा सदा के लिये समाप्त कर दिया।

सन्दर्भ संपादित करें

  • Manohar Malgaonkar, The Men Who Killed Gandhi, Madras, Macmillan India (1978) ISBN 0-333-18228-6

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